हाल ही में भारत स्थित श्रीहरिकोटा से निसार (NISAR – NASA–ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह का प्रक्षेपण हुआ है। यह उपग्रह वैज्ञानिकों को पृथ्वी की बदलती सतह की बेहद सटीक (1 सेंटीमीटर की सूक्ष्मता तक) तस्वीर दे सकता है। 1.2 अरब डॉलर की लागत वाला यह नासा और इसरो का अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त मिशन है, जिसका उद्देश्य ग्रह की निगरानी के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
सफलतापूर्वक स्थापित हो जाने के बाद, अगले 90 दिनों में, निसार अपनी 12 मीटर चौड़ी रडार एंटेना फैलाकर पृथ्वी पर सिग्नल भेजना शुरू कर देगा। यह हर 12 दिन में लगभग पूरी पृथ्वी को दो बार स्कैन करेगा। और चाहे बादल हों या अंधेरा, किसी भी परिस्थिति में यह ज़मीन व बर्फ में होने वाले सभी बदलावों को दर्ज करेगा।
निसार में दो रडार सिस्टम हैं — एक नासा का और एक इसरो का — जो अलग-अलग तरंगदैर्घ्य पर काम करते हैं। ये दुनिया भर में मिट्टी की नमी, जंगलों में पेड़ों की संख्या, ग्लेशियरों की गति और अन्य पर्यावरणीय बदलावों पर नज़र रखेंगे।
इसके अलावा, निसार तेज़ निगरानी आपदा प्रबंधन में भी बड़ा बदलाव ला सकता है। यह भूकंप के बाद ज़मीन में आए बदलाव, भूस्खलन की आशंका वाले ढलानों और बाढ़ग्रस्त इलाकों का लगभग वास्तविक समय में पता लगा सकता है। ऐसे समय पर मिले ये आंकड़े राहत दलों को प्राथमिकता तय करने और तेज़ी से कार्रवाई करने में मदद करेंगे, जिससे जानें बचाई जा सकती है।
हालांकि वर्ष 2026 से अमेरिकी सरकार नासा के पृथ्वी विज्ञान बजट में 50 फीसदी से अधिक कटौती कर सकती है। इससे कई बड़े मिशन रद्द हो सकते हैं और वर्तमान परियोजनाएं बंद हो सकती हैं। फिलहाल निसार को फंडिंग मिली हुई है। लेकिन भविष्य में फंडिंग की अनिश्चितता का साया तो डोल ही रहा है। इतनी बड़ी कटौतियां पृथ्वी में हो रहे बदलावों को समझने की क्षमता को कमज़ोर कर सकती हैं। (स्रोत फीचर्स)

