पारंपरिक बिजली संयंत्र जीवाश्म ईंधन से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। जीवाश्म ईंधन में यह ऊर्जा करोड़ों साल पहले प्रकाश ऊर्जा को जैविक ऊर्जा में तबदील करके भंडारित हुई थी। लेकिन एक हालिया शोध में रसायनज्ञों ने बिजली को जैविक ऊर्जा में परिवर्तित किया है।
एक सरल रासायनिक प्रक्रिया से शोधकर्ताओं ने विद्युत ऊर्जा को एडिनोसीन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) में परिवर्तित किया है। एटीपी कोशिकाओं को ऊर्जा देने वाला रासायनिक ईंधन है। इस प्रक्रिया से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके जैव कारखानों को ऊर्जा मिल सकेगी और दवाओं से लेकर प्रोटीन पूरक वगैरह बनाए जा सकेंगे।
गौरतलब है कि पौधों की कोशिकाओं के भीतर छोटी-छोटी क्लोरोप्लास्ट नामक रचनाएं प्रकाश संश्लेषण के ज़रिए एटीपी बनाती हैं। एटीपी आवश्यक चयापचय क्रियाओं के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। जब एटीपी अणु का उपयोग होता है तब यह एक फॉस्फेट को त्याग कर एडिनोसीन डायफॉस्फेट (एडीपी) बन जाता है। यह एडीपी ऊर्जा मिलने पर फिर से एटीपी में परिवर्तित हो जाता है। पौधों का उपभोग करने वाले जीव ग्लूकोज़ को ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं और उस ऊर्जा का उपयोग एटीपी-एडीपी-एटीपी चक्र चलाने के लिए करते हैं।
संशोधित सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके औद्योगिक स्तर पर विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इसमें पौधे उगाकर शर्करा या अन्य खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं और खमीर (यीस्ट), बैक्टीरिया या अन्य औद्योगिक सूक्ष्मजीवों को खिलाए जाते हैं। ये सूक्ष्मजीव इस भोजन से एटीपी उत्पन्न करते हैं, जो वांछित जैव रासायनिक क्रियाओं को ऊर्जा प्रदान करता है।
समस्या यह है कि पौधे सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का केवल 1 प्रतिशत ही उपयोगी यौगिकों में परिवर्तित कर पाते हैं, इसलिए इस प्रक्रिया की दक्षता काफी कम रहती है। इसके विपरीत सौर-सेल 20 प्रतिशत से अधिक सौर ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित कर सकते हैं।
इसका फायदा उठाते हुए मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर टेरेस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी के टोबियास एर्ब ने बिजली को सीधे एटीपी में परिवर्तित करने पर विचार किया।
वैसे वर्ष 2016 में किए गए एक पूर्व प्रयास में एक इलेक्ट्रोड के पास एटीपी सिंथेज़ नामक एंजाइम की प्रतिलिपियां एक झिल्ली में जमाई गई थीं। प्रयोगशाला में तो यह कारगर रहा लेकिन व्यवहारिक रूप से उपयोगी साबित नहीं हुआ।
अब एर्ब की टीम ने एक सरल प्रक्रिया सुझाई है जिसे “एएए चक्र” का नाम दिया गया है। इस चक्र में चार एंजाइमों का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा की मदद से एडीपी को एटीपी में परिवर्तित किया जाता है। इसमें एक टंगस्टन युक्त एल्डिहाइड फेरेडॉक्सिन ऑक्सीडोरिडक्टेस (एओआर) नामक एंजाइम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह एंज़ाइम कुछ वर्ष पूर्व एक बैक्टीरिया से प्राप्त किया गया था।
एओआर एडीपी को सीधे एटीपी में परिवर्तित नहीं करता बल्कि एक ऊर्जा कनवर्टर के रूप में काम करता है। एओआर इलेक्ट्रोड से इलेक्ट्रॉन युग्म प्राप्त करके उनका उपयोग एक यौगिक को ऊर्जा प्रदान करने के लिए करता है। अन्य एंज़ाइम इस यौगिक क्रमश: इस तरह परिवर्तित करते हैं कि अंत में शुरुआती यौगिक वापिस बन जाता है और चक्र चलता रहता है। इस दौरान मुक्त ऊर्जा का उपयोग एडीपी में एक फॉस्फेट समूह जोड़कर एटीपी उत्पादन में हो जाता है।
विशेषज्ञ इस प्रक्रिया की सराहना करते हुए एओआर की सीमित स्थिरता को देखते हुए इस चक्र में सुधार करने पर भी ज़ोर दे रहे हैं। एर्ब की टीम सुधार के प्रयासों में जुट गई है। यदि सफलता मिली तो उत्पादन प्रक्रियाओं में एक बड़े परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है और जैव-इंजीनियरों को विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए ऊर्जा प्रदान करने का एक तरीका मिल जाएगा। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - October 2023
- अंतरिक्ष में बड़ी उपलब्धि, पृथ्वी का बुरा हाल
- शुक्र पर जीवन की तलाश
- आदित्य मिशन: सूरज के अध्ययन में शामिल होगा भारत
- महाद्वीपों के अलग होने से फूटते हीरों के फव्वारे
- सनसनीखेज़ एलके-99 अतिचालक है ही नहीं!
- घर बन जाएंगे असीम बैटरियां
- जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करेगी हाइड्रोजन
- कोशिकाओं को बिजली से ऊर्जा
- विलुप्ति की कगार पर थार रेगिस्तान
- विलुप्ति की कगार पर थार रेगिस्तान
- जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर हरे हो रहे हैं
- हिमनदों के पिघलने से उभरते नए परितंत्र
- गर्माते समुद्र पेंगुइन का प्रजनन दूभर कर सकते हैं
- एक अजूबा है चूहा हिरण
- फल मक्खियां झूला झूलने का आनंद लेती हैं!
- छत्ता निर्माण की साझा ज्यामिति
- रहस्यमय भारतीय चील-उल्लू
- क्या सिर्फ रसायन कृषि उत्पादकता बढ़ाते हैं?
- शकर का संसार
- पसीना बहाकर डिटॉक्स भ्रम मात्र है
- गुदगुदी कहां से नियंत्रित होती है
- हमारे बाल बढ़ते और सफेद क्यों होते हैं?
- पारंपरिक चिकित्सा पर प्रथम वैश्विक सम्मेलन
- मलेरिया के विरुद्ध नई रणनीति
- Y गुणसूत्र ने बहुत छकाया, अब हाथ में आया
- मस्तिष्क तरंगों से निर्मित किया गया एक गीत
- प्राचीन संस्कृति के राज़ उजागर करती माला