प्रोटॉन परमाणु का एक घटक होता है और सारे तत्वों के परमाणुओं में पाया जाता है। भौतिक शास्त्री मानते हैं कि यदि इसके बुनियादी गुणधर्म यानी ‘आकार, आवेश और द्रव्यमान’ नाप लिए जाएं तो भौतिक शास्त्र के कुछ प्रमुख सवालों के जवाब मिल जाएंगे। जैसे यह सवाल कि क्यों ब्रह्माण्डमें प्रति-पदार्थ (एंटीमैटर) की तुलना में पदार्थ ज़्यादा पाया जाता है।
प्रोटॉन एक बहुत छोटा-सा कण होता है। लिहाज़ा इसका द्रव्यमान नापने के लिए तराज़ू भी बहुत सुग्राही होनी चाहिए। ऐसा कहते हैं कि वह तराज़ू इतनी सुग्राही होनी चाहिए कि यदि उस पर एक हाथी का वज़न तोलें और बाल का एक टुकड़ा भी गिर जाए तो अंतर पता चलना चाहिए।
भौतिक शास्त्री कई वर्षों से प्रोटॉन का द्रव्यमान निकालने की कोशिश करते रहे हैं। इस बार एक नया तरीका आज़माया गया है। जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर न्यूक्लियर फिज़िक्स के स्वेन स्ट्रम के नेतृत्व में डेढ़ लीटर का एक पीपा लेकर उसमें से सारी हवा खींचकर बाहर निकाल दी गई। और इसे लगभग शून्य केल्विन तक ठंडा कर दिया गया। केल्विन पैमाने पर शून्य लगभग ऋण 273 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है। पीपे को इस तरह सील किया गया था कि बाहर की दुनिया और पीपे के अंदर की दुनिया के बीच कोई सम्बंध नहीं था।
पीपे के अंदर प्लास्टिक का एक लक्ष्य रखा गया था। बाहर से इस लक्ष्य पर इलेक्ट्रॉन पुंज की बौछार की गई जिससे कुछ प्रोटॉन मुक्त हो गए। स्ट्रम के दल ने इनमें से एक प्रोटॉन को विद्युतीय व चुंबकीय क्षेत्र के मिले-जुले क्षेत्र में कैद करने में सफलता पाई। यह बंदी प्रोटॉन चुंबकीय क्षेत्र में चक्कर काटने लगा। इसके वेग को नापकर शोधकर्ता इसके द्रव्यमान की गणना कर पाए।
जो आंकड़ा मिला उससे पता चलता है कि प्रोटॉन हमारी पहले की गणनाओं से थोड़ा हल्का है। अंतर बहुत ज़्यादा नहीं है - हमने जितना सोचा था उसके 1 प्रतिशत के 30 अरबवें भाग हल्का है। आप कहेंगे, खोदा पहाड़, कम से कम चुहिया तो निकलती। किंतु यह महत्वपूर्ण है क्योंकि जब इस नए मान को समीकरणों में रखकर गणनाएं की जाएंगी तो भौतिकी की कई गुत्थियों को सुलझाने में मदद मिलेगी। (स्रोत फीचर्स)