Sandarbh - Issue 154
पक्षियों की मिमिक्री - संकेत राउत [Hindi, PDF]
जीवन के संघर्ष में कई जीव नकल किया करते हैं। नकल करने के कई तरीके – रंग, रूप, आवाज़ बदलकर – होने के साथ ही, नकल करने के कारण भी अलग-अलग होते हैं। इस लेख में, कुछ पक्षियों में नकल के कारणों के बारे में पढ़ा जा सकता है। जैसे, एक ही भौगोलिक क्षेत्र में, एक ही पक्षी की दो अलग-अलग प्रजातियाँ एक-सी क्यों दिखती हैं? क्या यह भी पक्षियों की नकल या मिमिक्री का उदाहरण तो नहीं? जानिए, पक्षियों की मिमिक्री के पीछे के कई रोचक कारणों को, संकेत राउत के इस लेख में।
स्वाद की पहचान - अर्पिता व्यास [Hindi, PDF]
स्वाद केवल जीभ से जुड़ा नहीं होता – क्या यह तथ्य पचाया जा सकता है? स्वाद क्या है? क्यों है? और, किस तरह अनुभव किया जाता है? स्वाद से जुड़ी कई गलत धारणाएँ इतनी आम हैं कि उन्हें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में भी जगह मिल जाती है। इसलिए स्वाद और उस पर हुए अध्ययनों को समझना भी ज़रूरी बन जाता है। अर्पिता व्यास के इस लेख में जानिए स्वाद से जुड़ी कुछ नमकीन, कुछ खट्टी-मीठी, तो कुछ ‘उमामी’ जानकारियाँ।
हिरोशिमा के आँसू - हरिशंकर परसाई [Hindi, PDF]
एक सुबह अचानक एक धमाका हुआ और पूरा शहर तबाह हो गया। मगर क्या वह तबाही ‘अचानक’ हुई थी? इस तबाही का अस्त्र तैयार करने वाले प्रधान-वैज्ञानिक, जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर, के कथनानुसार उनके हाथ खून से रंग चुके थे। मगर क्या वैज्ञानिकों के श्रम का (दुः)उपयोग युद्ध-अस्त्र के रूप में किया जाना उन वैज्ञानिकों को मानवता के विपक्ष में खड़ा करता है? इस पेचीदा और अहम सवाल पर चिन्तन करने के लिए उन वैज्ञानिकों के सन्दर्भ को समझना ज़रूरी होगा। इसके लिए पढ़िए हरिशंकर परसाई का यह लेख।
भिन्न हैं ये खेल - अर्जुन सान्याल [Hindi, PDF]
सीखने के सफर में खेल की क्या अहमियत होती है? यदि सीखने को ही खेलपूर्ण बना दिया जाए तो क्या यह मददगार होता होगा? अर्जुन सान्याल के इस लेख में, गणित शिक्षण में भिन्न की अवधारणा को खेलपूर्ण ढंग से सिखाने के कुछ अनुभव और उन अनुभवों पर समालोचनात्मक चिन्तन किया गया है।
एक सरकारी स्कूल में पर्यावरण शिक्षा: हेंगावल्ली में मेरे अनुभव - दीप्ति अमीन [Hindi, PDF]
शिक्षक क्या होता है? कोई व्यक्ति? या, एक किरदार? अगर शिक्षक एक किरदार है तो उसे कोई भी अपना सकता है न – बच्चे, बड़े, अन्य जीव, जंगल, पर्यावरण, किताबें। और इस किरदार को निभाया कैसे जाता है? सामंजस्य और धैर्य के साथ। पढ़िए, दीप्ति अमीन का यह साक्षात्कार-नुमा लेख, जहाँ वे अपने साथ बच्चों, उनके समाज, और पर्यावरण के आपसी सामंजस्य के ज़रिए न सिर्फ शिक्षणशास्त्र सम्बन्धी, बल्कि जीवन सम्बन्धी दर्शन भी साझा करती हैं।
धरती के अन्दर, सूरज के पार - स्मिति [Hindi, PDF]
किसी कक्षा का अवलोकन करने पर क्या-क्या उजागर नहीं होता! अवलोकनों और चिन्तन से भरे स्मिति के इस लेख में भी बहुत कुछ उजागर होता है – लाइब्रेरी और किताबों से रिश्ता जोड़ने के लिए लाइब्रेरी संचालकों की अहमियत, बच्चों से बातचीत के दौरान उनके मतों को न नकारने की अहमियत, सजीव शिक्षण की अहमियत। और भी बहुत-सी छोटी-छोटी चीज़ें। पढ़कर सोचिए, कैसे ये छोटी-छोटी चीज़ें बड़े अन्तर पैदा करती हैं।
वो बचपन जो कुछ खास है - जगदीश यादव, आकाश मालवीय [Hindi, PDF]
घर से स्कूल तक का सफर हर बच्चे के लिए एक-सा नहीं होता। पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक व कई अन्य कारणों से बहुत-से बच्चे स्कूल तक पहुँच ही नहीं पाते। ऐसे में, वह दूरी मिटाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? जगदीश और आकाश के इस लेख में, वे मोहल्ला लर्निंग एक्टिविटी सेंटर के अपने ऐसे ही एक प्रयास और उससे जुड़ी चुनौतियाँ साझा करते हैं।
पुस्तक, जो आपको सोचने को विवश करती है - अविजित पाठक [Hindi, PDF]
‘शिक्षा और आधुनिकता’ – मुद्दे दो, अवधारणाएँ अनेक। इन्हीं से जुड़े कुछ समाजशास्त्रीय नज़रिए रखती अमन मदान की किताब पर अविजित पाठक की यह समीक्षा है। समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों को लेकर अमन की समझ, तथा उनसे उभरीं पैनी अन्तर्दृष्टियों को पाठकों के साथ चिन्तनशील तरीके से साझा करने की अमन की काबिलियत पर अविजित बड़ी पेचीदगी से रोशनी डालते हैं। यह समीक्षा पुस्तक के सार के रूप में भी काम करती नज़र आती है, और इस तरह उस पुस्तक की प्रासंगिकता और ज़रूरत पर ज़बरदस्त ज़ोर डालती है। पढ़िए!
भरहुत, मथुरा और अजन्ता - सी.एन. सुब्रह्मण्यम् [Hindi, PDF]
शिक्षा और स्कूल को आज हम जिस हद तक आपस में गुँथा हुआ देखते और मानते हैं, क्या ऐसा हमेशा से रहा है? इतिहास में, विशेषकर दक्षिण एशियाई इतिहास में, शिक्षण, शिक्षार्थी और शिक्षक के क्या मायने रहे हैं? यह जानना रोचक तो होगा ही, साथ ही, इसे उस दौर की कला के माध्यम से जानना तो और भी मज़ेदार होगा! सी.एन. सुब्रमण्यम् के इस लेख में भारत के तीन अलग-अलग स्थानों के शिल्पों का अध्ययन हमें आज के शिक्षण से जुड़े कई अहम सवालों का सामना करने की ओर ले जाता है। अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं…
जब पल्लवी बुआ सुल्ताना बनीं – हरजिन्दर सिंह ‘लाल्टू’ [Hindi, PDF]
इसरो में काम करने वाली पल्लवी बुआ घर आई हैं। सब बच्चों की माँग है कि वे रॉकेट की कहानी सुनाएँ। पल्लवी बुआ हो चुकी हैं राज़ी। मगर यह क्या? रॉकेट उड़ा और बुआ पहुँच गईं अतीत में! अतीत में हैं उनकी हमशक्ल, मलिका-ए-हिन्द रज़िया सुल्ताना। सभी बच्चों के मुँह हैरानी से खुले हैं, लेकिन प्रीतो का मन कहानी के पार विचरता है। कहाँ? जानिए, लाल्टू की इस मज़ेदार कहानी को पढ़कर।
मधुमक्खी के छत्तों के प्रकोष्ठों का आकार षट्कोणीय क्यों होता है? - सवालीराम [Hindi, PDF]
मधुमक्खियाँ क्या अपने छत्तों के अन्दर ज्यामिति की पढ़ाई करती हैं? तो भला, प्रकृति के इन जुझारू कर्मचारियों के प्रकोष्ठ षट्कोणीय क्यों? इस बार के सवालीराम में जानिए इन बेमिसाल आर्किटेक्टों और उनके कार्यस्थल की मीठी डिज़ाइन के बारे में।