Sandarbh - Issue 159 (July-August 2025)
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1.Bel Plant and The Caterpillars of the Lime Butterfly by Yuvan Aves.
बेल के पौधे और लाइम तितली की इल्लियाँ - युवान एविस [Hindi, PDF]
लाइम तितली – यह सुन्दर-सी तितली जब छोटी थी तो किसी जानवर की टट्टी की तरह दिखती थी। हैरत-अंगेज़ है न! हैरत तो इसके बुद्धुपन और बुद्धिमानी के मिश्रण को देखकर भी होती है। मगर प्रकृति ऐसे मिश्रणों से भरी पड़ी है। यह देखने के लिए बहुत दूर भी नहीं जाना पड़ता है। युवान एविस इस लेख में अपने आसपास को देखने की एक ऐसी नज़र सामने रखते हैं जो इस तितली की उड़ान जैसे यहाँ-वहाँ, ऊपर-नीचे, हर खुशबू के पीछे-पीछे ले जाती है। तो आप भी पंख फड़फड़ाइए, और उड़ चलिए साथ-साथ इस लेख के!
2. What do Females look for in a Male Partner? by Vipul Keerti
मादाएँ अपने नर पार्टनर में क्या देखती हैं? - विपुल कीर्ति शर्मा [Hindi, PDF]
जीव जगत में नर और मादा जीवों के शरीर में अक्सर बड़ा अन्तर देखने को मिलता है। अमूमन ये अन्तर नर और मादा के मिलन और प्रजनन के चांस बढ़ाने में अहम योगदान देते हैं। मगर अपना साथी चुनने का निर्णय कई जीवों के मामले में शारीरिक अन्तरों के परे जाकर व्यवहार, वातावरण व अहिंसा जैसे आधारों पर भी लिया जाता है। इन्हीं फैसलों की अनेक दिलचस्प झलकियाँ दिखाता है विपुल का यह लेख।
3. Ishango Bone: A Calender: Part 3 by Aamod Karkhanis
ईशांगो बोन - आमोद कारखानीस [Hindi, PDF]
1950 में, बेल्जियन कांगो (आज के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो) के ईशांगो में खोजी गई करीब 20000 साल पुरानी, 10 सेमी लम्बी भूरे रंग की एक हड्डी सम्भवतः मानव इतिहास का पहला कैलेंडर है। इस पर तीन-चार स्तम्भों में उकेरे गए निशान बेतरतीब नहीं नज़र आते, बल्कि अभाज्य संख्याओं जैसी गणितीय समझ का इशारा भी करते हैं। मगर इतिहास के इन शुरुआती पन्नों पर इन्सान को गणित की क्या ज़रूरत पड़ी होगी? आमोद कारखानीस का लेख इसी कल्पना के सफर पर ले चलता है।
4. Why do I Write Science Fiction? by Jayant Vishnu Narlikar
मैं विज्ञान कथाएँ क्यों लिखता हूँ? - जयंत नारलीकर [Hindi, PDF]
अपनी विज्ञान कथाओं से अनेक पीढ़ियों के बच्चों और बड़ों को विज्ञान से दिल्लगी करवाने वाले वैज्ञानिक – जयंत नारलीकार – विज्ञान कथाएँ क्यों लिखते थे? सच और कल्पना को बड़ी सहजता से कला के रूप में पेश करना आसान तो नहीं होता। समीक्षाएँ होती हैं – कुछ कटु, तो कुछ निरी हास्यास्पद। ऐसे में तब भी लिखते जाना, तमाम व्यस्तताओं के बावजूद – क्यों? जवाब भी वे लिखकर ही देते हैं, अपने इस लेख में। समीक्षाओं का स्वागत है!
5. A Children's Bank – Adharshila Learning Centre: Part 2 by Amit and Jayshree
बच्चों का बैंक - अमित और जयश्री [Hindi, PDF]
पैसे पास होते तो पेंसिल लाते। मगर पैसे कहाँ गए? चोरी हो गए, नहीं तो स्कूल के पास की दुकान से कुछ खाने-पीने में खर्च हो गए? ऐसी मुश्किलों से गुज़रते आधारशिला लर्निंग सेंटर में ‘बच्चों का बैंक’ जैसा नवाचार शुरू किया गया। अब भला बैंक सँभालना कोई आसान कौड़ी थोड़े ही है! मुश्किलें आईं, मगर कैसे निपटी गईं, इसके लिए पढ़िए अमित और जयश्री के आधारशिला के अनुभवों पर आधारित लेखों की शृंखला का यह दूसरा भाग।
6. Morning’s Music Assembly: Part 2 by Anil Singh
सुबह की संगीत सभा - अनिल सिंह [Hindi, PDF]
कितना अहम है, किसी स्कूल में संगीत का बसा होना? इस तरह बसा होना कि सुबह की शुरुआत कभी एक ज़ुबान, कभी दूसरी तो कभी तीसरी ज़ुबान के गीतों से हो – मगर सभी ज़ुबानें गाती हों जीवन, उम्मीद, संघर्ष, न्याय और आनन्द के अन्तरे। कितना अहम है, न सिर्फ ये गीत गाना मगर उनके मायने खोजना, गढ़ना, समझना? इन सवालों के जवाब आनंद निकेतन के बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों की बुलन्द तान में सुने जाते थे। उसी तान को लिखकर छेड़ रहे हैं अनिल सिंह, अपने इस लेख में।
7. Children and Atlas-2: Part 5 by Prakash Kant
बच्चे और एटलस – 2 - प्रकाश कान्त [Hindi, PDF]
एक कक्षा में, जहाँ सही ढंग से शिक्षण करने में ज़रूरी संसाधनों की कमी बाधा बन रही हो, एक शिक्षक क्या कर सकता है? वह रास्ते तलाशता है इससे बाहर निकलने के – दरवाज़ा नहीं तो खिड़की, खिड़की नहीं तो कोई दरार ही सही। लेकिन कोई दरार भी न मिलने पर वह क्या करता है? वह सेंध लगाता है! मगर क्या यह एक शैक्षिक अपराध हुआ? यदि इस अपराध से बच्चों के सीखने का सफर आसान और आनन्दमयी हो सके, तो? अपने शैक्षिक अनुभवों को पिरोते प्रकाश कान्त के इस लेख में ऐसे सवालों से भिड़ने के कई मौके हैं।
8. Green Thai Curry by Asfia
ग्रीन थाई करी - अस्फिया [Hindi, PDF]
परदेस। पराया देश। उस देश की एक सर्द रात में अपनेपन की अवधारणा को तौलती-मोलती एक औरत, एक और परदेसी औरत से मिलती है। यह कोई आम-सी मुलाकात नहीं है। इसमें कितनी-कितनी दुनियाएँ, संस्कृतियाँ, सरोकार और खयाल आपस में गुँथे हुए हैं। अचरज, ह्यूमर और ज़ायके से भरी इस ग्रीन थाई करी को अस्फिया ने खूब अपनेपन से परोसा है – नोश फरमाइए!
9. White Noise by Don Delilo
व्हाइट नॉइज़ - डॉन दलीलॉ [Hindi, PDF]
क्या आप यह पढ़ रहे हैं? यही जो आपने अभी-अभी पढ़ा – क्या आपने उसे अभी पढ़ा या तब जब आपने ‘अभी’ पढ़ा था। सच क्या है? आँखों-देखी, इन्द्रियों से मिलती जानकारी को सबूत मानना – भला आँखें धोखा नहीं देतीं क्या!? दिमाग झिड़क जाता है ऐसे खयालों की पटरी चलने पर, ऐसे ही जैसे इस कहानी का एक पात्र झिड़कता है अपने बेटे पर। पढ़िए डॉन दलीलॉ के मशहूर उपन्यास व्हाइट नॉइज़ के इस ‘अविश्वसनीय’ हिस्से को।
10. Why do Frogs Appear Immediately After It Rains? from Sawaliram
वर्षा होने के तुरन्त बाद मेंढक क्यों दिखने लगते हैं? - सवालीराम [Hindi, PDF]
कभी-कभी नम मिट्टी खोदने पर काफी गहराई में मेंढक मिल जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि वे वर्षा के बाद किन्हीं ठण्डी जगहों पर रहने चले जाते हैं। परन्तु वर्षा होने के तुरन्त बाद, वे इतनी जल्दी ऊपर कैसे आ जाते हैं? क्या बारिश होने का आभास उन्हें पहले ही हो जाता है? जानने के लिए टरटराइए!