समाचार यह है कि इस बार गर्मियों में न्यूयॉर्क में एक कीट के नियंत्रण के लिए उसी कीट का जेनेटिक संपादित संस्करण पर्यावरण में छोड़ा जाएगा। छोड़े जाने वाले ये कीट ऐसे नर होंगे जिनकी संतानें मर जाएंगी। उम्मीद की जा रही है कि इस तकनीक से कीटों की आबादी पर काबू पाया जा सकेगा।
ब्रिाटिश कंपनी ऑक्सीटेक ने एक कीट डायमंडबैक पतंगे के नर के जीन्स में कुछ फेरबदल किए हैं। डायमंडबैक पतंगा पत्ता गोभी, ब्राोकोली वगैरह पर हमला करता है और फसल को नष्ट कर देता है। ऑक्सीटेक ने इस कीट के नर में जेनेटिक परिवर्तन करके उसमें ऐसा जीन जोड़ दिया है जिसकी वजह से वह जो मादा संतानें पैदा करता है वे जीवित नहीं रह पातीं। नर संतानें जीवित रहती हैं। मादा संतानें तब जीवित रह पाती हैं जब उन्हें टेट्रासायक्लीन की नियमिक खुराक दी जाए।
जब इन संपादित नर डायमंडबैक पतंगों को पर्यावरण में छोड़ा जाता है तो ये मादाओं से संभोग के लिए सामान्य नरों से प्रतिस्पर्धा करते हैं। एक प्रयोग में देखा गया कि ये संपादित नर कीट बाकी मामलों में सामान्य कीट के समान ही हैं और प्रतिस्पर्धा में पिछड़ते नहीं हैं। अब यही प्रयोग न्यूयॉर्क के पत्ता गोभी के खेतों में बड़े पैमाने पर करने की मंज़ूरी मिल गई है।
ऐसा नहीं है कि इस तरह की तकनीक का उपयोग पहली बार किया जा रहा है। जैसे करीब 50 साल पहले इसी तरह का एक प्रयोग किया गया था जिसमें स्क्रूवर्म नामक कीट के नरों को विकिरण की मदद से नपुंसक बनाकर पर्यावरण में छोड़ा गया था। जब ऐसे नपुंसक नर स्क्रूवर्म को करोड़ों की संख्या में छोड़ा गया तो ये पूरे परिवेश पर हावी हो गए, मादाओं से संभोग किया किंतु इस संभोग के परिणामस्वरूप संतानें पैदा नहीं हुई। मगर इस तकनीक का एक नुकसान तो यह था कि विकिरण की भारी मात्रा का उपयोग करना पड़ता था और इसके ज़रिए बने नपुंसक कीट कई बार उड़ने में असमर्थ रहते थे।
अब जेनेटिक संपादन की नई तकनीकें कहीं अधिक परिष्कृत व सटीक हैं। इसमें जीन्स के अगली पीढ़ी में पहुंचने की आशंका भी नहीं है क्योंकि अगली पीढ़ी होगी ही नहीं। वैसे जैविक खेती करने वाले किसानों ने इस प्रयोग को लेकर कई आशंकाएं जताई हैं। (स्रोत फीचर्स)