रेननकुलेसी कुल के इस पौधे का नाम है बटरकप और इसके फूल की विशेषता है कि यह अपने बीच वाले भाग को गर्म बनाए रखता है। बटरकप के फूल चमकदार पीले रंग के होते हैं। हाल ही में नेदरलैण्ड के ग्रोनिंजेन विश्वविद्यालय के डेकेल स्टेवेन्गा और साथियों ने इस करतब का राज़ ढूंढ निकाला है।
जरनल ऑफ रॉयल सोसायटी इंटरफेस में प्रकाशित अपने शोध पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया है कि बटरकप के फूल की पंखुड़ियों में ऊपरी कोशिकाओं के नीचे हवा की परत होती है। यह परत कुछ विशेष कोशिकाओं से बनी होती है। दरअसल इसकी पंखुड़ियों में हवा की दो परतें होती हैं। परिणाम यह होता है कि इन पंखुड़ियों पर जो भी प्रकाश बाजू से गिरता है उसे फूल के बीच वाले हिस्से की ओर परावर्तित कर दिया जाता है। एक मायने में यह फूल गर्मी के बढ़िया संग्राहक के रूप में काम करता है।
यह कई प्रजातियों में देखा गया है कि उनमें अपने प्रजनन अंगों (यानी स्त्रीकेसर और पुंकेसर) वाले भाग को थोड़ा गर्म करके रखने की व्यवस्था होती है। ऐसा माना जाता है कि इन फूलों में परागण के लिए ज़िम्मेदार कीट इस ऊष्णता को पसंद करते हैं क्योंकि इससे उन्हें अपने तापमान को थोड़ा अधिक बनाए रखने में मदद मिलती है।
कई अन्य पौधों में ऐसी व्यवस्थाएं देखी गई हैं। कुछ पौधों में तो तापमान को ऊंचा बनाए रखने के लिए रासायनिक क्रियाओं का सहारा लिया जाता है। सिक्किम में रुबार्ब (पदमचाल) की एक प्रजाति में इसी काम के लिए उसके निपत्र अर्धपारदर्शी होते हैं और ग्रीनहाउस के समान काम करते हैं। धूप उनके पार तो आसानी से जाती है मगर जब नीचे की गर्मी बाहर निकलने लगती है तो यही निपत्र उसे रोक लेते हैं। ये पौधे को पराबैंगनी किरणों से भी बचाते हैं।
बटरकप फूल का पीला रंग एक पीले रंजक के कारण होता है मगर जो चमकीलापन होता है वह पंखुड़ियों में मौजूद हवा की परतों के कारण है। (स्रोत फीचर्स)