एकलव्य में बाल-संरक्षण की नीति
एकलव्य के सभी सदस्य अपने संपर्क में आने वाले सभी बच्चों के संरक्षण के लिए कटिबद्ध होंगे।
‘बच्चा’ उन सभी लोगों को कहा जाएगा जो 18 वर्ष और उससे कम उम्र के हैं।
एकलव्य मानता है कि सभी बच्चों को शारीरिक और भावनात्मक सुरक्षा व पोषण मिलना चाहिए। समाज में व्याप्त मान्यताएं जो बच्चों को शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक दण्ड देने को उचित ठहराती हैं, उनके साथ संवाद बनाया जाएगा और तर्क किया जाएगा। बाल संरक्षण व अधिकार के पक्ष में अधिक से अधिक लोगों का समर्थन पाने की कोशिश की जाएगी। बाल विवाह को रोकने की कोशिशें की जाएंगी। बच्चों को हर तरह की उपेक्षा से बचाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
बच्चों का यौन उत्पीड़न बहुत ही निंदनीय काम है और एकलव्य के सभी सदस्य इसके विरुद्ध विशेष रूप से सचेत होंगे। वे बच्चों के यौन उत्पीड़न के अनुभवों की जानकारी के प्रति जागरूक रहेंगे और इसकी सूचना टीम के साथ साझा कर आगे उचित कदम उठाने के बारे में चर्चा करेगें।
एकलव्य मानता है कि अपने कार्यक्रमों में जहाँ तक संभव हो, बच्चों को भी अधिक से अधिक -- राय देने, फैसले लेने के मौके हों और बच्चों के बारे में बनाई गई फिल्मों, शोध व दस्तावेज़ीकरण कार्यों आदि में उनकी सहमति लेने की कोशिश की जानी चाहिए।
साल में एक बार एकलव्य से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं की बाल संरक्षण नीति पर ट्रेनिंग होगी।
बाल संरक्षण से संबंधित सभी कानून एकलव्य के सभी केंद्रों पर रखे जाएंगे। एकलव्य में आने वाले आगन्तुकों, स्थानीय नागरिकों आदि को एकलव्य की नीति एवं सम्बन्धित कानूनों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
यौन उत्पीड़न से तात्पर्य है कि -
- किसी वयस्क द्वारा बच्चे के सामने अपने गुप्तांगों का प्रदर्शन करना और बच्चे को भी अपने गुप्तांग दिखाने के लिए कहना।
- किसी वयस्क द्वारा बच्चे के गुप्तांगों को छूना या बच्चे से अपने गुप्तांगों को छुलवाना।
- अश्लील सामग्री चाहे वह चित्र हो, फिल्म हो, को देखने के लिए बच्चे से कहना और उसके सामने ऐसी सामग्री को खुद देखना।
- बच्चे के साथ किसी भी प्रकार का संभोग करना। याचना करना या प्रलोभन देना।
- बच्चे के लिए यौन क्रियाओं का संकेत करना व ऐसी क्रियाओं में उसे संलग्न करना।
शारीरिक उत्पीड़न में इस तरह की बातेंशामिल हैं --
- बच्चे को जोर से झकझोरना
- मारपीट करना, चिमटी काटना, अँगुली में पेंसिल फँसाना, घुटने टेककर मुर्गा बनाना
- धकेलना, गिराना
- जलाना
- जहर मिली हुई खाने की चीज़ देना
- दम घोंटना, डुबोना, आदि।
भावनात्मक उत्पीड़न में शामिल है --
बच्चे के साथ बुरा व्यवहार करना जैसे, आंखें तरेरना, कक्षा से बाहर करना या अलग तरह के काम करवाना। (शैक्षिक कामों के अलावा)
कक्षा या अपने क्षेत्र में नजरअंदाज करना।
बच्चे को बार-बार टोक कर यह अहसास दिलाना कि वो किसी काम का नहीं।
कई प्रकार की टीका- टिप्पणी, व्यंग्य, करना जिससे बच्चो की गरिमा को चोट पहुंचे।
किस पर लागू होगा
एकलव्य के सभी कार्यस्थलों पर काम करने वाले संस्था के सदस्यों, आगंतुकों, इंटर्न और वो सब लोग जो बच्चों के साथ काम करेंगे या जुड़ाव रखेंगे उन सब पर यह नीति लागू होगी।
एकलव्य के कार्यस्थल में शामिल हैं, शिक्षा प्रोत्साहन केन्द्र, स्कूल, एकलव्य के सभी केन्द्र या उपकेन्द्र।
एकलव्य के सभी कार्यस्थलों पर वयस्क के अलावा भी बच्चे द्वारा ही किसी बच्चे का उत्पीड़न किया जा रहा है तब उस स्थिति को स्पष्ट करना होगा और उत्पीड़न को रोकने के प्रयास करने होंगे।
कार्यस्थल के अलावा संस्था के सदस्यों के परिवारों में भी बाल उत्पीड़न की स्थितियों को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
एकलव्य संस्था के सदस्यों के परिवारों में बाल –उत्पीड़न की स्थितियों को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
एकलव्य समुदाय से संबंधित मामलों के लिए औपचारिक या अनौपचारिक संपर्क-तंत्र बनाएगा ताकि समुदाय के प्रभावशाली लोग, पुलिस, वकील, डॉक्टर, अशासकीय संगठन, समाजसेवी , शिक्षक आदि बाल संरक्षण के मामलों में उपयुक्त उपाय सोच सकें व उनको क्रियांवित कर सकें।
रिपोर्ट दर्ज करने की प्रक्रिया
एकलव्य के हरेक सदस्य से अपेक्षा है कि उसकी जानकारी में आने वाले यौन उत्पीड़न के मामले की जानकारी लिखित रूप में सेंटर इन चार्ज को दे।
यौन उत्पीड़न करने वाला यदि बच्चा है तब भी मामले की जानकारी लिखित में सेंटर इन चार्ज को दे ताकि आगे की कार्यवाही हो सके।
यौन उत्पीड़न के मामले में तत्काल रिपोर्ट करने की ज़रूरत है।
यदि जानकारी के बावजूद संस्था का सदस्य मामले की जानकारी नहीं देता या फिर छुपाता है तो संस्था के सदस्य पर जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर कुछ समय के लिए उसे निलम्बित किया जा सकता है या फिर नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है।
यौन उत्पीड़न के किसी भी मामले की शिकायत आने पर सेंटर इन चार्ज टीम के सदस्यों से बातचीत करके पूरे मामले को समझेगा और पीडि़त बच्चे से भी मामले को समझेगा। पूरी तरह से आश्वस्त हो जाने पर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाएगा।
शारीरिक व भावनात्मक उत्पीड़न की जानकारी मिलने पर दो दिन के अंदर सदस्य एकलव्य के उस केन्द्र के सेंटर इन चार्ज को लिखित सूचना देगा या देगी, यह अपेक्षा की जाती है।
नई भर्तियां
नए लोगों को लेने के समय एकलव्य संस्था यह सुनिश्चित करेगी कि आवेदक के खिलाफ बाल उत्पीड़न का कोई आरोप सिद्ध नहीं है।
संस्था यह भी सुनिश्चित करेगी कि नए सदस्य ने एकलव्य की बाल संरक्षण नीति ठीक से पढ़कर साइन कर दी है।
बच्चों के बारे में बनी फिल्में, रिपोर्टें आदि
एकलव्य के केंद्र प्रभारी से अनुमति लेने पर ही किसी व्यक्ति को एकलव्य के कामों से जुड़े बच्चों की फोटो खींचने या फिल्में या विडियो बनाने की छूट होगी। इनके लिए बच्चों को गरिमापूर्ण रूप में शामिल किया जाएगा और उनकी स्थिति की नुमाइश नहीं लगेगी। फिल्म, फोटो, रिकॉर्डिग की गई सामग्री आदि का गलत या अन्यान्य उपयोग नहीं किया जाएगा। उपयोग के बारे में बच्चों को जानकारी दी जाएगी व उनकी सहमति ली जाएगी।
बच्चों के साथ सत्ता दिखाने वाली भाषा में बातचीत नहीं की जाएगी, न ही उनके सामने संस्था के सदस्यों या अन्य लोगों द्वारा अभद्र तरीके से कोई बातचीत की जाएगी। बच्चों से सहमति के बिना दूसरों के सामने उनकी क्षमता का प्रदर्शन करवाना भी स्वीकार नहीं है।