क्या आप जानते हैं कि बेशकीमती सोना-चांदी संभवत: अरबों साल पहले एक ज़बर्दस्त ब्रह्मांडीय विस्फोट में बने थे? दशकों तक वैज्ञानिकों का मानना था कि ऐसे भारी तत्व केवल तब बनते हैं जब दो मृत तारे (न्यूट्रॉन स्टार) आपस में टकराते हैं। लेकिन अब शोधकर्ताओं को ऐसी कीमती धातुएं बनने एक और तरीका पता चला है।
दी एस्ट्रोफिज़िकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित नए अध्ययन में बताया गया है कि एक विशेष प्रकार के तारे, जिन्हें मैग्नेटार कहा जाता है, से निकली उग्र लपटों (flare) में भी सोना, चांदी और प्लेटिनम जैसे भारी तत्व बन सकते हैं। 
गौरतलब है कि मैग्नेटार उन विशाल तारों के बचे हुए केंद्र होते हैं जो सुपरनोवा में फट चुके होते हैं। इनका चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के मुकाबले खरबों गुना शक्तिशाली होता है। इस कारण ये तारे कभी-कभी बहुत तेज़ी से भभकते हैं।
2004 में एक मैग्नेटार ऐसी ही भयंकर उग्र लपटें निकली थीं, जिसने कुछ ही सेकंड में उतनी ऊर्जा फेंकी जितना हमारा सूरज लाखों सालों में छोड़ता है। दस मिनट बाद उसी जगह से कुछ और हल्की लपटें निकलीं, जिन्हें आफ्टरग्लो कहा गया। तब वैज्ञानिक इस रहस्यमयी संकेत को समझ नहीं पाए थे लेकिन अब उन्हें इसका मतलब समझ आने लगा है।
इस खोज की अहमियत समझने के लिए पहले यह जान लेते हैं कि भारी तत्व कैसे बनते हैं। सोना, चांदी और प्लेटिनम जैसे भारी तत्व आम तारों के अंदर नहीं बनते। इन्हें बनने के लिए एक बेहद तेज़ और उग्र प्रक्रिया की ज़रूरत होती है, जिसे आर-प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया में परमाणु नाभिक बहुत तेज़ी से न्यूट्रॉन्स सोखते हैं और भारी तत्वों में बदल जाते हैं।
अब तक वैज्ञानिकों को आर-प्रक्रिया का एक ही पुष्ट स्रोत पता था - दो न्यूट्रॉन तारों की टक्कर। लेकिन ऐसी टक्करें बहुत बिरली होती हैं और हमारी निहारिका के ‘जीवन’ के आखिरी समय में होती हैं। तो फिर शुरुआती समय में भारी तत्व कैसे बने? 
कोलंबिया युनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री अनिरुद्ध पटेल और उनकी टीम ने 2004 में मैग्नेटार से निकली लपटों के डैटा को फिर से देखा। उन्होंने कंप्यूटर सिमुलेशन के ज़रिए यह जांचा कि क्या इस तरह की भभक से आर-प्रक्रिया हो सकती है। उन्होंने पाया कि भभक के बाद दिखी आफ्टरग्लो में बिल्कुल वैसी ही गामा किरणें थीं जैसी आर-प्रक्रिया के दौरान निकलती हैं। ये गामा किरणें उस ऊर्जा का संकेत थीं जो भारी तत्व बनने के समय निकलती हैं।
20 साल से ऐसे ही पड़े डैटा ने अंतत: साबित कर दिया कि सोना और अन्य भारी तत्व केवल एक ही तरह की ब्रह्मांडीय घटना से नहीं बनते। बल्कि इन्हें बनाने वाली आर-प्रक्रिया के और भी स्रोत हो सकते हैं, जो अभी तक अनदेखे हैं। ये नतीजे अधिक शोध के रास्ते खोलते हैं। 2017 में हुई न्यूट्रॉन तारों की टक्कर धरती से बहुत दूर थी, इसलिए वैज्ञानिक उस घटना को ठीक से नहीं देख सके। लेकिन भविष्य में अगर किसी नज़दीकी मैग्नेटार से लपटें उठती हैं तो शायद वैज्ञानिक सोना-चांदी बनने के चश्मदीद बन जाएं। (स्रोत फीचर्स)