पुणे स्थित राष्ट्रीय रसायन विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा जुगाड़ तैयार किया है जो कुछ मायनों में एक पत्ती की तरह काम करता है और सौर ऊर्जा का दोहन करने में मददगार हो सकता है।
यह जुगाड़ दरअसल एक सूक्ष्म आणविक संकुल है जिसमें ऐसी व्यवस्था की गई है कि वह प्रकाश ऊर्जा को सोख सकता है और उसका उपयोग करते हुए पानी का विघटन करके हाइड्रोजन बना सकता है। यह संकुल सोने के अतिसूक्ष्म (नैनो) कणों, टाइटेनियम ऑक्साइड विशिष्ट क्वांटम बिंदुओं से बनाया गया है।
इस सेल को जब जलीय घोल में डुबाकर धूप में रखा गया तो इसमें तत्काल हाइड्रोजन के बुलबुले बनने लगे। यह यंत्र तार-रहित है और इसकी सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की कार्य क्षमता 5.6 प्रतिशत रही जो इसी तरह की तार वाली बैटरियों से कहीं बेहतर है।
हाइड्रोजन को एक र्इंधन के रूप में इस्तेमाल करने के अनेक फायदे हैं और ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य का साफ-सुथरा नवीकरणीय ईधन हाइड्रोजन ही होगा। किंतु हाइड्रोजन को बनाना व भंडारित करना एक चुनौती रही है। राष्ट्रीय रसायन विज्ञान प्रयोगशाला में चिन्नाकोंडा गोपीनाथ के नेतृत्व में विकसित यह सेल हाइड्रोजन निर्माण का एक सस्ता तरीका उपलब्ध करा सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि इस सेल को किसी वाहन के साथ जोड़ दिया जाए तो यह मौके पर ही पानी के विघटन से हाइड्रोजन पैदा करके ईधन व प्रदूषण की समस्या का समाधान दे सकती है। (स्रोत फीचर्स)