एक हालिया अध्ययन में खरपतवारनाशी ग्लायफोसेट के बढ़ते उपयोग का सम्बंध नवजात शिशुओं के जन्म के समय कम वज़न और गर्भावस्था के छोटा होने से देखा गया है। इस रसायन का खेती में खूब उपयोग होता है, खासकर अमेरिका में। यह अध्ययन ओरेगन विश्वविद्यालय के एडवर्ड रुबिन और एमेट रेनियर द्वारा प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइन्सेज़ में प्रकाशित किया गया है।
शोधकर्ताओं ने 1990 से 2013 के बीच जन्मे एक करोड़ से अधिक नवजात शिशुओं के डैटा का विश्लेषण किया और अलग-अलग ज़िलों में ग्लायफोसेट के इस्तेमाल की मात्रा का सम्बंध गर्भावस्था अवधि और जन्म के समय वज़न से किया। पाया गया कि जिन ज़िलों में सोयाबीन, मक्का और कपास की जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलें उगाई जाती हैं और भारी मात्रा में ग्लायफोसेट छिड़का जाता है, वहां 2005 तक नवजात शिशुओं का औसत वज़न 30 ग्राम कम और गर्भावस्था की अवधि 1.5 दिन कम हो गई थी।
ये प्रभाव 1996 से पहले नहीं दिखाई दिए थे क्योंकि तब जीएम फसलों का खूब उपयोग शुरू नहीं हुआ था। ग्लायफोसेट-सह फसलें आने के बाद ग्लायफोसेट का अत्यधिक उपयोग शुरू हुआ था। महज अमेरिका में हर साल यह 1,27,000 टन से अधिक छिड़का जाता है। अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के अनुसार ग्लायफोसेट का सावधानियों के साथ उपयोग सुरक्षित है, लेकिन कुछ शोध में इसका सम्बंध प्रजनन हार्मोन असंतुलन और अल्प गर्भावधि से देखा गया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इसके आर्थिक प्रभाव भी गंभीर हैं। जन्म के समय कम वज़न और छोटी गर्भावधि का सम्बंध दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से है, जैसे संज्ञानात्मक विकास में देरी, कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मधुमेह व हृदय रोग। और शोधकर्ताओं का अनुमान है गर्भावधि में मामूली कमी से नवजात की देखभाल, विशेष शिक्षा, कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बीमारी पर खर्च, और प्रभावित व्यक्तियों की कमाई में कमी जैसी समस्याओं से हर साल 1.1 अरब डॉलर से अधिक की हानि होती है। इसके अलावा, अश्वेत परिवारों या अविवाहित माता-पिता के बच्चों पर इसका असर अधिक देखा गया है।
यह अध्ययन कुछ वैश्विक मुद्दे भी उजागर करता है। ब्राज़ील में, जहां अमेरिका की तुलना में दुगना ग्लायफोसेट उपयोग किया जाता है, वहां शिशु मृत्यु दर और बचपन में कैंसर की दर अधिक पाई गई है।
एक दिक्कत है कि यह अध्ययन ग्लायफोसेट के व्यक्तियों से संपर्क की बजाय संपूर्ण ज़िलों के डैटा पर किया गया है। गर्भावस्था के दौरान माताओं के ग्लायफोसेट से प्रत्यक्ष संपर्क को मापने जैसे अधिक सटीक अध्ययन ज़रूरी हैं ताकि इसके प्रभावों को बेहतर तरीके से समझा जा सके। बहरहाल, इसके परिणामों की गंभीरता को देखते हुए नियामक एजेंसियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)