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Sandarbh - Issue 145 (March-April 2023)
Sandarbh - Issue 145 (March-April 2023)
यह प्रेम कहानी... जेज़बेल, लोरनथस और आम की – किशोर पंवार [Hindi, PDF]
तितलियाँ किसे पसन्द नहीं होतीं? ये तो सबका मन मोह लेती हैं। यह लेख ऐसी ही एक सुन्दर, मन मोह लेने वाली तितली पर है जिसका नाम है कॉमन जेज़बेल। इस लेख के माध्यम से हमें न सिर्फ जेज़बेल तितली बल्कि लोरनथस से इसके रिश्ते के बारे में भी पता चलता है। और इन सब में आम का पेड़ कैसे पोशक बनकर सामने आता है, हमें ये भी जानने मिलता है।
बालमेला- मज़ा ही मज़ा – कालू राम शर्मा [Hindi, PDF]
यह पुस्तक अंश हमें बाल मेले की ज़रूरत से अवगत कराता है। आम तौर पर बाल मेले में वयस्कों का वर्चस्व रहता है, लेकिन एकलव्य ने बालमेले की अवधारणा को जुदा स्वरूप प्रदान किया है। बालमेले का मकसद बच्चों को स्वच्छन्द रूप से अपनी मर्ज़ी का कुछ करने का अवसर देना है।
आसपास के ध्वनि परिदृष्य का आनन्द – मृणाल शाह [Hindi, PDF]
यह लेख बच्चों के साथ ध्वनि को समझने का एक प्रयास है। इसमें शिक्षिका बिलकुल सरल तरीकों से बच्चों को ध्वनि की अवधारणा समझाने की कोशिश करती हैं जिसे न सिर्फ बच्चे समझ पाते हैं बल्कि उससे जुड़े सवाल-जवाबों और गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लेते हैं।
कुदरत के सच और समाज: भाग 2 – लाल्टू [Hindi, PDF]
लाल्टू द्वारा दिया गया यह व्याख्यान एकलव्य के 40 साल और होविशिका के 50 साल होने के उपलक्ष्य में राज्य संग्रहालय, भोपाल में आयोजित ‘होविशिका व्याख्यान शृंखला' में दिया गया था। इसमें वे विज्ञान की भाषा के विषय में बात करते हैं, और उसके कई पहलुओं को भी उजागर करते हैं। इसके अलावा, आज के समय में शोध में विज्ञान को किस हद तक जाना चाहिए, और कहाँ अपनी सीमाएँ बाँध लेनी चाहिए, ये भी उनके व्याख्यान का एक अहम मुद्दा है।
प्लियांशी मेला नाम...! – शलाका गायकवाड [Hindi, PDF]
शलाका इस अनुभव में हमारे साथ एक प्रियांशी नाम की ढाई साल की बच्ची के लिपि सीखने का दिलचस्प सफर हमसे साझा करती हैं जिसमें हमें प्रियांशी की अपनी एक अनोखी लिपि से वाकिफ होने का मौका भी मिलता है। सीखने के लिए ज़रूरी है कि बच्चों में आत्मविश्वास और रुचि को बढ़ावा दिया जाए।
सीखना उम्र का मोहताज नहीं – रोहिल
सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इस लेख में रोहिल अपनी पत्नी रुकसाना की पढ़ाई की शुरुआत के बारे में बताते हैं। किस प्रकार उन्होंने शादी के बाद पढ़ना-लिखना शुरू किया और आज वे खुद कहानियाँ, कविताएँ न सिर्फ पढ़ती हैं बल्कि उनके सन्दर्भ में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखने का अभ्यास भी करती हैं।
दरवाज़ों और दिलों को खोलना: पढ़ने की संस्कृति – ऊषा मुकुन्दा के साथ बातचीत [Hindi, PDF]
यह लेख ऊषा मुकुन्दा के साथ एक साक्षात्कार को वर्णित करता है जिसमें वे लाइब्रेरीयन की प्रचलित छवि को तोड़ती हुई सामने आती हैं। इस साक्षात्कार में वे बच्चों के लेखकों और बच्चों के लिए भिन्न-भिन्न तरह की किताबें पढ़ने का महत्व भी बताती हैं।
क्या अँग्रेज़ी भारत के भविष्य की भाषा है? – पैगी मोहन [Hindi, PDF]
यह लेख भारत में अँग्रेज़ी भाषा के भविष्य का आँकलन है। इस लेख में वे भाषा के ज़रिए सत्ता और शक्ति संघर्ष को भी दर्शाती हैं जो एक लम्बे अरसे से चला आ रहा है और समाज में अपनी पकड़ बनाए हुए है।
युद्ध – लुइजी पिरांदेल्लो [Hindi, PDF]
यह कहानी उन माँ-बाप के दर्द को बयाँ करती है जो वे अपने बेटों को युद्ध पर भेजकर और उन्हें खोकर महसूस करते हैं। लेकिन उनके मन की व्यथा और उस कचोट को कौन देख पाता है। इन सभी जज़्बातों से रूबरू कराती यह कहानी।
क्या यह सच है कि उल्लू दिन में नहीं देख पाता? - सवालीराम [Hindi, PDF]
हमने कई बार सुना है कि उल्लू दिन में नहीं देख पाते लेकिन क्या यह सच है? इस बार का सवालीराम उल्लुओं की देखने की क्षमता के बारे में बात करता है।