ततैया की तकरीबन 200 प्रजातियां परजीवी हैं। इनकी मादाएं अपने अंडे किसी अकशेरुकी जीव के अंदर देती हैं। अंडों से निकलने के बाद ततैया के लार्वा अपने मेजबान को अपना भोजन बनाते हैं, और अंतत: उसे काल के हवाले कर खुद उसके शरीर से बाहर निकल आते हैं।
अंडे देने के लिए अधिकतर ततैया की पहली पसंद फलमक्खियों (ड्रॉसोफिला) के जीवित लार्वा-प्यूपा होते हैं। लार्वा या प्यूपा को चुनने का एक कारण यह होता है कि ये छोटे होते हैं, आसानी से पकड़ में आ जाते हैं और शिकार बन जाते हैं; वयस्क मेजबान एक तो आकार में बड़े होते हैं, ऊपर से उनके पास मुकाबला करने, डराने या बच निकलने की क्षमताएं भी होती हैं। इसलिए वयस्कों में अंडे देना ज़रा मुश्किल काम है। (कितना मुश्किल है इसका अंदाज़ा इस वीडियो को देखकर लगाया जा सकता है: https://static-content.springer.com/esm/art%3A10.1038%2Fs41586-024-07919-7/MediaObjects/41586_2024_7919_MOESM11_ESM.mp4
बहरहाल, हाल ही में जीवविज्ञानियों ने एक ऐसी ततैया पहचानी है जो वयस्क फलमक्खियों को अपना शिकार बनाती है और उनमें अंडे देती हैं।
https://static-content.springer.com/esm/art%3A10.1038%2Fs41586-024-07919-7/MediaObjects/41586_2024_7919_MOESM9_ESM.mp4
इस ततैया को शोधकर्ताओं ने सिनट्रेटस पर्लमैनी (Syntretus perlmani) नाम दिया है। इस नई ततैया को यह नाम परजीवियों पर भरपूर शोध करने वाले स्टीव पर्लमैन के नाम पर दिया है।
दरअसल शोधकर्ता मिसिसिपी स्थित अपनी प्रयोगशाला के कैंपस में फैलाए गए जाल में फंसी फलमक्खियों में कृमि संक्रमण की पड़ताल कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें ऐसी वयस्क नर फलमक्खी मिली जिसके अंदर ततैया का लार्वा था। अब शोधकर्ता जानना चाहते थे कि एस. पर्लमैनी ततैया वास्तव में कितनी वयस्क फलमक्खियों को शिकार बनाती हैं। इसके लिए शोधकर्ताओं ने करीब 6000 नर फलमक्खियां और करीब 500 मादा फल मक्खियों की पड़ताल की। अंडे देने के 7 से 18 दिन के बाद, बिना किसी चीरफाड़ के नर फलमक्खी में तो आसानी से दिख जाता है कि किनके अंदर ततैया का लार्वा है और किनके अंदर नहीं। दूसरी ओर, मादा फलमक्खी में लार्वा होने की पुष्टि चीरफाड़ करके ही की जा सकी।
विश्लेषण में पाया गया कि एस. पर्लमेनी ततैया हर साल 0.5-3 प्रतिशत तक वयस्क नर मक्खियों को अपना मेज़बान बनाती है। इसके विपरीत मात्र एक मादा फलमक्खी में ततैया के लार्वा मिले।
शोधकर्ताओं का विचार है कि संभवत: वयस्क मक्खी को शिकार बनाने के कुछ फायदे होंगे। जैसे लार्वा-प्यूपा की तुलना में वयस्क फलमक्खी ततैयों के लार्वा की सुरक्षा कर सकते हैं; यह भी संभव है कि वयस्क फलमक्खियों की प्रतिरक्षा प्रणाली लार्वा की तुलना में कम प्रभावी हो और इसके चलते लार्वा को बाहर धकेले जाने का खतरा कम होता हो। और वयस्कों को मेज़बा न बनाने से लार्वा-प्यूपा के लिए प्रतिस्पर्धा कम हो जाती होगी।
नेचर में प्रकाशित ये नतीजे ततैया के व्यवहार में विविधता को उजागर करते हैं और आगे के अध्ययन के लिए ज़मीन बनाते हैं। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - December 2024
- एड्स: सामाजिक-वैज्ञानिक काम बना लास्कर का हकदार
- चिकित्सा अनुसंधान के लिए लास्कर पुरस्कार
- बुनियादी चिकित्सा अनुसंधान के लिए लास्कर पुरस्कार
- मानवीकृत चूहे महामारी से बचाएंगे
- वायरस के हमले से बैक्टीरिया अपनी रक्षा कैसे करते हैं?
- वयस्क फलमक्खी भी बनती है ततैयों का शिकार
- शिकारियों से बचने के लिए बुलबुले का सहारा
- जीव-जंतुओं की रक्षा के बेहतर प्रयास चाहिए
- टापुओं के चूहों के विरुद्ध वैश्विक जंग
- सिर पटककर बंबलबी ज़्यादा परागकण प्राप्त करती है
- क्या बिल्लियों को अपनी कद-काठी का अंदाज़ा होता है?
- एक पक्षी की अनोखी प्रणयलीला
- चींटियों ने कीटभक्षी पक्षियों को ऊपरी इलाकों में खदेड़ा
- भारत के नमकीन रेगिस्तान में जीवन
- जलवायु परिवर्तन के साथ अनुकूलन
- भूमध्य सागर सूखने पर जीवन उथल-पुथल हुआ था
- ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने की नई रणनीति: काष्ठ तिज़ोरियां
- ई-कचरा प्रबंधन: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की भूमिका
- यूएस चुनाव: बंदर बताएंगे हार-जीत!
- हड्डियों के विश्लेषण से धूम्रपान आदतों की खोज