विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी के सम्बंध में एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ मामलों में स्थिति बेहतर हुई है मगर पर्याप्त रूप से नहीं। यह रिपोर्ट स्कोपस नामक डैटाबेस पर आधारित है और इसमें पिछले दो दशकों के रुझानों का विश्लेषण किया गया है। स्कोपस शोध पत्रों के सारांश और उनको उद्धरित किए जाने के आंकड़ों का डैटाबेस है। हालांकि विश्व स्तर पर वैज्ञानिक अनुसंधान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है किंतु क्षेत्रीय विविधताएं मौजूद हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सारे क्षेत्रों में महिला वैज्ञानिक पुरुष वैज्ञानिकों की अपेक्षा कम शोध पत्र प्रकाशित कर रही हैं।
जिन 12 देशों और क्षेत्रों का अध्ययन किया गया उनमें से 11 में शोधकर्ताओं में महिलाओं का प्रतिशत 38 से लेकर 49 तक है। ब्राज़ील और पुर्तगाल में महिला शोधकर्ताओं की भागीदारी सर्वाधिक (49 प्रतिशत) है तो जापान में सबसे कम (मात्र 20 प्रतिशत)। वैसे कई देशों में पिछले दो दशकों में विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि देखी गई है।
तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि अध्ययन किए गए 12 में से 11 क्षेत्रों में शोध पत्रों के प्रकाशन में जेंडर का अंतर बरकरार है। सिर्फ जापान ही एक ऐसा देश है जहां शोधकर्ताओं में महिलाओं की संख्या कम होने (मात्र 20 प्रतिशत) के बावजूद उनके द्वारा प्रकाशित शोध पत्रों की संख्या पुरुष शोधकर्ताओं से ज़्यादा है। इस संदर्भ में जापान साइन्स एंड टेक्नॉलॉजी एजेंसी में विविधता व समावेशन कार्यालय के मियोको वातानाबे का मत है कि महिला शोधकर्ता घरेलू ज़िम्मेदारियां संभालते हुए भी यदि ज़्यादा प्रकाशन कर रही हैं तो इसका मतलब है कि वे कहीं अधिक कार्यक्षमता से अपना काम करती हैं।
उपरोक्त रिपोर्ट में संयुक्त शोध परियोजनाओं तथा अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता में जेंडर अंतरों का भी विश्लेषण किया गया है। पता चलता है कि जहां महिलाओं का शोध ज़्यादा बहुविषयी होता है वहीं उनके अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त शोध परियोजनाओं में भागीदार होने की संभावना कम होती है और उनकी अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता भी कम होती है। रिपोर्ट में सबसे अच्छी बात यह पता चली है कि जेंडर मुद्दों पर अनुसंधान में वृद्धि हो रही है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - May 2017
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