वायरस मनुष्यों को तो संक्रमित करते ही हैं, बैक्टीरिया को भी नहीं छोड़ते। बैक्टीरिया को संक्रमित करने वाले वायरसों को बैक्टीरियाभक्षी या बैक्टीरियोफेज कहते हैं। लेकिन बैक्टीरिया भी अपनी रक्षा के लिए एक असाधारण तरीके का उपयोग कर लेते हैं। हाल ही में साइन्स पत्रिका में प्रकाशित दो अध्ययनों में इस तरीके का खुलासा किया गया है।
दोनों ही समूहों ने बताया है कि बैक्टीरिया एक नया जीन बना लेता है जो उसके पास सामान्यत: नहीं होता। दोनों समूहों ने इस नए जीन को नियो नाम दिया है। यह नियो जीन फिर ऐसे प्रोटीन का निर्माण करवाता है जो वायरस को ठप कर देता है।
इस नए जीन नियो के निर्माण हेतु बैक्टीरिया वायरसों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक एंज़ाइम का उपयोग करते हैं। आम तौर पर माना जाता है कि जेनेटिक सूचना एक ही दिशा में प्रवाहित होती है - डीएनए से आरएनए बनता है और यह आरएनए प्रोटीन बनवाता है।
लेकिन इसी काम को उल्टी दिशा (आरएनए→डीएनए) में चलाने के लिए एक एंज़ाइम ज़रूरी होता है जिसे रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ कहते हैं। यह एंज़ाइम ट्यूमर पैदा करने वाले वायरसों में पाया गया था, और संभवत: यही एंज़ाइम एड्स वायरस (एच.आई.वी.) को हमारी कोशिकाओं पर प्रभुत्व जमाने में कारगर बनाता है।
एक रोचक बात यह है कि कई बैक्टीरिया भी रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ बना सकते हैं। और उपरोक्त दो अध्ययनों से यही पता चला है कि कम से कम एक बैक्टीरिया प्रजाति इस एंज़ाइम का उपयोग करके वायरस को पछाड़ देती है।
दरअसल, 2020 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के आणविक जीव विज्ञानी फेंग ज़ांग ने बैक्टीरिया में वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा का पता लगाया था। उपरोक्त दोनों समूह इसी प्रतिरक्षा की क्रियाविधि समझने की कोशिश कर रहे थे।
इस प्रतिरक्षा तंत्र को कोड करने वाले बैक्टीरिया के डीएनए में एक खंड होता है जो एक छोटा आरएनए अणु बनवा सकता है लेकिन वह आरएनए किसी प्रोटीन में अनुदित नहीं होता। इसी में रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ एंज़ाइम का जीन भी पाया जाता है। लेकिन यह एंज़ाइम तो प्रोटीन का निर्माण करवाएगा नहीं बल्कि आरएनए से डीएनए बनवाएगा। फिर यह बैक्टीरिया को वायरस से कैसे बचाता होगा।
इसकी आगे छानबीन करने के लिए दोनों टीम्स ने प्रतिरक्षा तंत्र का यह डीएनए एक अन्य बैक्टीरिया एशरीशिया कोली (ई.कोली) में डाल दिया जिसके साथ काम करना अपेक्षाकृत आसान होता है। ऐसा करने पर देखा गया कि ई. कोली की कोशिका में वायरस का हमला होने पर रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ की मदद से उस रहस्यमय छोटे आरएनए की डीएनए प्रतिलिपियां बनने लगीं - यही वह जीन नियो था। अलबत्ता, दोनों समूहों ने पाया कि इस तरह बने डीएनए में उस आरएनए शृंखला की प्रतिलिपि एक बार नहीं, बल्कि कई बार बनी थी और वे आपस में जुड़ी हुई थीं।
अब यह जीन सामान्य प्रोटीन-निर्माता जीन की तरह काम करने लगता है। यह तभी बनता है जब कोई वायरस इस बैक्टीरिया पर हमला करता है और इसके द्वारा बनाया गया प्रोटीन कोशिका को सुप्तावस्था में ढकेल देता है। अब जब मेज़बान (यानी उस बैक्टीरिया) में तालाबंदी हो गई है तो मेहमान वायरस की प्रतिलिपियां (यानी नए-नए वायरस) बनना रुक जाते हैं क्योंकि उन्हें इस काम के लिए संसाधन ही नहीं मिल पाते।
अब यह जानना बाकी है कि बैक्टीरिया कोशिका अपनी सामान्य वायरस रोधी प्रक्रियाओं की बजाय इस क्रियाविधि का उपयोग कब करती हैं। वैसे शोधकर्ताओं का विचार है कि इस क्रियाविधि का पूरा खुलासा होने पर वायरसों से निपटने के नए रास्ते खुलेंगे। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - December 2024
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