चीन का एक नवीन मिशन धरती के पास मौजूद एक अनोखे क्षुद्रग्रह 469219 कामोआलेवा से नमूना लाने को भेजा जा रहा है। अंतरिक्ष मिशन तियानवेन-2 बहुत जल्द लॉन्च होने वाला है।
2016 में हवाई स्थित वेधशाला से खोजा गया कामोआलेवा कोई साधारण पिंड नहीं है। यह एक अर्ध-उपग्रह (क्वासी-सैटेलाइट) है। कामोआलेवा अत्यंत दीर्घ-वृत्ताकार पथ में सूर्य की परिक्रमा करता है। पृथ्वी से देखने पर ऐसा लगता है कि जैसे यह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा हो।
कामोआलेवा में चीन के वैज्ञानिकों की दिलचस्पी इसकी असाधारण प्रकृति की वजह से जागी। एरिज़ोना की एक शक्तिशाली दूरबीन ने बताया था कि यह चंद्रमा की चट्टानों के समान ही सूर्य की रोशनी परावर्तित करता है। इससे एक संभावना बनती है कि यह क्षुद्रग्रह करोड़ों साल पहले किसी बड़ी टक्कर में चंद्रमा से टूट कर छिटका होगा।
त्सिंगहुआ युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर मॉडलिंग से इस संभावना को और मज़बूत किया: उन्होंने इसे चंद्रमा पर मौजूद जियोर्डानो ब्रूनो नामक एक बड़े गड्ढे से जोड़कर देखा था। फिर, एक अन्य अध्ययन में एक और ऐसा क्षुद्रग्रह मिला जिसमें चंद्रमा जैसी विशेषताएं थीं। इससे संकेत मिला कि सिर्फ कामोआलेवा नहीं, चंद्रमा के और भी टुकड़े अंतरिक्ष में बिखरे होंगे।
लेकिन यह साबित करने के लिए कामोआलोवा के नमूनों की जांच करना होगी। दरअसल, कामोआलेवा बहुत ही छोटा पिंड है: एक फुटबॉल मैदान के बराबर। इसकी लंबाई-चौड़ाई बमुश्किल 100 मीटर होगी। यह 28 मिनट में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति बहुत कम है और संभावना है कि इसकी सतह बहुत महीन धूल जैसी है, जिससे लैंडिंग और नमूना लेना काफी मुश्किल होगा।
चीन ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक योजना बनाई है। इसके तहत, पहले तियानवेन-2 और एक रोबोटिक हाथ की मदद से सतह को टटोला जाएगा। फिर, घूमने वाले ब्रश से गुबार उड़ाकर धूल को एक कंटेनर में भर लेंगे। यदि सब ठीक रहा तो यान थोड़ी देर के लिए क्षुद्रग्रह पर उतरेगा, तीन पैरों से खुद को टिकाएगा और पंजे जैसे एक रोबोटिक हाथ से नमूने उठाएगा। इसके बाद यान एक कैप्सूल में भरकर नमूने धरती पर भेजेगा - लगभग ढाई साल बाद।
अगर यह साबित हो जाए कि कामोआलेवा सच में चंद्रमा का टुकड़ा है तो इससे वैज्ञानिक यह समझ पाएंगे कि चांद के टुकड़े अंतरिक्ष में कैसे छिटकते हैं और किन रास्तों से यात्रा करते हैं। और यदि यह चंद्रमा का हिस्सा नहीं निकला, तब भी इससे हमें यह जानने में मदद मिल सकती है कि पृथ्वी के पास पिंड कैसे बने और हमारे सौरमंडल की शुरुआती कहानी क्या थी।
कामोआलेवा के नमूने भेजने के साथ यान का मिशन रुकेगा नहीं। इसके बाद यान एक धूमकेतु (311P/PANSTARRS) की ओर रवाना होगा। और आने वाले कई वर्षों तक इसका अध्ययन करेगा। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - August 2025
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