चीता देखा है? कहीं भी दो-चार लोगों के बीच जरा यह सवाल छेड़कर देखिए। किस-किसने नहीं देखा होगा और कहां-कहां नहीं दिखाई दे जाएगा चिड़ियाघरों से लेकर आस-पास के अभयारण्यों में ....। और अगर बात छिड़ गई कि कैसा दिखता है चीता तो फिर कमाल देखिए - शेर, बाघ, चीता, तेंदुआ, लायन, टाईगर .....सब आपस में ऐसे घुलमिल जाएंगे कि बस पूछिए मत। धारियों वाला क्या कहलाता है, काले धब्बे किसके बदन पर होते हैं, लम्बे बाल वाला, और वो दिल्ली जैसा .... सचमुच में बाल नोच लेने जैसी हालत बन जाती है।
इतना सब हो जाने के बाद अगर कोई आपको बताए कि हिन्दुस्तान के जंगलों में से इस सदी के पांचवें दशक में चीता बिल्कुल ही खत्म हो गया और कि शायद आखिरी बार सन् 1948 में ज़िन्दा चीतों का फोटो खींचा गया जब कोरवाई रियासत के महाराजा ने जीप की रोशनी से चौंधिया गए तीन चीतों का शिकार किया था। यकीन नहीं होता न? परन्तु सच्चाई यही है। हिन्दुस्तान ही नहीं शायद एशिया महादीप से ही चीता बिल्कुल खत्म हो गया हैं। 'शायद' . इसलिए क्योंकि इरान के आसपास के इलाकों में चीता दिखने की खबरें तो मिलती रही हैं परन्तु किसी को भी पक्के तौर पर नहीं मालूम। कुछ अफ्रीकी देशों में ही गिने-चुने चीते बचे हैं अब
पर हो सकता है कि इतना पढ़ने के बाद भी आप कहें कि 'तो क्या हुआ, चिड़ियाघर में देखा था वो तो चीता ही था, वहां क्यों नहीं ले सकता?”
तो अब सुनिए दूसरी हैरतअंगेज़ बात - हिन्दुस्तान के किसी भी चिड़ियाघर में चीता है ही नहीं! इंग्लैंड में लंदन के चिड़ियाघर में और कुछ और देशों में दो-चार जगह शायद अभी भी बचा है। इसलिए यह सम्भावना कि आपने चिड़ियाघर में देखा होगा भी कम ही है, है न?
अब आपको लग रहा होगा, तो आखिरकार यह चीता है क्या बला? तीन खास पहचान हैं उसकी - शरीर पर छोटे-छोटे भरे हुए काले धब्बे, आंख की कोर से होंठों के कोनों तक खिंचा काली पट्टियों और पंजे में बाहर की ओर निकले नाखून। अगर चीते की पहचान हो गई तो अब पता करने की कोशिश कीजिए कि शेर, बाघ, तेंदुआ, ... ये सब कैसे दिखते हैं।