समुद्री कछुए अपने भोजन स्थलों को याद रखने के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करते हैं। नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, लॉगरहेड कछुए (Caretta caretta) खास चुंबकीय संकेतों को पहचान सकते हैं, जिससे वे भोजन के स्थान को याद रख पाते हैं, ठीक जीपीएस की तरह।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 62 लॉगरहेड कछुओं का अध्ययन किया। उन्हें पानी से भरे कटोरे में रखा गया, जिसके चारों ओर विद्युत-चुंबक लगे थे जो विशिष्ट चुंबकीय क्षेत्र बनाते थे। प्रत्येक कछुए को एक विशेष चुंबकीय क्षेत्र में रखा गया और उसे स्वादिष्ट भोजन (स्क्विड और न्यूट्रिएंट जेल) दिया गया जिसके नतीजे में कछुओं ने उत्साह में टर्टल डांस (मुंह खोलना, पानी में उछलना और शरीर को पानी से बाहर की ओर लाना) किया।
भोजन न मिलने पर भी, जब कछुओं को वही चुंबकीय क्षेत्र दोबारा अनुभव कराया गया तो उन्होंने खुशी से अपना टर्टल डांस किया। इससे पता चला कि वे भोजन से जुड़े चुंबकीय संकेतों को याद रखते हैं। हैरानी की बात यह है कि उनमें यह याददाश्त कम से कम चार महीने तक बरकरार रही।
अधिक गहराई से समझने के लिए, वैज्ञानिकों ने रेडियोफ्रिक्वेंसी तरंगों का उपयोग किया, जो जीवों की चुंबकीय दिशा-सूचना को बाधित करती हैं। इसके उपयोग से कछुए भ्रमित हुए और दिशा पहचानने में असफल रहे, लेकिन जब भोजन से जुड़े चुंबकीय संकेत दिए गए तो वे फिर से नृत्य करने लगे। इससे यह पता चलता है कि कछुए दो अलग-अलग जैविक प्रणालियों का उपयोग कर सकते हैं - एक दिशा पहचानने के लिए और दूसरी भोजन स्थलों जैसी महत्वपूर्ण जगहों को याद रखने के लिए।
इस खोज से यह भी स्पष्ट होता है कि पक्षी और उभयचर जैसे कई प्रवासी जीव भोजन, प्रजनन स्थल और अनुकूल जलवायु खोजने के लिए दोहरी चुंबकीय प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं।
लॉगरहेड कछुए का मनमोहक नृत्य देखने के लिए: https://phys.org/news/2025-02-sea-turtles-secret-gps-loggerheads.html (स्रोत फीचर्स)
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Srote - May 2025
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