मेंढक का टर्राना मशहूर है। आम तौर पर प्रजनन काल में नर मेंढक टर्राते हैं और ये आवाज़ें मादा को आकर्षित करने के लिए होती हैं। किंतु हाल ही में एक मेंढक के बारे में यह आश्चर्यजनक तथ्य पता चला है कि वे आवाज़ तो पैदा करते हैं मगर उसे सुन नहीं सकते।
ब्रााज़ील के कैम्पिनास विश्वविद्यालयकी सैण्ड्रा गाउटे ने ‘पम्पकिन टोडलेट’ नामक मेंढक का अध्ययन करके साइन्टिफिक रिपोट्र्स नामक पत्रिका में इस तथ्य का खुलासा किया है। भड़कीले नारंगी रंग के ये मेंढक बहुत छोटे होते हैं और झिंगुर जैसी तीखी आवाज़ पैदा करते हैं। उन्हें विचित्र बात यह पता चली कि ये इन आवाज़ों को सुन नहीं सकते।
गाउटे और उनके साथियों ने पम्पकिन टोडलेट्स के सामने इन आवाज़ों की रिकॉर्ड बजाई तो भैंस के आगे बीन साबित हुई। शोधकर्ताओं ने यह भी देखने की कोशिश की कि क्या ये आवाज़ें कान पर पड़े तो इनकी तंत्रिकाओं में कोई उत्तेजना पैदा होती है और इनके आंतरिक कान का विच्छेदन करके भी देखा। कुल मिलाकर ढाक के तीन पात। पम्पकिन टोडलेट में वह यंत्र ही नहीं होता जो इन ध्वनियों को ग्रहण कर सके।
सवाल यह उठता है कि जब वे सुन नहीं सकते तो पुकारते क्यों हैं? गाउटे के पास सटीक जवाब तो नहीं है किंतु कुछ अटकलें ज़रूर हैं। उनको लगता है कि इनमें ध्वनि पैदा करते समय गला फूलता है और धड़कता है। और यह एक प्रणय संकेत का काम करता है। लिहाज़ा सुनने की क्षमता गंवा देने के बाद भी यह हरकत जारी रही क्योंकि इसका उनके प्रजनन में महत्व है। अर्थात आवाज़ तो इस गति के कारण उत्पन्न होने वाला एक गौण उत्पाद है। वैसे भी ये मेंढक अपने साथी को आकर्षित करने के लिए दृश्य संकेतों का काफी सहारा लेते हैं।
गाउटे के मुताबिक इस अध्ययन का महत्व यह है कि हम कई बार कुछ चीज़ें मानकर चलते हैं और उनकी जांच नहीं करते। जांच करें तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आ सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)