झींगे कई मायनों में लचीले होते हैं। कई प्रजातियों का यह लचीलापन उनके रहने के स्थानों में भी दिखाई देता है। झींगे समुद्री साही से लेकर घोंघे जैसे जीवों के शरीर में मेहमानी करते हैं। अब, एक नए अध्ययन में पता चला है कि इनमें से कई झींगों ने पिछली कई सहस्राब्दियों में अपने मेज़बान कई बार बदले हैं - और कभी-कभी तो घूमते-फिरते ये अपने मूल मेज़बान पर वापस आ गए हैं। और तो और, इनमें से कई मेज़बान आपस में सिर्फ दूर के सम्बंधी हैं।
झींगों की इन मेज़बान-बदली के अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने आनुवंशिक और अवलोकन सम्बंधी डैटा का सुंदर मिला-जुला उपयोग किया है। उन्होंने पाया कि एक तरह के पैलेमोनिड झींगों के पूर्वज किसी समय एसिडियन्स के अंदर रहते थे; एसिडियन नलीनुमा जीवों का एक समूह जिसमें ट्यूनिकेट्स और समुद्री स्क्वर्ट शामिल हैं। झींगों के कुछ वंशजों ने कुछ एसिडियन जीवों को ही अपना मेज़बान बनाए रखा। लेकिन विकासक्रम में कम से कम एक प्रजाति ने अपने मेज़बान कम से कम छह बार बदले – क्लैम से लेकर घोंघे और कॉकल्स तक। और इनमें से कुछ वंशज झींगों ने बाद में एसिडियन्स को ही अपना मेज़बान बना लिया।
शोधकर्ताओं का मानना है कि झींगों की जीवन शैली में होने वाले ये आमूल-चूल परिवर्तन संभवत: एसिडियन और सीपियों की रचना में समानता के कारण संभव हुए होंगे। यह रिपोर्ट कॉन्ट्रीब्यूशन टू ज़ुऑलॉजी में प्रकाशित हुई हैं। एसिडियन में मेज़बानी करने वाले झींगे ग्रसनी के अंदर रहते हैं, जहां पानी से भोजन को छाना जाता है। ग्रसनी में ये झींगे म्यूकस और खाद्य कण खाते हैं। एसिडियन की यह रचना सीपियों की मेंटल गुहा के समान होती है - शरीर का यह खोखला हिस्सा भोजन, उत्सर्जन और श्वसन के लिए उपयोग किया जाता है। वास्तव में, सीपियों के अंदर रहने वाले झींगे अपने मेज़बानों का उसी तरह फायदा उठाते हैं – वहां भी इनका भोजन म्यूकस और अपशिष्ट पदार्थ होते हैं।
शोधकर्ताओं को लगता है कि अन्य अंत:सहजीवी झींगों के मेज़बानों का अध्ययन करने पर उनमें भी मेजबानों के बीच इसी तरह की छलांग दिख सकती है। (स्रोत फीचर्स)