विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पहली बार पारंपरिक चिकित्सा का वैश्विक सम्मेलन 17-18 अगस्त को गांधीनगर में आयोजित किया गया था। सम्मेलन में जी-20 व अन्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के अलावा 88 देशों के वैज्ञानिक, पारंपरिक चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी तथा सिविल सोसायटी प्रतिनिधि शामिल हुए।
सम्मेलन विभिन्न सम्बद्ध लोगों के लिए अपने अनुभव, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों तथा आपसी सहयोग के लिए विचारों के आदान-प्रदान का मंच बना। सम्मेलन में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों (ऑस्ट्रेलिया, बोलीविया, ब्राज़ील, कनाडा, ग्वाटेमाला, न्यूज़ीलैंड वगैरह) से आदिवासी लोगों ने भी शिरकत की। ये वे लोग हैं जिनके लिए पारंपरिक चिकित्सा स्वास्थ्य में ही नहीं बल्कि संस्कृति व आजीविका में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
सम्मेलन में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। रिपोर्ट से पता चलता है कि लगभग 100 देशों में पारंपरिक चिकित्सा से सम्बंधित राष्ट्रीय नीतियां और रणनीतियां हैं। कई सारे देशों में पारंपरिक चिकित्सा के उपचार ज़रूरी दवा सूचियों में, और अनिवार्य स्वास्थ्य सेवा में शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई देशों में ये उपचार राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा में शामिल किए गए हैं। बड़ी संख्या में लोग गैर-संक्रामक रोगों के उपचार, रोकथाम, प्रबंधन व पुनर्वास में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करते हैं।
सम्मेलन का सबसे प्रमुख निष्कर्ष था कि पारंपरिक चिकित्सा से संदर्भ में सशक्त प्रमाणों के आधार की ज़रूरत है। सशक्त प्रमाणों की उपस्थिति में ही देश पारंपरिक चिकित्सा को लेकर उपयुक्त नियामक ढांचा बना सकेंगे और नीतियों को आकार दे सकेंगे।
सम्मेलन में एक प्रमुख संकल्प यह व्यक्त हुआ कि सबके लिए स्वास्थ्य का लक्ष्य हासिल करने और 2030 तक स्वास्थ्य सम्बंधी सस्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्य हासिल करने के लिए ज़रूरी है कि पारंपरिक चिकित्सा की संभावनाओं को साकार किया जाए। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - October 2023
- अंतरिक्ष में बड़ी उपलब्धि, पृथ्वी का बुरा हाल
- शुक्र पर जीवन की तलाश
- आदित्य मिशन: सूरज के अध्ययन में शामिल होगा भारत
- महाद्वीपों के अलग होने से फूटते हीरों के फव्वारे
- सनसनीखेज़ एलके-99 अतिचालक है ही नहीं!
- घर बन जाएंगे असीम बैटरियां
- जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करेगी हाइड्रोजन
- कोशिकाओं को बिजली से ऊर्जा
- विलुप्ति की कगार पर थार रेगिस्तान
- विलुप्ति की कगार पर थार रेगिस्तान
- जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर हरे हो रहे हैं
- हिमनदों के पिघलने से उभरते नए परितंत्र
- गर्माते समुद्र पेंगुइन का प्रजनन दूभर कर सकते हैं
- एक अजूबा है चूहा हिरण
- फल मक्खियां झूला झूलने का आनंद लेती हैं!
- छत्ता निर्माण की साझा ज्यामिति
- रहस्यमय भारतीय चील-उल्लू
- क्या सिर्फ रसायन कृषि उत्पादकता बढ़ाते हैं?
- शकर का संसार
- पसीना बहाकर डिटॉक्स भ्रम मात्र है
- गुदगुदी कहां से नियंत्रित होती है
- हमारे बाल बढ़ते और सफेद क्यों होते हैं?
- पारंपरिक चिकित्सा पर प्रथम वैश्विक सम्मेलन
- मलेरिया के विरुद्ध नई रणनीति
- Y गुणसूत्र ने बहुत छकाया, अब हाथ में आया
- मस्तिष्क तरंगों से निर्मित किया गया एक गीत
- प्राचीन संस्कृति के राज़ उजागर करती माला