कोस्टा रिका और पनामा के वर्षा वनों में वॉटर एनोल (Anolis aquaticus) नामक एक छोटी, अर्ध-जलीय छिपकली में जान बचाने के लिए अनोखी रणनीति विकसित हुई है। यह पानी के अंदर हवा के बुलबुले बनाकर उन्हें ऑक्सीजन टैंक की तरह इस्तेमाल करती है। इस तकनीक से छिपकली लंबे समय तक पानी में छिपकर पक्षियों और सांप जैसे शिकारियों से स्वयं को सुरक्षित रखती है।
गौरतलब है कि वैज्ञानिक लंबे समय से इन छिपकलियों को हवा के बुलबुले बनाते हुए देखते आए हैं। बुलबुले पानी में गोता लगाने के दौरान छिपकलियों के नथुने से चिपके रहते हैं, इन बुलबुलों की हवा का उपयोग कर वे लगभग 16 मिनट तक पानी के नीचे रह सकती हैं। यह समय किसी भी अन्य छिपकली की तुलना में अधिक है। लेकिन शोधकर्ताओं को यह स्पष्ट नहीं था कि ये बुलबुले वास्तव में उन्हें पानी में लंबे समय तक गोता लगाने में मदद करते हैं या यह एक संयोग मात्र है।
इसे समझने के लिए जीवविज्ञानियों ने प्राकृतिक स्थिति में रह रही कुछ वाॉटर एनोल के थूथन पर मॉइश्चराइज़र लगाया ताकि उन्हें बुलबुले बनाने से रोका जा सके और फिर यह देखा कि छिपकलियां कितने समय तक पानी में डूबी रह सकती हैं। बुलबुले बनाने वाली छिपकलियां, बुलबुले न बनाने वाली छिपकलियों की तुलना में एक मिनट से ज़्यादा समय तक पानी के नीचे रहीं। शोधकर्ताओं के अनुसार गोता लगाने के समय को बढ़ाने की क्षमता उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यह उन्हें शिकारियों से छिपने के समय में बढ़त देती है।
इस अध्ययन से कुछ नए सवाल भी उठते हैं। जैसे ये बुलबुले कैसे काम कर रहे होंगे। शोधकर्ता फिलहाल यह देखना चाहते हैं कि क्या बुलबुले आसपास के पानी के साथ गैस का आदान-प्रदान भी करते हैं। यदि छिपकलियां अतिरिक्त ऑक्सीजन लेकर कार्बन डाईऑक्साइड बाहर निकालती हैं तो यह बुलबुला और भी अधिक कुशल हो सकता है।
अपनी अनोखी रणनीति से परे, जल एनोल मानव प्रौद्योगिकी के लिए प्रेरणा हो सकते हैं। इन छिपकलियों तथा कीटों जैसे अन्य जलीय जीवों द्वारा बुलबुले का उपयोग करने के तरीके का अध्ययन करके, इंजीनियर ऐसी नई सामग्री विकसित कर सकते हैं जो पानी के नीचे हवा को कैद करके रख सकती है, साफ रह सकती है या तरल पदार्थों में अधिक आसानी से घूम सकती है। (स्रोत फीचर्स)