परीक्षा से पहले एक घंटा बचा हो तो आप क्या करेंगे? बैठकर एक बार फिर से विषय को दोहराएंगे या एक झपकी ले लेंगे? ताज़ा शोध दर्शाता है कि शायद झपकी लेना बेहतर होगा।
यह तो कई बार कहा जा चुका है कि याददाश्त को सुदृढ़ करने में नींद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि किसी बात को बार-बार दोहराने से भी याददाश्त मज़बूत होती है। तो सिंगापुर के ड्यूक एन.यू.एस. मेडिकल स्कूल के जेम्स कज़िन्स, माइकेल ची और उनके साथियों ने सोचा कि इस सम्बंध में एक व्यवस्थित अध्ययन किया जाना चाहिए।
शोधकर्ता दल ने इस अध्ययन के लिए 72 वालंटियर्स लिए। उन्हें चींटियों और केकड़ों की 12 अलग-अलग प्रजातियों के बारे में पढ़ाया गया। उनसे कहा गया था कि वे इन प्रजातियों के प्राकृत वास, भोजन वगैरह के बारे में सब कुछ सीख लें। 80 मिनट की इस कक्षा के बाद उन्हें तीन समूहों में बांट दिया गया। एक समूह को अगले एक घंटे तक एक फिल्म दिखाई गई। दूसरे समूह को झपकी लेने को कहा गया जबकि तीसरे समूह से कहा गया कि वे सारी जानकारी को एक बार रिवाइस कर लें। एक घंटे के बाद तीनों समूहों की 80 मिनट की क्लास और हुई।
इसके बाद तीनों समूहों के सहभागियों की परीक्षा ली गई। परीक्षा में उनसे उक्त प्रजातियों के बारे में 360 सवाल पूछे गए। कज़िन्स ने सोसायटी फॉर न्यूरोसाइन्स की एक बैठक में बताया कि झपकी समूह का स्कोर सबसे बढ़िया रहा। वैसे उस एक घंटे के अंतराल में बैठकर रट्टा मारने वालों का स्कोर फिल्म देखने वालों से बेहतर रहा।
शोधकर्ताओं ने उन्हीं वालंटियर्स को एक सप्ताह बाद फिर से एक परीक्षा के लिए बुलाया। इस परीक्षा में भी झपकी लेने वालों का स्कोर सबसे ज़्यादा रहा। पहली परीक्षा में रट्टा मारने वालों और फिल्म देखने वालों के बीच स्कोर का जो अंतर था वह इस दूसरी परीक्षा में नज़र नहीं आया। अर्थात रट्टा मारने का असर एक सप्ताह बाद तक समाप्त हो चुका था। इससे लगता है कि जानकारी को रटने का असर अल्प समय के लिए तो होता है मगर लंबी अवधि में इससे कोई फायदा नहीं मिलता।
सवाल है कि क्या कज़िन्स व उनके साथी विद्यार्थियों को परीक्षा से पहले झपकी लेने की सलाह देंगे। टीम का कहना है कि स्कोर में अंतर इतना अधिक भी नहीं था कि रटने की बजाय झपकी की सलाह दी जा सके। मगर इतना तो कहा ही जा सकता है कि परीक्षा के पहले टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है, एक झपकी का असर रटने से थोड़ा अधिक या कम से कम बराबर तो होता ही है। (स्रोत फीचर्स)