मां के दूध के जगजाहिर फायदों को देखते हुए सलाह दी जाती है कि पहले 6 महीनों तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए। लेकिन शिशु को स्तनपान कराना बंद कब करें? यह प्रश्न जितना महत्वपूर्ण आजकल के माता-पिता के लिए है, उतना ही महत्वपूर्ण प्राचीन रोमवासियों के लिए भी था। और प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ नेक्सस में प्रकाशित हालिया अध्ययन कहता है कि आधुनिक समय और प्राचीन समय के बाशिंदो की न सिर्फ स्तनपान सम्बंधी चिंताएं एक जैसी हैं, बल्कि स्तनपान बंद कराने की प्रवृत्ति भी मेल खाती है। पाया गया कि अतीत में ग्रामीण रोमवासियों की तुलना में शहरी रोमवासी बच्चे का स्तनपान जल्दी बंद करा देते थे, और स्तनपान बंद कराने के ऐसे ही पैटर्न आधुनिक समय में भी दिखते हैं।
मां का दूध शिशुओं को पोषक तत्व और एंटीबॉडीज़ देता है जो उन्हें बीमारियों से बचाते हैं और उनकी अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास में मदद करते हैं। ऐसा देखा गया था कि बेबी फॉर्मूला के आगमन से पहले, जिन शिशुओं का मां का दूध बहुत जल्दी छुड़ा दिया जाता था उन्हें संक्रमण होने का जोखिम अधिक होता था। द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व के सोरेनस जैसे चिकित्सकों ने स्तनपान के बारे में विस्तार से लिखा था, और बच्चे के लगभग दो वर्ष की आयु होने पर स्तनपान बंद करने की सलाह दी थी। वर्तमान में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन सलाह देता है कि पहले छह महीने तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए, और फिर धीरे-धीरे कम करते हुए दो साल की उम्र तक स्तनपान छुड़ाया जा सकता है।
लेकिन प्राचीन समय में स्तनपान प्रथाएं कैसी थीं? प्राचीन रोम के संदर्भ में हुए कुछ अध्ययनों में इसे समझने के लिए प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों और पुरातात्विक अवशेषों को ही खंगाला गया था। लेकिन इन ग्रंथों तक पहुंच अक्सर अमीर परिवारों की ही होती थी, जो शहरों में रहते थे और आम तौर पर अपने शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए धाय-मां रखते थे। इसलिए रोमन साम्राज्य के ग्रामीण इलाकों में शिशुओं का खान-पान अब तक अनजाना ही था।
मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ऑफ जियोएंथ्रोपोलॉजी के जैव पुरातत्वविद कार्लो कोकोज़ा की टीम संपूर्ण रोमन साम्राज्य (ग्रामीण और शहरी) में बच्चों के आहार पैटर्न समझना चाहती थी। लेकिन इसे समझने के लिए अध्ययन किसका किया जाए?
दांतों व दाढ़ों की डेंटाइन इसमें मददगार साबित हो सकती है। दरअसल डेंटाइन के ऊतकों की परतें आपने कब क्या खाया, सब बयां कर सकती हैं। और, मां के दूध में कार्बन-13 के मुकाबले नाइट्रोजन-15 आइसोटोप का स्तर काफी अधिक होता है। डेंटाइन की परतों में नाइट्रोजन आइसोटोप का स्तर देखकर स्तनपान बंद किए जाने के समय का अंदाज़ा लगाया सकता है; जब तक शिशु स्तनपान कर रहा होगा नाइट्रोजन आइसोटोप डेंटाइन की शुरुआती परतों में अधिक मिलेगा और बंद करने के बाद की परतों में अचानक से नदारद दिखेगा।
तो, शोधकर्ताओं ने पहली शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर चौथी ईसवीं सदी के समय में रोमन साम्राज्य में रहने वाले 45 वयस्कों की पहली दाढ़ के डेंटाइन का अध्ययन किया। इन दाढ़ों को शहरी इलाकों - जैसे ग्रीस के थेसालोनिकी और इटली के पोम्पेई से लेकर ग्रामीण इलाकों - जैसे इंग्लैंड के बैनेस और इटली के ओस्टिया तक से प्राप्त किया गया था।
विश्लेषण में पाया गया कि रोमन साम्राज्य के शहरी स्थलों में स्तनपान दो वर्ष की आयु में बंद कर दिया जाता था, जबकि ग्रामीण स्थलों में डेढ़ साल से लेकर पांच साल की आयु तक के बच्चों को स्तनपान कराया जाता था। इससे लगता है कि रोम के शहरी केंद्रों से दूर के स्थलों पर ‘आधिकारिक’ चिकित्सा सलाह कम पहुंची होगी, साथ ही यह भी लगता है कि निम्न आय वाले ग्रामीण परिवार यह सोचकर स्तनपान लंबे समय तक जारी रखते होंगे कि सीमित भोजन एक और शिशु में न बंटे।
ये नतीजे आज के स्तनपान पैटर्नों से मेल खाते हैं। अध्ययन बताते हैं कि वर्तमान समाज में शहरी क्षेत्रों में स्तनपान जल्दी छुड़ाया जाता है। इसका एक कारण शहरीकरण है; जीवन स्तर में सुधार के साथ लोगों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार हुआ है, साथ ही चिकित्सा तक अधिक पहुंच भी हुई है। दूसरी ओर, ग्रामीण इलाकों में लंबे समय तक स्तनपान जारी रहता है।
बहरहाल, ये निष्कर्ष सीमित नमूनों पर आधारित हैं इसलिए पर्याप्त डैटा के साथ अधिक अध्ययन इन नतीजों को मज़बूती दे सकते हैं। साथ ही कई अनुत्तरित सवालों के जवाब भी दे सकते हैं। जैसे, क्या आप्रवासी लोग रोमन चिकित्सकों की सिफारिशों का पालन करते थे? (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - April 2025
- जन स्वास्थ्य अभियान के 25 वर्ष: उपलब्धियां और सीमाएं
- 20 सूत्रीय जन स्वास्थ्य चार्टर
- सबके लिए स्वास्थ्य हासिल करने ‘मिशन पॉसिबल’
- अनौपचारिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका
- नींद में मस्तिष्क खुद की सफाई करता है
- खरपतवारनाशी से शिशु स्वास्थ्य को खतरा
- बढ़ते तापमान का अदृश्य स्वास्थ्य संकट
- जीन संपादन कैंची का उपयोग
- महिलाओं, चींटी जैसे काम करो, पुरुषों जैसे व्यवहार करो लेकिन महिला बनी रहो!
- तंबाकू के विरुद्ध आवाज उठाने वाले वैज्ञानिकों पर संकट
- कृत्रिम बुद्धि की मदद से प्राचीन शिल्पों का जीर्णोद्धार
- कार्बन-कार्बन एकल इलेक्ट्रॉन बंध देखा गया
- दांतों ने उजागर किया स्तनपान का पैटर्न
- नई यादें बनने पर पुरानी यादें मिट क्यों नहीं जातीं?
- घटते बादलों से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा
- प्राचीन रोम के लोगों ने सीसा प्रदूषण झेला है
- 1.5 डिग्री की तापमान वृद्धि की सीमा लांघी गई
- रैटलस्नेक एक-दूसरे के शल्क से पानी पीते हैं
- यह सांप निगल जाता है मुंह से कई गुना बड़ा शिकार
- समुद्री मकड़ियां खुद को रेत में क्यों दबाती हैं?
- वृक्ष मेंढकों की दिलचस्प छलांग
- कोरल भी चलते हैं, लेकिन घोंघों से भी धीमे
- जगमगाते कुकुरमुत्ते