हाल ही में विश्व बैंक ने गुजरात में कचरे को जलाकर ऊर्जा बनाने की एक परियोजना को मिलने वाली धनराशि पर रोक लगा दी है। विश्व बैंक की शाखा अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) गुजरात में अपशिष्ट से ऊर्जा (waste to energy - डब्ल्यूटीई) परियोजनाओं के लिए 4 करोड़ डॉलर का कर्ज देने वाली थी।
इस परियोजना पर रोक राज्य के पर्यावरण समूहों द्वारा लगातार विरोध का परिणाम है। उनका मानना है कि इससे जल व वायु दोनों क्षेत्रों में प्रदूषण फैलेगा। अधिकांश नागरिक संगठनों ने इस परियोजना से होने वाले प्रदूषण को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया है।
परियोजना संयंत्र से लगभग 18,75,000 कारों के उत्सर्जन जितना कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन होता; यह न सिर्फ आईएफसी के अपने प्रदर्शन मानकों का उल्लंघन है बल्कि कई भारतीय कानूनों का भी उल्लंघन करता है। यह दर्शाता है कि आईएफसी अपने सुरक्षा उपायों और पेरिस समझौते का अनुपालन नहीं कर रहा है।
अपशिष्ट से ऊर्जा में गैर-नवीकरणीय अपशिष्ट को ऊष्मा, ईंधन और बिजली तथा ऊर्जा के इस्तेमाल योग्य अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन कई प्रक्रियाओं के माध्यम से हो सकता है; जैसे भस्मीकरण, गैसीकरण, पायरोलिसिस, अवायवीय पाचन और लैंडफिल गैस रिकवरी।
डब्ल्यूटीई शब्द का उपयोग आम तौर पर भस्मीकरण के संदर्भ में किया जाता है जिसमें ऊर्जा के लिए अति-उच्च तापमान पर कचरे को जलाया जाता है। आधुनिक भस्मीकरण सुविधाएं पर्यावरण में उत्सर्जन को रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करती हैं। वर्तमान में भस्मीकरण एकमात्र डब्ल्यूटीई तकनीक है जो आर्थिक और वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य साबित हुई है।
डब्ल्यूटीई का एक और उदाहरण अवायवीय पाचन है, जो एक पुरानी लेकिन प्रभावी तकनीक है जो कार्बनिक पदार्थों को जैविक रूप से खाद के साथ-साथ ऊर्जा के लिए बायोगैस में परिवर्तित करती है।
वर्तमान में, एबेलॉन द्वारा संचालित एक डब्ल्यूटीई भस्मक जामनगर में चालू है। स्थानीय लोगों के अनुसार इससे बहुत ज़्यादा प्रदूषण फैलता है। सेंटर फॉर फायनेंशियल अकाउंटेबिलिटी (सीएफए) ने कहा है, “जामनगर में एबेलॉन के चालू डब्ल्यूटीई भस्मक संयंत्र ने नवंबर 2021 में परिचालन शुरू होने के बाद से ही वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और त्वचा रोग, अस्थमा, आंखों में जलन आदि स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनकर अपने आसपास रहने वाले 25,000 लोगों पर उल्लेखनीय नकारात्मक प्रभाव डाला है।”
डब्ल्यूटीई संयंत्र की जगह भारत को टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसमें एकल-उपयोग प्लास्टिक को कम करना, अपशिष्ट पृथक्करण को बढ़ावा देना, संग्रह, पुन: उपयोग और सुरक्षित व समावेशी रीसायक्लिंग सिस्टम जैसे समाधानों को अपनाना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - May 2025
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