करंट बायोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पता चला है कि बंबलबी जिन फूलों का परागण करती है, उन पर ज़्यादा माथा पटकती है। परिणाम यह होता है कि परागकोशों में भरे परागकण ज़्यादा मात्रा में बाहर निकलते हैं। यह सही है कि कई फूलों में परागकोशों में परागकण बाहर ही होते हैं और यहां सिर पटकने की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन कई फूलों में परागकण कोश के अंदर होते हैं। ऐसे फूलों के मामले में परागण की क्रिया बहुत आसान नहीं होती। यहां गुंजन परागण काम आता है। गुंजन परागण का मतलब होता है कि बंबलबी ध्वनि कंपन पैदा करती है ताकि उस फूल में कंपन हो और परागकोश के अंदर भरे परागकण बाहर आ जाएं। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 9 प्रतिशत पौधे इसी तरह के परागण के भरोसे हैं और इनमें आलू, टमाटर व मटर जैसे कई फसली पौधे भी शामिल हैं।
वैसे कीटों के लिए गुंजन-परागित फूलों के परागकणों को बटोरना आसान नहीं होता। क्योंकि ऐसे फूलों में परागकण नलीनुमा परागकोशों में भरे होते हैं और इनमें एक बारीक सा सुराख होता है। लेकिन कुछ मधुमक्खियां (बंबलबी सहित) ऐसे फूलों पर बैठ जाती हैं और अपने पंखों को जमकर फड़फड़ाती हैं। यानी वे गुंजन करती हैं और इसके कंपन परागकोश को कंपायमान कर देते हैं। ऐसा होने पर परागकण बाहर छलकने लगते हैं।
वैज्ञानिक यह तो दर्शा चुके हैं कि कोई मधुमक्खी जितने अधिक कंपन पैदा करती है, उतने ही अधिक परागकण उसे हासिल होते हैं। लेकिन यह एक रहस्य था कि बंबलबी कंपन पैदा करने में इतनी कुशल कैसे होती है। इसे समझने के लिए उपसला विश्वविद्यालय के चार्ली वुडरो ने बंबलबी के व्यवहार को बारीकी से देखा। अधिकांश शोधकर्ता मानते आए थे कि मधुमक्खियां गुनगुनाते समय खुद को स्थिरता प्रदान करने के लिए कभी-कभार फूलों को काटती हैं। लेकिन इसी व्यवहार के हाई स्पीड वीडियो में नज़र आया कि ये कीट तो अपने सिर और वक्ष को तेज़ी से हिलाते रहते हैं।
तो, वुडरो और उनके साथियों ने एक बंबलबी (Bombus terrestris) का वीडियो बनाया। उन्होंने खास तौर से उस समय के वीडियो रिकॉर्ड किए जब वे दो तरह के गुंजन-परागित फूलों के परागकोशों पर पहुंचीं।
इस तरह की वीडियोग्राफी में शोधकर्ता यह भी मापन कर पाए कि बंबलबी के कंपनों के जवाब में फूलों में कितने कंपन हुए। पता चला कि जब गुनगुनाती बंबलबी परागकोश को काटती हैं तो तीन गुना अधिक कंपन फूलों तक पहुंचते हैं। यह भी देखा गया कि काटने वाली बंबलबी ने परागकोश से ज़्यादा परागकण छलकाए।
अलबत्ता, इन अवलोकनों ने कई नए सवालों को भी जन्म दिया है। जैसे बंबलबी फूलों पर पहुंचकर लगातार परागकोशों को काटती नहीं रहती हैं। यह पता करना रोचक होगा कि वे कब ऐसा करती हैं। दूसरा अवलोकन यह था कि जब वे काटती हैं तो उनका सिर ‘सिर चकरा देने’ की हद तक कंपन करता है। यह जानना दिलचस्प होगा कि वे ऐसा कैसे कर पाती हैं। यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि क्या बंबलबी के व्यवहार का फूल के प्रकार से भी कुछ सम्बंध है। (स्रोत फीचर्स)