युद्ध, तबाही और अनिश्चितता के बावजूद, गाज़ा के वैज्ञानिक अपने शोध कार्य जारी रख रहे हैं। वे इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि शोध न केवल विनाश के दस्तावेज़ीकरण और पुनर्निर्माण प्रयासों में मदद करता है, बल्कि मानवीय संकटों के समाधान के लिए भी आवश्यक है। 19 जनवरी को हमास और इस्राइल के बीच अस्थायी संघर्ष विराम से वैज्ञानिकों को स्थिति का आकलन करने का अवसर मिला है।
न्यूरोसाइंटिस्ट खमीस एलसी, जो वर्तमान में घायलों का इलाज कर रहे हैं, युद्ध के प्रभावों को दर्ज करने और प्रकाशित करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं। इसी तरह, जलवाहित रोगों के विशेषज्ञ सामर अबूज़र सुधार व पुनर्निर्माण में शोध की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हैं। इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, विज्ञान और शिक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के चलते वैज्ञानिकों ने अपना काम जारी रखा है।
युद्ध के कारण गाज़ा की 22 लाख आबादी में से 90 प्रतिशत बेघर हो गई है। भोजन, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं या तो नष्ट हो गई हैं या अत्यधिक सीमित रह गई हैं। बमबारी से तबाह इलाकों से मलबा हटाना एक बड़ी चुनौती है। गाज़ा के प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र में करीब 100 किलोग्राम मलबा जमा है जिसमें खतरनाक पदार्थ भी मौजूद हैं।
गाज़ा में पानी की स्थिति भी गंभीर है। यहां 97 प्रतिशत पानी भूजल स्रोतों से आता है, जो अत्यधिक असुरक्षित हैं और इनके दूषित होने का खतरा भी है। युद्ध से पहले भी महज 10 प्रतिशत लोगों को साफ पानी मिलता था, लेकिन अब मात्र 4 प्रतिशत लोगों को ही मिल रहा है। टूटी-फूटी सीवेज लाइन के कारण गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है, जिससे डायरिया और हेपेटाइटिस जैसी जलवाहित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
युद्ध के कारण गाज़ा के 21 उच्च शिक्षण संस्थानों में से 15 बुरी तरह क्षतिग्रस्त या नष्ट हो चुके हैं। अस्पतालों की स्थिति भी गंभीर है - लगभग आधे पूरी तरह बंद हैं, जबकि बाकी सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहे हैं। कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 11,000 मरीज़ों को न तो इलाज मिल रहा है और न ही उनके पास विदेश में उपचार का कोई अवसर है।  
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि सबसे पहले आवास, सीवेज मरम्मत और स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करना ज़रूरी है। ऑनलाइन-लर्निंग विशेषज्ञ आया अलमशहरावी अस्थायी शिविर और घरों के पुनर्निर्माण के लिए तुरंत कदम उठाने की अपील कर रही हैं। वे खुद एक बमबारी में बचीं, जिसमें उनके अपार्टमेंट में 30 लोगों की जान चली गई, और अब वे एक शरणार्थी शिविर में रह रही हैं।
भारी विनाश के बावजूद, गाज़ा के वैज्ञानिक समुदाय का संकल्प अटूट है। वे इस संकट का दस्तावेज़ीकरण कर रहे हैं और भविष्य के पुनर्निर्माण में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह साबित करता है कि युद्ध के कठिन समय में भी ज्ञान और शोध को आगे बढ़ते रहना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)