आपको कहीं कोई परिचित दिख जाए तो कभी हाव-भाव से, तो कभी पलकें झपका आप उससे दुआ-सलाम कर लेते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। कई बार पलकें झपकाकर किसी बात पर सहमति भी जता देते हैं। कुल मिलाकर हम हाव-भाव से और पलकें झपकाकर अपने साथियों से कई बातें कर लेते हैं। वो भी बिना सोचे-विचारे। यह बरबस ही अनुक्रिया के तौर पर हो जाता है। इस तरह से संवाद करना मनुष्यों और अन्य प्राइमेट्स में दिखाई देता है। अब, रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन बताता है कि कुत्ते भी पलकें झपकाकर आपस में संवाद करते हैं।
शोधकर्ताओं को यह तो पहले से ही पता था कि पालतू कुत्ते जब दूसरे कुत्तों के आसपास होते हैं तो पलकें ज़्यादा झपकाते हैं। ऐसा भी लगता है कि जब तनाव या टकराव की स्थिति बढ़ती दिखाई देती है तो वे अपने साथी कुत्तों और इंसानों के साथ भी शांति बनाए रखने के लिए पलकें झपकाते हैं। इसके अलावा, कुत्ते अन्य कुत्तों के जम्हाई लेने और खुशमुमा चेहरे बनाने पर वही व्यवहार दोहराते हैं, जिससे लगता है वे संवाद करने और रिश्ते बनाने के लिए चेहरे के भावों की नकल (फेस मिमिक्री) करते हैं।
कुत्तों में बार-बार पलकें झपकाने का व्यवहार देख पर्मा विश्वविद्यालय की वैकासिक जीवविज्ञानी चिआरा कैनोरी को लगा कि क्या पलकें झपकाने का यह व्यवहार फेस मिमिक्री का हिस्सा है या कुछ अलग है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए कैनोरी और उनके साथियों ने टेरियर, कॉकर स्पैनियल, और बॉर्डर कोली कुत्तों के 12-12 सेकंड लंबे कई वीडियो बनाए। उनके सामने कोई खिलौना या खाने का सामान रखा गया था।
कुछ वीडियो क्लिप्स में शोधकर्ताओं ने देखा कि कुत्ते पलकें झपका रहे थे, जबकि कुछ में नहीं झपका रहे थे। शोधकर्ताओं को कुछ वीडियो ऐसे भी मिले जिनमें कुत्ते नाक चाट रहे थे और लालसा या झुंझलाहट का भाव दिखा रहे थे। इसके बाद शोधकर्ताओं ने वीडियो को संपादित किया और उनसे 71 सेकंड लंबी एक वीडियो क्लिप बनाई जिसमें कुत्ते हर 4 सेकंड के अंतराल पर पलक झपकाने और नाक चाटने की हरकत करते दिखाई दे रहे थे।
इसे उन्होंने एक बड़े पर्दे पर रेंडम तरीके से चुने हुए विभिन्न नस्लों के 54 वयस्क पालतू कुत्तों को दिखाया। हां, चुनाव करते समय शोधकर्ताओं ने इस बात का ध्यान ज़रूर रखा था कि वीडियो में दिख रहे कुत्ते इन 54 कुत्तों से पहले कभी न मिले हों। वीडियो दिखाते समय शोधकर्ताओं ने दर्शक कुत्तों के भावों को पढ़ने के लिए उन पर हार्ट मॉनिटर लगाए और उनकी प्रतिक्रियाओं का वीडियो भी बनाया।
इन सभी रिकॉर्डिंग का विश्लेषण करने पर पाया गया कि कुछ दर्शक कुत्ते तो वीडियो से ऊब गए और सो गए, लेकिन बाकी ने कुछ प्रतिक्रियाएं दिखाईं। दर्शक कुत्तों ने दो अन्य प्रकार के हाव-भाव की तुलना में पलक झपकाने के वीडियो के प्रति औसतन 16 प्रतिशत अधिक पलकें झपकाईं। पलकें अधिक बार झपकाने से लगता है कि कुत्ते शायद पलक झपकाने की नकल करते हैं।
हालांकि शोधकर्ता इन परिणामों को थोड़ा सावधानी से समझने को कहते हैं। उनका कहना है कि अधिक बार पलकें झपकाने का मतलब यह नहीं है कि कुत्ते सोच-समझकर पलकें अधिक बार झपका रहे हैं। यह हमारी तरह का मामला हो सकता है। हम मनुष्यों की तरह कुत्ते भी शायद अवचेतन रूप से संवाद कर रहे होंगे।
भले ही पलक झपकाना पूरी तरह से सोच-समझकर प्रत्युत्तर देने का व्यवहार न हो, लेकिन परिणाम बताते हैं कि कुत्ते इसे सार्थक तरीकों से उपयोग करने लगे हैं। पलक झपकाना एक संकेत हो सकता है कि मैं शांत हूं, तुम भी शांत रहो।
इसके विपरीत, अध्ययन में यह भी देखा गया कि दर्शक कुत्तों ने वीडियो के कुत्तों को नाक चाटते देखकर अपनी नाक नहीं चाटी, बल्कि उन्होंने अपनी आंखों का श्वेत पटल (स्क्लेरा) अधिक दिखाया। यह अवलोकन थोड़ा हैरत में डालता है क्योंकि वैज्ञानिक अब तक इस प्रतिक्रिया को कुत्तों के किसी सशक्त भावावेग - सकारात्मक या नकारात्मक – के प्रदर्शन से जोड़कर देखते आए हैं। इस मामले में साफ है कि इन कुत्तों ने ऐसे किसी भावावेग की अनुपस्थिति में यह प्रतिक्रिया दी।
यह अवलोकन इस बात को रेखांकित करता है कि हमें जानवरों के संवाद को समझना जितना आसान लगता है, उतना है नहीं, बल्कि यह पेचीदा और टेढ़ा मामला है। लोग अक्सर कहते हैं कि अरे, कुत्तों के ऐसा करने का मतलब यह है, वैसा करने का मतलब वह है, फलाना तनाव का संकेत है, ढिमकाना खुशी का संकेत है वगैरह-वगैरह। लेकिन इस अवलोकन से लगता है कि इस तरह के सामान्यीकरण करते हुए बहुत सतर्कता की ज़रूरत है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - May 2025
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