हमारी आंखें सूर्य के प्रकाश के स्पेक्ट्रम का कुछ हिस्सा ही देख पाती हैं - 400-700 नैनोमीटर तरंगदैर्घ्य वाला हिस्सा। इससे छोटी पराबैंगनी (अल्ट्रावॉयलेट) और इससे बड़ी अवरक्त (इंफ्रारेड) तरंगदैर्घ्य को हमारी नग्न आंखें नहीं देख पाती हैं। हालांकि, कुछ तकनीकें और उपकरण विकसित किए गए हैं जिनकी मदद से हम कुछ अल्ट्रावॉयलेट और इंफ्रारेड तरंगें देख पाते हैं। इन तरंगों को देखने का फायदा फॉरेंसिक जांच में, चिकित्सा में, अंधेरी रात की हलचल देखने में, पुरानी पेंटिंग्स की परतें खोलने आदि में उठाया जाता है। 
तो, थोड़ी बातें इंफ्रारेड प्रकाश को हमारी आंखों के देखने लायक बनाने वाले उपकरणों की। ऐसा एक उपकरण है थर्मल इमेजिंग कैमरा। दरअसल, इंफ्रारेड तरंगें ऊष्मा प्रभाव पैदा करती हैं। यह कैमरा वस्तुओं द्वारा उत्सर्जित इंफ्रारेड ऊर्जा को भांपता है। किसी सतह पर इंफ्रारेड विकिरण की कितनी तीव्रता है इस जानकारी के आधार पर वह एक तस्वीर बनाता है जिसे हम देख सकते हैं। इससे बनी तस्वीर लाल-नीले-पीले रंगों में मिलती है। ऐसा ही एक अन्य उपकरण है नाइट विज़न चश्मा। यह साधारण बायनॉक्यूलर जितना बड़ा और चश्मे जैसा होता है। यह 800 से 1600 नैनोमीटर के नीयर इंफ्रारेड प्रकाश को दृश्य प्रकाश में परिवर्तित कर देता है, जिसे हम देख पाते हैं।
उपरोक्त दोनों उपकरण इंफ्रारेड विज़न में मददगार तो हैं लेकिन इनकी कुछ सीमाएं हैं। जैसे इमेजिंग कैमरा और नाइट विज़न चश्मा दोनों ही बड़े और भारी हैं। और उन्हें चलाने के लिए अलग से बैटरी या बिजली लगती है। हालांकि इमेजिंग कैमरा तो तीन-चार रंगों में दृश्य तस्वीर बनाता है, लेकिन नाइट विज़न चश्मा केवल एकरंगी हरा इंफ्रारेड विज़न देता है।
कोशिश थी कि इंफ्रारेड विज़न देने वाले उपकरण भी कॉम्पेक्ट और आसान बन जाएं, जिससे इनकी उपयोगिता बढ़े, खासकर जाली नोट, जाली दस्तावेज़ आदि पकड़ने में। इसी कोशिश में वैज्ञानिकों ने इंफ्रारेड विज़न देने वाले कॉन्टेक्ट लेंस बनाए हैं। जिन्हें साधारण कॉन्टेक्ट लेंस की तरह आंखों में लगाकर इंफ्रारेड मंजर देख सकते हैं। 
ये लेंस चीन की युनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी के वैज्ञानिकों ने विकसित किए हैं। इन्हें बनाने के लिए उन्होंने साधारण कॉन्टेक्ट लेंस में नैनोकण जोड़े हैं। ये नैनोकण नीयर इंफ्रारेड प्रकाश को दृश्य प्रकाश में परिवर्तित करते हैं जिससे हम इंफ्रारेड मंजर देख सकते हैं, यहां तक कि बंद आंखों से भी। एक और फायदा यह है कि ये बहु-रंगी दृश्य दिखाते हैं, जो नाइट विज़न गॉगल में संभव नहीं होता।
हालांकि, शुरू में इन लेंस की कुछ कमियां थीं। चूंकि लेंस नैनोकण को जोड़कर बनाए गए हैं, इसलिए इनसे बनी तस्वीर थोड़ी धुंधली बनती थी। टीम ने इस खामी को भी कुछ हद तक दूर करने की कोशिश की है। उन्होंने लेंस में एक और अतिरिक्त लेंस जोड़ा है ताकि नैनोकण से बिखरा प्रकाश एक जगह केंद्रित हो, और तस्वीर साफ बने। यह कमी तो कुछ हद तक दूर हो गई लेकिन इसकी एक और दिक्कत अभी बनी हुई है। ये लेंस कमज़ोर इंफ्रारेड प्रकाश को नहीं देख पाते, इनकी पकड़ में सिर्फ अत्यंत शक्तिशाली इंफ्रारेड विकिरण आते हैं; जैसे एलईडी लाइट से उत्सर्जित शक्तिशाली इंफ्रारेड विकिरण। 
दूसरी ओर, नाइट विज़न चश्मा कमज़ोर इंफ्रारेड विकिरण को भी भांप कर, उसे शक्तिशाली बनाकर बेहतर इंफ्रारेड दृश्य निर्मित करते हैं।
बहरहाल, वैज्ञानिक इस खामी को दूर करने पर भी काम कर रहे हैं। यदि ये लेंस और उन्नत तस्वीर देने में सफल हो जाते हैं तो सर्जरी वगैरह में डॉक्टर्स को ज़्यादा ताम-झाम वाले उपकरणों से निजात मिल सकती है। इस तकनीक के बारे में शोधकर्ताओं ने सेल पत्रिका में विस्तार से बताया है। (स्रोत फीचर्स)

करके देखें – फोन के कैमरे से इंफ्रारेड तरंगें

आप अपने स्मार्ट फोन के कैमरे से भी इंफ्रारेड तरंगों को देख सकते हैं। हो सकता है कि आपके फोन का कैमरा थर्मल इमेजिंग कैमरों की तरह साफ और पूरी तस्वीर न दिखा सके, लेकिन वह शक्तिशाली इंफ्रारेड तरंगें आपको दिखा सकता है।
ज़रूरी सामग्री: स्मार्ट फोन, इंफ्रारेड के स्रोत के रूप में टी.वी. या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का रिमोट। (आप जानते होंगे कि रिमोट इंफ्रारेड तरंगों के माध्यम से ही आपके उपकरणों को आपके इशारे पर चलाते हैं।)
यह करना है: अपने स्मार्ट फोन का कैमरा खोलिए। रिमोट को कैमरे के सामने ऐसे रखिए जैसे फोटो खींचते हैं, और आप फोन में ही देखिए। ध्यान रखें कि रिमोट का सामने वाले हिस्सा कैमरे की ओर रहे। अब, रिमोट का कोई भी बटन दबाइए। क्या आप रिमोट के बल्ब से निकलती इंफ्रारेड रोशनी देख पाए?
यह स्मार्ट फोन के फ्रंट और रीअर दोनों कैमरों के साथ करके देखिए।
ध्यान में रखने की कुछ बातें: 
थोड़े अंधेरे या रात में करेंगे तो रोशनी अच्छे से दिखाई देगी।
कुछ फोन में रीअर कैमरे इस तरह डिज़ाइन किए होते हैं कि उनके लेंस इंफ्रारेड प्रकाश को अपने में से होकर गुज़रने नहीं देते। इसलिए हो सकता है कि कुछ फोन के रीअर कैमरे में इंफ्रारेड रोशनी न दिखे, लेकिन फ्रंट कैमरे में दिख सकती है।  
कुछ रिमोट में इंफ्रारेड बल्ब के पास ही एलईडी लाइट लगी होती है, जो रिमोट का बटन दबाने पर खाली आंखों से भी दिखाई देती है। यह रोशनी इंफ्रारेड प्रकाश नहीं है; यह इतना ही बताती है कि आपका रिमोट काम कर रहा है।
आजकल कुछ स्मार्ट फोन भी इंफ्रारेड तकनीक से लैस होते हैं, जिससे आप अपने फोन का रिमोट की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं और अपने घर के टी.वी, सेट-टॉप बॉक्स, पंखे वगैरह चला सकते हैं। आप रिमोट की तरह फोन से भी इंफ्रारेड लाइट निकलती देख सकते हैं।