प्रकाश शिवरण और अलका तिवारी

जीव विज्ञान की किताबों में अक्सर विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं के बारे में जानकारी मिलती है। इन कोशिकाओं या सूक्ष्मजीवों के आकार (साइज़) के बारे में सोचते हुए एक सवाल अक्सर हमारे मन में आता है कि इन सूक्ष्म आकारों को कैसे नापा जाता होगा? इसका पैमाना क्या होता होगा? इन सूक्ष्म आकारों की नपाई के लिए आम तौर पर दो विधियाँ उपयोग में लाते हैं। पहली है - ‘ग्राफ पेपर विधि’ जिसमें ग्राफ पेपर की मदद से मापन करते हैं। दूसरा तरीका ‘माइक्रोमिट्री’ है जो हमें थोड़ा सटीक एवं बारीक मापन की ओर ले जाता है। इन दोनों तरीकों के लिए सूक्ष्मदर्शी ज़रूरी है।

ग्राफ पेपर विधि
आम तौर पर हम कोशिकाओं को नंगी आँखों से नहीं देख पाते - उन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी ज़रूरी है। ग्राफ पेपर विधि हमें यह एहसास करवा पाती है कि आखिर ये कोशिकाएँ कितनी छोटी होती हैं। हम एक अनुमान लगाने का प्रयास भी कर सकते हैं कि इस तरह के मापन का स्केल (स्तर) कितना छोटा होता है। इस तरीके से हम कोशिकाओं का आकार लगभग माप सकते हैं, और इसके लिए हमें ज़्यादा संसाधनों की भी आवश्यकता नहीं होती।

यह विधि एक मोटा-मोटा अनुमान लगाने के लिए काफी सटीक है। सामान्यत: हम आँखों से पैमाने पर 1 मि.मी. (से.मी. का एक दहाई, 10वाँ हिस्सा) देख पाते हैं। इससे भी छोटा हिस्सा कितना होता होगा, इसका अनुमान लगाना विद्यार्थियों के लिए (और अक्सर बड़ों के लिए भी) मुश्किल होता है। ग्राफ विधि से मापन करते हुए हम बच्चों को इससे बारीक अन्दाज़ा लगाने का अनुभव दे सकते हैं।

पहले एक ग्राफ पेपर को प्रिंटर या फोटोकॉपी की मदद से पारदर्शी शीट (transparency) पर प्रिंट कर लेते हैं। अब इस ट्रांस्पेरेंसी पर छपे ग्राफ पेपर का कुछ हिस्सा काटकर काँच की स्लाइड पर चिपका देते हैं। ग्राफ पेपर को इस तरह से चिपकाना है कि स्लाइड पर चिपकाए ग्राफ के हिस्से में से हम आसानी से आर-पार देख सकें। इसके बाद इस हिस्से को सूक्ष्मदर्शी की मदद से देखने का प्रयास करेंगे।

सूक्ष्मदर्शी से कम आवर्धन पर देखने पर एक वर्ग से.मी. के चौकोन में से आम तौर पर केवल एक वर्ग मि.मी. वाला हिस्सा ही दिखता है। जैसा कि हम जानते हैं कि ग्राफ पेपर में एक वर्ग से.मी. के चौकोन में 100 और खाने होते हैं। हर छोटे खाने का क्षेत्रफल एक वर्ग मि.मी. (1 mm2) होता है। अब हम जिस भी नमूने को सूक्ष्मदर्शी में देखना चाहते हैं उसे ग्राफ पेपर चिपकी स्लाइड पर रख देंगे और उसका अवलोकन करेंगे। 1 मि.मी. क्षेत्रफल में जितनी कोशिकाएँ देख पाते हैं उन्हें गिनने की कोशिश करेंगे। इससे हम एक अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि एक वर्ग मि.मी. क्षेत्र में कितनी कोशिकाएँ दिखाई देती हैं। 

इस आधार पर हम गणना करके पता लगा सकते हैं कि माइक्रोस्कोप में से दिखने वाली एक कोशिका कितनी बड़ी है। जैसे - अगर 1 mm2 क्षेत्रफल में 50 कोशिकाएँ हैं - तो एक कोशिका लगभग 0.02 mm2 का स्थान (क्षेत्रफल) घेरेगी। हम यह भी देख सकते हैं कि छोटे खाने की लम्बाई और चौड़ाई में कितनी कोशिकाएँ आती हैं। अगर लम्बाई में 4 कोशिकाएँ हैं तो एक कोशिका की लम्बार्ई 1/4 = 0.25 मि.मी. होगी। अगर छोटे खाने की चौड़ार्ई में 15 कोशिकाएँ हैं तो एक कोशिका की चौड़ाई 1/15 = 0.06 मि.मी. होगी।

मापन की इकाइयाँ

मिलीमीटर (मि.मी.)
1 मि.मी. = 0.001 मीटर
माइक्रोमीटर (µm)
1 µm = 0.001 मि.मी. = 0.000001 मीटर
नैनोमीटर (nm)
1 nm = 0.001 µm = 0.000000001 मीटर

माइक्रोमिट्री  
अब सूक्ष्म आकार मापन की अगली विधि पर आते हैं। यह तकनीक कोशिकाओं को मापने की थोड़ी और सटीक विधि है। दैनिक जीवन में ज़्यादातर मौकों पर किसी वस्तु को मापने के लिए उसके सामने किसी मापन फीते या स्केल को रख देते हैं जिससे उसकी लम्बाई या चौड़ाई पता चल जाती है। लेकिन किसी सूक्ष्मदर्शी के अन्दर दिखने वाली वस्तु के करीब तो हम मापन फीते को नहीं ला सकते। अत: हम किसी फर्क तरीके का सहारा लेते हैं, इसे माइक्रो-मीटर कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं - स्टेज माइक्रोमीटर और ऑक्युलर माइक्रो-मीटर।

स्टेज माइक्रोमीटर
यह एक काँच की स्लाइड है जिसमें एक गोलाकार आकृति में बहुत बारीक निशान या खण्ड खुदे होते हैं। इस स्केल की कुल लम्बाई एक मि.मी. होती है जिसमें 100 खण्ड बने होते हैं। इस तरह प्रत्येक दो खण्डों के बीच की दूरी 0.01 मि.मी. या 10 माइक्रोमीटर होती है (चित्र-3)। यह सूक्ष्मदर्शी की स्टेज पर रखा जाता है जिससे नेत्रिका के मापन की पुष्टि करते हैं।

ऑक्युलर माइक्रोमीटर
यह काँच की बनी गोलाकार डिश जैसी रचना है जो सूक्ष्मदर्शी की नेत्रिका यानी आई-पीस में लगाई जाती है। नेत्रिका के ऊपरी लेंस को खोलकर इसे उसकी नली में डालकर फिर लेंस को फिट कर देते हैं। सूक्ष्मदर्शी में से देखने पर 50 या 100 बराबर विभाजित खण्ड दिखते हैं। इन बराबर विभाजित खण्डों में माप का संख्यात्मक मान नहीं लिखा होता। यह मान हम स्टेज माइक्रोमीटर के संख्यात्मक मान से मिलान कर पता करते हैं।

ऑक्युलर माइक्रोमीटर का मान
ऑक्युलर माइक्रोमीटर के दो खण्डों के बीच की दूरी मापने के लिए सूक्ष्मदर्शी की स्टेज पर स्टेज माइक्रोमीटर लगाते हैं और नेत्रिका, जिसमें ऑक्युलर माइक्रोमीटर लगा होता है (चित्र-4), से देखते हैं। सूक्ष्मदर्शी को कम आवर्धन में सेट करते हैं। अब दोनों ओर (स्लाइड/स्टेज और गोलाकार काँच/ऑक्युलर पर) लगे स्केल को आपस में मिलाते हैं। हम देखते हैं कि ऑक्युलर की कितनी लाइनें स्टेज माइक्रोमीटर की कितनी लाइनों से मिलती हैं। नीचे के चित्रानुसार ऑक्युलर के दो खण्डों के बीच की दूरी (अल्पतमांक या लीस्ट काउंट) को मापने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग कर सकते हैं।

 ऊपर दिए गए समीकरण में 10 µm  स्टेज माइक्रोमीटर के दो खण्डों के बीच की दूरी है। 
अब मान लें स्टेज की 13वीं लाइन, ऑक्युलर माइक्रोमीटर की 10वीं लाइन से मिलती है। तो ऑक्युलर के दो खण्डों के बीच की दूरी या अल्पतमांक या लीस्ट काउंट निम्नवत होगा।

एक सूक्ष्म आकृति का मापन
ऑक्युलर माइक्रोमीटर के दो खण्डों की बीच की दूरी जान लेने के बाद स्टेज माइक्रोमीटर की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, अत: इसे अब यहाँ से हटा लेते हैं। जिस कोशिका के साइज़ का पता लगाना होता है उसे सूक्ष्मदर्शी की स्टेज पर रखते हैं और नेत्रिका से देखते हैं जिसमें ऑक्युलर माइक्रोमीटर लगा होता है। अब ऑक्युलर माइक्रोमीटर के कितने खण्डों पर कोशिका या उस सूक्ष्म आकृति का आकार फैला दिखता है यह पता कर लेते हैं। चूँकि हमारे पास दो खण्ड के बीच की दूरी का माप है अत: खण्डों के बीच की दूरी गिन कर हम उस माप से गुणा कर लेते हैं। अर्थात,

सूक्ष्म आकृति का माप =अल्पतम माप xआकृति का फैलाव

मान लें कोई आकृति या कोशिका ऑक्युलर माइक्रोमीटर के दस खण्डों तक फैली है तो इसकी लम्बाई या चौड़ाई 13 x 10 = 130 µm होगी।


करके देखिए
क्या दोनों तरीकों से सभी आकार की कोशिकाओं का मापन हो सकता है? खैर, प्याज़ की झिल्ली की कोशिकाओं का आकार ज़्यादातर आयत होता है और लगभग सभी किस्म के सूक्ष्मदर्शियों में ये दिख जाती हैं। तो चलिए आज़माते हैं मापन के दोनों तरीकों में फर्क, प्याज़ की कोशिकाओं को माप कर।


प्रकाश शिवरण: अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन, टोंक (राजस्थान) में कार्यरत हैं।
अलका तिवारी: अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन, टोंक (राजस्थान) में कार्यरत हैं। विज्ञान से जुड़े मुद्दों पर अध्ययन व विमर्श में विशेष रुचि।
माइक्रोस्कोप के तकनीकी विकास और कोशिका सिद्धान्त के विविध पड़ावों को विस्तार से जानने के लिए एकलव्य संस्था द्वारा प्रकाशित ‘जीवन की इकाई कोशिका’ मॉड्यूल को पढ़ सकते हैं।