ओमिक्रॉन संस्करण के उभार ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि ओमिक्रॉन ऐसे लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है जो पूर्व में वायरस के प्रभाव से उबर चुके हैं। अर्थात यह नया संस्करण प्रतिरक्षा तंत्र के कुछ हिस्सों को चकमा देने में सक्षम है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह संस्करण टीका-प्रेरित प्रतिरक्षा से भी बच सकता है।
दक्षिण अफ्रीका बड़े पैमाने पर कोविड-19 की तीन लहरों - मूल वायरस, बीटा संस्करण और डेल्टा संस्करण - का सामना कर चुका है। अध्ययनों से पता चलता है कि पूर्व-संक्रमण ने बीटा और डेल्टा के विरुद्ध अपूर्ण लेकिन महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान की थी और उम्मीद थी कि दक्षिण अफ्रीका ने झुंड-प्रतिरक्षा विकसित कर ली होगी। लेकिन वैज्ञानिकों को डर है कि ओमिक्रॉन में ऐसे कई उत्परिवर्तन हैं जो प्रतिरक्षा को भेदने में सक्षम हैं।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन में 28 लाख पॉज़िटिव मामलों में से 35,670 पुन: संक्रमण के मामले थे। हालांकि, इस अध्ययन में न तो यह बताया गया है कि ओमिक्रॉन किस हद तक लोगों को बीमार करता है और न ही इसमें टीकाकृत लोगों की स्थिति पर कोई चर्चा की गई है। संभावना है कि पूर्व संक्रमण या टीकाकरण गंभीर बीमारी से कुछ हद तक बचा सकेगा।
दक्षिण अफ्रीका की महामारीविद जूलियट पुलियम और उनके सहयोगियों ने पाया कि प्रयोगशाला में बीटा संस्करण पूर्व में संक्रमित लोगों की प्रतिरक्षा से बच निकलने में सक्षम है। वे इस व्यवहार को वास्तविक परिस्थिति में समझना चाहते थे।
शोधकर्ताओं ने व्यापक डैटा का उपयोग करते हुए पुन:संक्रमण की संख्या का विश्लेषण किया। पुन:संक्रमण को प्रारंभिक संक्रमण के 90 दिनों से अधिक समय बाद पॉज़िटिव परीक्षण के रूप में परिभाषित किया गया। उन्होंने पाया कि पूर्व-संक्रमणों ने बीटा और डेल्टा लहरों के दौरान लोगों के संक्रमित होने के जोखिम को कम किया है। इस वर्ष अक्टूबर में जब संक्रमण दर काफी कम थी तब पुलियम ने कुछ विचित्र डैटा देखा। उन्होंने पाया कि पहली बार संक्रमण का जोखिम तो कम हो रहा है (संभवतः टीकाकरण में वृद्धि के कारण) लेकिन पुन: संक्रमण का जोखिम तेज़ी से बढ़ रहा है। ओमिक्रॉन की खोज ने कुछ हद तक इस गुत्थी को सुलझा दिया।
हालांकि इस बारे में काफी अनिश्चितताएं हैं लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्व-संक्रमण डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन के विरुद्ध सिर्फ आधी सुरक्षा देता है।
फिलहाल तो सभी की निगाहें दक्षिण अफ्रीका के अस्पतालों पर टिकी हैं जो एक बार फिर कोविड-19 रोगियों से भरने लगे हैं। इन्हीं स्थानों पर शोधकर्ताओं को कुछ सुराग मिलने की उम्मीद है जिससे यह पता चल सकेगा कि पूर्व के संक्रमण या टीकाकरण किस हद तक पुन:संक्रमण की संभावना व गंभीरता को कम करते हैं। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - February 2022
- विज्ञान अनुसंधान: 2021 में हुई कुछ महत्वपूर्ण खोजें
- विज्ञान अनुसंधान: 2022 से अपेक्षाएं
- हरगोविन्द खुराना जन्म शताब्दी
- कोविड-19: वास्तविक मौतें आंकड़ों से कहीं अधिक
- कोविड का आंख और कान पर प्रभाव
- ओमिक्रॉन से सम्बंधित चिंताजनक डैटा
- पेटेंट पूलिंग से दवाइयों तक गरीबों की पहुंच
- गर्मी के झटके और शीत संवेदना
- खुजली तरह-तरह की
- हिचकी से तुरंत राहत का उपाय
- भारत ने ‘जनसंख्या बम' को निष्क्रिय किया
- अफवाह फैलाने में व्यक्तित्व की भूमिका
- डिमेंशिया को संभालने में संगीत की भूमिका
- प्राचीन यूनानी अक्षम बच्चों को नहीं मारते थे
- रासायनिक आबंध की मज़बूती
- कुछ धूमकेतु हरे क्यों चमकते हैं?
- केन-बेतवा लिंक परियोजना के दूसरे पक्ष पर भी ध्यान दें
- न्यूज़ीलैंड में सिगरेट बिक्री पर प्रतिबंध की तैयारी
- जलवायु परिवर्तन से सबसे बड़े मत्स्य-भंडार को खतरा
- कार्बन सोखने के लिए समुद्र में उर्वरण
- ज़हरीले रसायन वापस उगल रहा है समुद्र
- प्रजनन करते रोबोट!
- स्पिटलबग कीट का थूकनुमा घोंसला
- बैक्टीरिया संक्रमित कीट सर्दियों में ज़्यादा सक्रिय रहते हैं
- इस सहस्रपाद की वाकई हज़ार टांगें होती हैं
- मैडागास्कर में मिली मेंढक की नई प्रजाति