गाहे-बगाहे आने वाली सुर्खियों से हमें इतना तो पता है कि वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर लगातार नए तरह के जीवन की तलाश में लगे हुए हैं। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि अभी हमारी पृथ्वी पर ही मौजूद जीवन के कई रूप अनदेखे, अनखोजे हैं, खासकर समुद्री (या जलीय) जीवन रूप। ऐसा अनुमान है कि हम अब तक जितने भी समुद्री जीवन के बारे में जानते हैं वह वास्तव में मौजूदा जैव-विविधता का मात्र 10 प्रतिशत है।
वैज्ञानिक अनखोजे जीवों की खोज में भी हैं; कभी इरादतन खोजते हुए तो कभी इत्तेफाकन वैज्ञानिकों को नई-नई प्रजातियां मिलती हैं। दिलचस्प बात है कि गैर-मुनाफा संस्था ओशिएन सेंसस द्वारा चलाए जा रहे एक खोजी अभियान ने तकरीबन 850 नई समुद्री प्रजातियां खोजी हैं। वाकई कितना कुछ खोजा जाना बाकी है। तो चलिए जानते हैं पिछले कुछ समय में विभिन्न समूहों द्वारा खोजी गई कुछ नई दिलचस्प समुद्री प्रजातियों के बारे में।
अकॉर्डियन कृमि – सबसे पहले इसे 2021 में देखा गया था। स्पेन की अराउसा नदी के मुहाने से लगभग एक किलोमीटर दूर और महज 32 मीटर गहराई पर एक गोताखोर ने इसे एक सीपी के नीचे देखा था। इसकी खास बात है कि यह अकॉर्डियन की तरह फैल-सिकुड़ सकता है। फैलने पर इसकी पूरी लंबाई 25 सेंटीमीटर होती है, और सिकुड़ने पर यह मात्र 5 सेंटीमीटर लंबा रह जाता है। सिकुड़ने पर इसके शरीर पर छल्ले दिखाई देते हैं, जिनकी संख्या करीब 60 है। इन्हीं छल्लों की वजह से इसे आम बोलचाल में अकॉर्डियन कृमि कहा गया है, वैसे औपचारिक द्विनाम पद्धति में इसे पैरारोसा विगारे (Pararosa vigarae) नाम दिया गया है। यह रिबन कृमि की एक नई प्रजाति है। हालांकि इसे रिबन कृमि की एक नई प्रजाति कहना इतना सीधा काम नहीं था। क्योंकि सभी रिबन कृमि देखने में एक जैसे दिखते हैं। उन्हें मात्र देखकर अलग-अलग प्रजाति नहीं कहा जा सकता। इसलिए डीएनए अनुक्रमण किया गया और हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसे एक नई प्रजाति की मान्यता दी है।
पिगमी पाइपहॉर्स – दक्षिण अफ्रीका के नज़दीक हिंद महासागर में पिगमी पाइपहॉर्स की यह प्रजाति मिली है। महज़ 4 सेंटीमीटर लंबा यह जीव सीहॉर्स, सीड्रैगन और पाइपफिश का सम्बंधी है और सिंग्नेथिडे कुल का सदस्य है, जिसे साइलिक्स नोसी (Cylix nkosi) नाम दिया गया है। अपने सम्बंधियों की तरह यह भी छद्मावरणधारी है। यानी इसका हुलिया अपने परिवेश, अपने प्राकृतवास (कोरल रीफ) से इतना मेल खाता है कि इसे आसानी से नहीं ढूंढा जा सकता है; इसे देखने के लिए गोताखोर और इसके शिकारियों को पैनी निगाहें चाहिए। खास बात यह है कि इस वंश का यह पहला सदस्य है जो अफ्रीका के नज़दीकी समुद्र में मिला है, वर्ना अब तक इसके बाकी सदस्य न्यूज़ीलैंड के पास ठंडे क्षेत्रों में पाए गए हैं।
गिटार शार्क – मोज़ाम्बिक और तंज़ानिया के नज़दीकी समुद्र में करीब 200 मीटर की गहराई पर गिटार शार्क की एक नई प्रजाति खोजी गई है। इस प्रजाति के मिलने के बाद गिटार शार्क प्रजातियों की कुल संख्या 38 हो गई है। गिटार शार्क की खास बात उनका चपटा शरीर और चौड़ा सिर है, और इसी बनावट के कारण उन्हें गिटार शार्क कहा जाता है। इस प्रजाति को डेविड एबर्ट ने खोजा है जिन्होंने अपना करियर अनभिज्ञ शार्क प्रजातियों को खोजने में लगाया हुआ है। इस गिटार शार्क को राइनोबाटोस कुल में रखा गया है। लेकिन दुखद बात यह है कि गिटार शार्क की दो-तिहाई प्रजातियां जोखिमग्रस्त की श्रेणी में हैं।
एक तरह का शंख टूरीड्रूपा मैग्नीफिका – प्रशांत महासागर में स्थित दो द्वीप न्यू कैलेडोनिआ और वनौतू के नज़दीक समुद्र में करीब 500 मीटर की गहराई पर यह प्रजाति मिली है। शिकारी प्रवृत्ति का यह गैस्ट्रोपॉड हालिया पहचानी गई 100 टूरीड गैस्ट्रोपॉड में से एक है। इस शंख की खासियत इसके विषैले और नुकीले दांत हैं, जिन्हें यह अपने शिकारियों में चुभोकर उनका शिकार करता है। 
स्क्वैट लोबस्टर – श्मिट ओशिएन इंस्टीट्यूट के खोजी अभियान में यह चिली के समुद्री तट के नज़दीक स्थित नाज़्का रिज पर लगभग 400 मीटर की गहराई पर मिला है। वैज्ञानिकों ने इसे गैलेथिया वंश के सदस्य के रूप में पहचाना है। दिलचस्प बात यह है कि गैलेथिया वंश का यह पहला सदस्य है जो दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर में पाया गया है। (स्रोत फीचर्स)