शार्क पिछले 40 करोड़ सालों से अस्तित्व में हैं। वे कई बड़े-बड़े संकटों से बची रही हैं और खुद को कई तरह की सुरक्षा क्षमताओं से लैस किया है। अब एक हालिया शोध से खुलासा हुआ है कि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली में पैंक्रियास (अग्न्याशय) की भी अहम भूमिका है।
गौरतलब है कि इंसानों में पैंक्रियास का काम पाचन में मदद करना और रक्त शर्करा नियंत्रित करना होता है, लेकिन दी जर्नल ऑफ इम्युनोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि नर्स शार्क (Ginglymostoma cirratum) इस अंग का इस्तेमाल एंटीबॉडी बनाने और विशेष प्रतिरक्षा कोशिकाओं को प्रशिक्षित करने के लिए करती है। आम तौर पर यह काम मनुष्यों में तिल्ली और लसिका ग्रंथियों जैसे अंगों में किया जाता है।
मैरीलैंड युनिवर्सिटी के शोधकर्ता थॉमस हिल और हेलेन डूली को शार्क के पैंक्रियास में ऐसी प्रतिरक्षा कोशिकाएं मिली हैं जो आम तौर पर शरीर के मुख्य प्रतिरक्षा अंगों में पाई जाती हैं। शार्क के पैंक्रियास न सिर्फ बी-कोशिकाओं का निर्माण करते हैं बल्कि श्वेत रक्त कोशिकाओं को सूक्ष्मजीवी हमलों से लड़ने के लिए तैयार भी करते हैं।
शार्क में पैंक्रियास की प्रतिरक्षा भूमिका को परखने के लिए वैज्ञानिकों ने एक शार्क के शरीर में बाहरी संक्रामक डाले, और दूसरी शार्क को कोविड-19 टीका लगाया। कुछ हफ्तों बाद, शार्क के पैंक्रियास में उपरोक्त रोगजनक-विशिष्ट एंटीबॉडी मिलीं, जिससे साबित हुआ कि यह अंग सिर्फ साथ नहीं देता, बल्कि सीधे लड़ाई में शामिल होता है।
यह खोज इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि शार्क में इंसानों के समान लसिका ग्रंथियां नहीं होती हैं, जो हमारे प्रतिरक्षा तंत्र का ज़रूरी हिस्सा होती हैं। इसका मतलब है कि समय के साथ उद्विकास ने शरीर के दूसरे अंगों को नए कामों के लिए ढाल लिया है, खासकर उन जीवों में जिनकी शरीर संरचना मनुष्यों से अलग है।
यह अध्ययन एक बड़ा सवाल उठाता है - क्या हमारे शरीर के दूसरे अंगों और अन्य जीवों में भी ऐसे गुप्त प्रतिरक्षा तंत्र हो सकते हैं? क्या यह संभव है कि मनुष्यों का पैंक्रियास भी प्राचीन काल से कुछ प्रतिरक्षा भूमिकाएं निभाता आया हो? यह समझ शायद यह भी बता सके कि यह अंग सूजन जैसी बीमारियों (जैसे पैंक्रियाटाइटिस) के प्रति इतना संवेदनशील क्यों होता है।
बहरहाल, इस पर अभी अधिक अध्ययन की ज़रूरत है। यह देखना चाहिए कि क्या शार्क में पैंक्रियास हमेशा प्रतिरक्षा के लिए तैनात रहता है? क्योंकि मनुष्यों में कभी-कभी गैर-प्रतिरक्षी अंग में भी प्रतिरक्षा कोशिकाएं मिलती हैं, खासकर पैंक्रियास में।
साथ ही हमें देखना चाहिए कि शरीर के कौन-कौन से हिस्से प्रतिरक्षा प्रक्रिया में योगदान करते हैं। शायद हम प्रतिरक्षा प्रणाली के कई हिस्सों को अब तक नज़रअंदाज़ करते रहे हैं क्योंकि हमें लगा था कि हम सब कुछ जान चुके हैं। (स्रोत फीचर्स)