यदि आपको लगता है कि अल्ज़ाइमर जैसे रोग से हम मनुष्य ही जूझते हैं, तो नई जानकारी यह है कि वरिष्ठ चिम्पैंज़ी भी इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। अल्ज़ाइमर बढ़ती उम्र का एक रोग है जिसमें मांसपेशियों पर नियंत्रण मुश्किल हो जाता है और इसके कारण याददाश्त कमज़ोर पड़ने लगती है।
अल्ज़ाइमर पीड़ित व्यक्तियों के मस्तिष्क में बीटा-एमिलॉइड नाम का एक प्रोटीन जमा होने लगता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच-बीच में चिपचिपे प्लाक का निर्माण कर देता है। यह प्लाक एक अन्य प्रोटीन टाउ में परिवर्तन कर देता है जिसकी वजह से उसके रेशे आपस में उलझने लगते हैं।
आज तक किसी अन्य प्रजाति में ऐसे प्लाक और उलझे हुए रेशों का विकास नहीं देखा गया था। अब नॉर्थईस्ट ओहायो विश्वविद्यालयकी मेलिसा एडलर को 37 से 62 वर्ष उम्र के 20 चिम्पैंज़ियों के मस्तिष्क का अध्ययन करने का अवसर मिला। एडलर की टीम ने चिम्पैंज़ियों के मस्तिष्क के नियोकॉर्टेक्स और हिप्पोकैम्पस के चार क्षेत्रों का अध्ययन किया। अल्ज़ाइमर पीड़ित व्यक्तियों में मस्तिष्क के यही हिस्से सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 12 मस्तिष्कों में उसी तरह के प्लाक और टाउ गुच्छे मौजूद थे जैसे कि इंसानों में होते हैं। और तो और, यह भी देखा गया कि उम्र बढ़ने के साथ चिम्पैंज़ियों के मस्तिष्क में प्लाक का आयतन भी बढ़ता जाता है। अपने अध्ययन के परिणाम उन्होंने न्यूरोलॉजी ऑफ एजिंग नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित किए हैं।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या प्लाक और टाउ गुच्छे चिंम्पैंज़ियों में वैसा ही संज्ञानात्मक क्षय पैदा करते हैं जैसा कि इंसानों में करते हैं। चिम्पैंज़ी के ये मस्तिष्क कई दशकों में जमा हुए हैं। इनके बारे में संज्ञान सम्बंधी या अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं थी। अत: कहना मुश्किल है कि इनमें अल्ज़ाइमर जैसे लक्षण थे या नहीं। अब तक तो चिम्पैंज़ियों में अल्ज़ाइमर के लक्षण नहीं देखे गए हैं। (स्रोत फीचर्स)