चिकित्सा में एंटीबायोटिक दवाइयों के व्यापक एवं अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप ऐसे रोगजनक बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों में वृद्धि हुई है जो एंटीबायोटिक दवाइयों के खिलाफ प्रतिरोधी हैं।
2021 में, विश्व में तकरीबन 12 लाख मौतें रोगाणुओं में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित होने के कारण हुई थीं। भारतीय अस्पतालों में हुए सर्वेक्षण बताते हैं कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया से हुए संक्रमण के कारण होने वाली मृत्यु दर 13 प्रतिशत है। इसके चलते, चिकित्सा अनुसंधान की एक बड़ी प्राथमिकता सतत नए एंटीबायोटिक्स की तलाश है।
एंटीबायोटिक का शाब्दिक अर्थ है जीवन के खिलाफ। किंतु एंटीबायोटिक का उपयोग मानव कोशिकाओं को हानि पहुंचाए बिना बैक्टीरिया व अन्य सूक्ष्मजीवों का खात्मा करने या उनकी वृद्धि रोकने के लिए किया जाता है।
कोशिका भित्ति
बैक्टीरिया कोशिकाओं की एक खासियत है कोशिका भित्ति की उपस्थिति। कोशिका भित्ति कोशिका झिल्ली के ऊपर एक आवरण बनाती है। हमारी कोशिकाओं में कोशिका भित्ति नहीं होती है। बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति मुख्य रूप से पेप्टिडोग्लाइकेन नामक एक अनोखे पदार्थ से बनी होती है। पेप्टिडोग्लाइकेन जाली जैसी संरचना होती है जो अमूमन दो घटकों से बनी होती है।
ग्लाइकेन्स दो शर्करा अणुओं, NAG (N-एसिटाइल-ग्लुकोसामाइन) और NAM (N-एसिटाइल-मुरैमिक एसिड), से बनी लंबी शृंखलाएं होती हैं; इस शृंखला में एक छोड़कर एक अणु NAG होता है और अगला अणु NAM होता है। लंबी शृंखलाओं में गुंथी NAM-NAG इकाई बैक्टीरिया के लिए अनोखी होती है। NAM-NAG इकाई का यह अनोखापन ही इसे एंटीबायोटिक विकास का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बनाता है। हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी हमलावर बैक्टीरिया का खात्मा करने के लिए इसी खास पहचान की तलाश करती है।
पेप्टिडोग्लाइकेन्स का दूसरा हिस्सा - ‘पेप्टिडो' - पेप्टाइड्स (छोटी अमीनो एसिड शृंखलाएं) से बना होता है। ये पास-पास की ग्लाइकेन शृंखलाओं की NAM शर्कराओं को आपस में जोड़ते हैं। इस तरह, क्रॉस लिंक्स बनती हैं और परस्पर गुंथी एक मजबूत जाली बन जाती है।
पहला खोजा गया एंटीबायोटिक, पेनिसिलिन, इसी क्रॉस लिंकिंग चरण में बाधा पहुंचा कर अपने काम को अंजाम देता है। नतीजतन, बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति कमज़ोर पड़ जाती है जो कोशिका द्रव्य को सुरक्षित रूप से थाम नहीं पाती। अंतत: बैक्टीरिया कोशिका फट जाती है और मर जाती है।
प्रतिरोध का विकास
बैक्टीरिया में पेनिसिलिन के प्रति प्रतिरोध कैसे विकसित हुआ? बैक्टीरिया में ऐसे नए एंज़ाइम (जैसे, पेनिसिलिनेज़) विकसित हुए जो पेनिसिलिन अणुओं को काट देते हैं। या, बैक्टीरिया उन लक्ष्यों में बदलाव कर देते हैं जिन पर पेनिसिलीन असर करता है।
संक्रमण के दौरान बैक्टीरिया कोशिकाओं को तेज़ी से विभाजन करके संख्या वृद्धि करना होता है, जिसके लिए कोशिका भित्ति का संश्लेषण ज़रूरी होता है। बैक्टीरिया कोशिकाएं भित्ती निर्माण के लिए अपनी स्वयं की सामग्री संश्लेषित करती हैं। बैक्टीरिया कोशिका को वृद्धि और विभाजन करने के लिए मौजूदा भित्ती में कुछ चुनिंदा बंधन तोड़ने और बनाने पड़ते हैं। नई कोशिका भित्ति जोड़ने से पहले, आणविक कैंचियां चलाई जाती है: एंडोपेप्टिडेस नामक एंज़ाइम पेप्टाइड क्रॉसलिंक्स को तोड़ते हैं, और लायटिक ट्रांसग्लाइकोसिलेस (LTs) नाम एंज़ाइम्स शर्करा शृंखला को काटते हैं। इन दोनों कैंचियों को तालमेल बिठाकर काम करना होता है। इस प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाली बैक्टीरिया की मशीनरी बहुत जटिल होती है - जिसके नए घटकों की खोज जारी है।
हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी की डॉ. मंजुला रेड्डी का दल उन तंत्रों को समझने पर काम कर रहा है जो बैक्टीरिया के कोशिका विभाजन को एकदम सही रूप से नियंत्रित करने में भूमिका निभाते हैं। पिछले साल प्लॉस जेनेटिक्स में प्रकाशित एक अध्ययन में उनके दल ने बताया था कि बैक्टीरिया बहुत चतुर होते हैं और शर्करा शृंखला को काटने वाली LT कैंची को अधिकता में बनाकर क्रॉसलिंक्स तोड़ने वाली कैंची के अभाव की भरपाई कर सकते हैं। ये नवीन नतीजे इस बात को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं कि बैक्टीरिया सभी बाधाओं के बावजूद कैसे जीवित रहते हैं। इस बारे में समझ बैक्टीरिया संक्रमण से लड़ने के नए मार्ग प्रशस्त कर सकती है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - May 2025
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