आप आभासी दुनिया में एक खेल में शामिल हैं। आपके सामने असली जैसे दिखने वाले पकवान रखे हैं जिन्हें देखकर आपके मुंह में पानी आने लगता है। वैसे तो आपको निराशा होगी क्योंकि आप उन्हें खा नहीं पाएंगे क्योंकि वह वास्तविक नहीं बल्कि आभासी भोजन होगा। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब आप खाने तक पहुंच सकते हैं। बस अपनी जीभ को बाहर निकालिए और दिखने वाले ज़ायकों को चखिए। यहां तक कि चबाने के लिए आप अपने जबड़े को हिलाएंगे तो दांतों के बीच खाने की बनावट को भी महसूस करेंगे।
इलेक्ट्रॉनिक्स की मदद से आभासी भोजन मेंे असली जैसा स्वाद और बनावट महसूस कराए जाते हैं जबकि आपके मुंह में सचमुच कुछ भी नहीं होता। यह नई तकनीक आभासी भोजन के साथ वास्तविक खाने की संवेदना को जोड़ देती है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिन्हें भोजन में परहेज़ की सलाह दी गई होे।
आभासी भोजन को लेकर कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर की निमिशा रणसिंगे ने विभिन्न स्वाद वाले डिजिटल लॉलीपॉप के साथ प्रयोग किए हैं। इसमें चम्मच इलेक्ट्रोड्स से जुड़ा रहता है जो बिना वास्तविक भोजन के नमकीन, खट्टे और कड़वे स्वाद का अनुभव कराता है। हालांकि इस प्रयोग में मिठास का एहसास बहुत कम था। यदि मीठे स्वाद को भी डिजिटल रूप से महसूस कराया जा सके तो बहुत मददगार होगा। अब एक नई तकनीक ने इस समस्या का भी समाधान कर दिया है। मगर खाने का एहसास सिर्फ स्वाद से नहीं जुड़ा होता। चबाने का एहसास भी तो होना चाहिए।
युनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो की टीम ने न केवल स्वाद पर बल्कि चबाने के एहसास पर भी काम किया है। उन्होंने एक चौकोर यंत्र बनाया जिसे जीभ पर नहीं बल्कि उन मांसपेशियों पर रखा जाता है जो चबाने का काम करती हैं। और यह तेज़ी से ठंडा व गर्म होता है। इसके कारण तंत्रिकाओं को उत्तेजना दी जा सकती है। इससे व्यक्ति जब चबाने की क्रिया करता है तो मांसपेशियों से दिमाग को संकेत जाते हैं कि वास्तव में कुछ चबाया जा रहा है। (स्रोत फीचर्स)