यह लेख वास्तव में जून के पहले सप्ताह में समाचार पत्रों के लिए जारी किया गया था। ये सभी घटनाएं अब होे चुकी होंगी, फिर भी संदर्भ के लिए इसे यहां शामिल किया जा रहा है। वैसे जुलाई माह के आकाश के लिए आप निम्नलिखित वेबसाइट पर जा सकते हैं: https://www.businessinsider.in/science/space/news/major-skywatching-events-in-2022-from-alignment-of-planets-meteor-showers-to-eclipses-and-more/slidelist/88697991.cms

साल का पहला सुपरमून
14 जून को पूर्णिमा होगी और सुपरमून की घटना घटित होगी। पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में होगी और चंद्रमा का प्रकाशित भाग हमें पूरा का पूरा दिखाई देगा। यह स्थिति शाम 5 बजकर 21 मिनट पर होगी। वैसे यह वह समय है जब सूरज और चंद्रमा एकदम एक सीध में होंगे। पूर्णिमा और सुपरमून तो पूरी रात रहेगा। जून माह की पूर्णिमा को मूल अमेरिकी जनजातियों द्वारा स्ट्रॉबेरी मून कहा जाता है क्योंकि यह स्ट्रॉबेरी फल के पकने और चुनने के समय का संकेत देती है। इस चंद्रमा को रोज़ मून और हनीमून के नाम से भी जाना जाता है। यह 2022 में होने वाले दो सुपरमून में से पहला है। चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होगा और सामान्य से थोड़ा बड़ा और चमकीला दिखाई देगा।
सुपरमून तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। दूसरी ओर, एक माइक्रोमून भी होता है। यह तब होता है जब पूर्ण या नव चंद्रमा एपोजी के पास होता है। चंद्रमा की कक्षा में पृथ्वी के सबसे निकट का बिंदु पेरिजी और सबसे दूर का बिंदु एपोजी कहलाता है।
पृथ्वी की तरह, चंद्रमा की कक्षा भी पूर्ण वृत्ताकार नहीं है बल्कि अण्डाकार है। नतीजतन, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी पूरे साल बदलती रहती है। औसतन यह दूरी लगभग 3,82,900 किलोमीटर है।
सुपरमून तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से 3,60,000 किलोमीटर से कम दूरी पर होता है। इसके विपरीत माइक्रोमून तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से 4,05,000 किलोमीटर से अधिक दूर होता है। पूर्णिमा के दिन माइक्रोमून की तुलना में सुपरमून लगभग 30 प्रतिशत अधिक चमकीला और औसत पूर्ण चंद्रमा की तुलना में लगभग 16 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई देता है।

बुध दर्शन
16 जून को बुध सूर्य से सबसे ज़्यादा कोणीय दूरी पर होगा। तब यह सूर्य के 23.2 डिग्री पश्चिम में स्थित होगा और 0.4 के मैग्नीट्यूड पर चमकेगा। बुध को देखने का यह सबसे अच्छा समय होगा क्योंकि यह सुबह क्षितिज पर अपने उच्चतम बिंदु पर नज़र आएगा। सूर्याेदय से ठीक पहले पूर्वी आकाश में इस ग्रह को तलाश किया जा सकता है।
बुध की कक्षा पृथ्वी की तुलना में सूर्य के अधिक निकट है, जिससे यह हमेशा सूर्य के करीब दिखाई देता है और अधिकांश समय सूर्य की चमक के कारण फीका रहता है। आप इसे केवल कुछ दिनों के लिए ही देख सकते हैं - तब जब यह सूर्य से सबसे अधिक कोणीय दूरी पर पहुंच जाता है। यह घटना 3-4 महीने में एक बार होती है, और बारी-बारी से सुबह या शाम के समय होती है जो इस बात पर निर्भर करता है कि बुध सूर्य के पूर्व में है या पश्चिम में। जब बुध सूर्य के पश्चिम में स्थित होता है, तो यह पहले उगता है और सूर्य के ठीक पहले अस्त हो जाता है। बुध ग्रह को देखने या उसकी तस्वीर लेने का सबसे अच्छा समय सूर्याेदय से कुछ देर पहले का है।

जून संक्रांति

21 जून को जून संक्रांति की घटना घटित होगी। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है। इस दिन को ग्रीष्म अयनांत या संक्रांति कहा जाता है। जून संक्रांति दोपहर 02:43 बजे होगी। इस समय पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है, और 23.44 डिग्री उत्तरी अक्षांश (कर्क रेखा) पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं।
यह एक प्राकृतिक घटना है जो पृथ्वी के प्रत्येक गोलार्ध में वर्ष में दो बार होती है, एक बार ग्रीष्म ऋतु में और एक बार शीत ऋतु में। जून संक्रांति के दिन उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है। इस दौरान उत्तरी गोलार्ध के देश सूर्य के सबसे निकट होते हैं और सूर्य कर्क रेखा, जो 23.5 डिग्री उत्तर में स्थित है, पर सीधे चमकता है। दिनों की बदलती लंबाई का कारण पृथ्वी का झुकाव है। पृथ्वी का घूर्णन अक्ष अपने कक्षीय तल से 23.5 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है। इसी झुकाव के कारण पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर सूर्य के प्रकाश की अवधि में भिन्नता होती है और दिनों की लंबाई अलग-अलग होती है।
दूसरी संक्रांति दिसंबर में होती है जब उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबी रातें होती हैं। इसे शीतकालीन संक्रांति या मकर संक्रांति भी कहते हैं।

चंद्रमा और शनि की युति
18 जून को चंद्रमा और शनि की युति की घटना घटित होगी। शनि चंद्रमा के 4.3° उत्तर में शाम 5ः52 बजे गुज़रेगा। वैसे आकाश में शनि और चंद्रमा को कई दिनों तक पास-पास देखा जा सकेगा। तब चंद्रमा मैग्नीट्यूड -12.4 और शनि मैग्नीट्यूड 0.5 पर चमकेगा। उस समय चंद्र कला 97.7 प्रतिशत होगी। इस घटना के दौरान शनि और चंद्रमा पास दिखाई देंगे।

चंद्रमा और बृहस्पति की युति
21 जून को बृहस्पति और चंद्रमा की युति होगी, वैसे तो यह घटना लंबे समय तक देखी जा सकेगी लेकिन शाम 05ः05 बजे बृहस्पति चंद्रमा के 24° उत्तर में होगा। उस समय चंद्रमा -11.8 के मैग्नीट्यूड पर और बृहस्पति -2.4 के मैग्नीट्यूड पर चमकेगा। चंद्र कला 45.55 प्रतिशत होगी।

चंद्रमा और मंगल की युति
22 जून को मंगल और चंद्रमा पास-पास दिखाई देंगे। रात 11.43 बजे मंगल चंद्रमा के 0.6° उत्तर में गुज़रता दिखाई देगा। इससे पहले और बाद में भी ये पास-पास नज़र आएंगे। तब चंद्रमा का मैग्नीट्यूड -11.14 और मंगल का मैग्नीट्यूड 0.5 रहेगा। इस समय चंद्र कला 33.5 प्रतिशत होगी। इस घटना के दौरान मंगल और चंद्रमा पास-पास दिखाई देंगे।

चंद्रमा और शुक्र की युति
26 जून को शुक्र और चंद्रमा पास-पास दिखाई देंगे। दोपहर 1:41 बजे शुक्र चंद्रमा के 24° उत्तर में गुज़रता दिखाई देगा। तब चंद्रमा का मैग्नीट्यूड -9.6 और शुक्र का मैग्नीट्यूड -3.9 रहेगा। इस समय चंद्र कला 6.9 प्रतिशत होगी। इस घटना के दौरान काफी समय तक शुक्र और चंद्रमा पास दिखाई देंगे।

चंद्रमा और बुध की युति
27 जून को चंद्रमा और बुध की युति की घटना घटित होगी। दोपहर 1:50 बजे बुध चंद्रमा के 3.6° दक्षिण में गुज़रेगा। तब चंद्रमा -8.6 के मैग्नीट्यूड पर और बुध -0.5 के मैग्नीट्यूड पर चमकेगा। उस समय चंद्र कला 2.9 प्रतिशत होगी। दिन के समय है तो हम नहीं देख सकेंगे। (स्रोत फीचर्स)