उत्तरी अमेरिका में पाई जाने वाली मोनार्क तितलियां (Danaus plexippus) हर साल बड़ी संख्या में उड़कर मेक्सिको में जाड़े का मौसम बिताने के लिए पहुंचती हैं। इस यात्रा में ये लगभग 3000 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। प्रवास के लिए इतनी लंबी दूरी तय करने वाले ये एकमात्र कीट हैं। इन तितलियों की यह प्रवास यात्रा वैज्ञानिकों के लिए लंबे समय से एक गुत्थी रही है कि आखिर कौन-से कारक इन तितलियों को प्रवास के लिए उकसाते हैं। गुत्थी अब सुलझती नज़र आ रही है। फ्रंटियर्स इन इकॉलॉजी एंड एंवायरमेंट में प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक मध्यान्ह के समय क्षितिज से सूरज का कोण मोनार्क तितलियों को प्रवास के लिए प्रेरित करता है।
हालांकि पूर्व में हुए अध्ययन में यह तो बता चुके थे कि मोनार्क तितलियों के एंटीना में मौजूद जैविक घड़ी सूर्य की क्षैतिज स्थिति के मुताबिक इन्हें दिशा सम्बंधी ज्ञान कराती है लेकिन यह अज्ञात था कि इस यात्रा के लिए इन्हें प्रेरित कौन करता है और वे अपनी दैनिक यात्रा कैसे तय करती हैं।
इसे विस्तार से समझने के लिए एक गैर-मुनाफा संस्था मोनार्क वॉच ने 1992 में एक कार्यक्रम शुरू किया था। इसके तहत हज़ारों वॉलंटियर्स को नाखून की साइज़ के गुलाबी रंग के चिपकू टैग वितरित किए गए थे। इन वालंटियर्स ने अपने इलाके से गुज़रने वाली मोनार्क तितलियों पर ये टैग चिपकाए और टैग चिपकाने का स्थान और तारीख नोट की। 1998 से 2005 के बीच 13 लाख से अधिक मोनार्क तितलियों पर टैग चिपकाए गए। प्रवास में जब तितलियां दक्षिण-पश्चिम मेक्सिको में अपनी मंज़िल पर पहुंचने लगीं, वहां मौजूद वालंटियर्स ने इन पर लगे टैग जांचे। उन्हें लगभग 13,000 तितलियों पर टैग चिपके मिले।
इसके बाद कार्यक्रम के संस्थापक ओर्ले टेलर और उनके साथियों ने प्रत्येक तितली पर टैग लगाने के स्थान पर मध्यान्ह सूर्य के क्षितिज से बनने वाले कोण की गणना की। वे यह मानकर चले कि जब तितलियों पर टैग लगाया गया तब वे प्रवास शुरू कर रही थीं। आंकड़ों के आधार पर उन्होंने पाया कि अधिकांश तितलियां ने अपनी प्रवास यात्रा तब शुरू की जब मध्यान्ह का सूरज क्षितिज से 57 अंश के कोण पर था। कुल मिलाकर मोनार्क अपनी प्रवास यात्रा तब शुरू करती हैं जब यह कोण 48 से 57 अंश के बीच होता है।
इसके अलावा यह भी लगता है कि मोनार्क तितली अपनी आगे की यात्रा भी सूरज के क्षितिज से बनने वाले कोण के मुताबिक पूरी करती हैं। तितलियों पर टैग लगाने के स्थान और तारीख के आंकड़ों के विश्लेषण में टीम ने पाया कि दक्षिण की ओर प्रवास यात्रा की शुरुआत में तितलियों की गति 17 किलोमीटर प्रतिदिन होती है जो मध्य प्रवास में बढ़कर 47 किलोमीटर प्रतिदिन तक हो जाती है। उसके बाद और दक्षिण में पहुंचकर गति घटकर 17 किलोमीटर प्रतिदिन हो जाती है। उनकी गति का यह पैटर्न उत्तर से दक्षिण की ओर सूर्य के बदलते कोण से मेल खाता है।
तितलियों की यात्रा की यह गति एक अन्य अध्ययन के निष्कर्ष से मेल खाती है। यह अध्ययन प्रवास यात्रा के दौरान पेड़ों पर तितलियों द्वारा डाले गए पड़ावों पर किया गया था, जहां ये प्रवासी तितलियां रात्रि विश्राम करती हैं।
इस तरीके से संरक्षणवादियों को यह जानने में मदद मिल सकती है कि जलवायु परिवर्तन जैसे बाहरी कारक इन तितलियों की इस प्रवास यात्रा को कैसे प्रभावित करेंगे।(स्रोत फीचर्स)
-
Srote - March 2020
- श्वसन सम्बंधी रहस्यमयी वायरस
- नया कोरोनावायरस और सामान्य फ्लू
- कोरोनावायरस: क्या कर सकते हैं वैज्ञानिक?
- अंग प्रत्यारोपण के साथ डीएनए भी बदल गया
- 2600 वर्षों तक सुरक्षित मस्तिष्क
- माया सभ्यता का महल खोजा गया
- प्रतिरोधी रोगों से लड़ाई का नेतृत्व करे भारत
- ब्लैक होल की पहली तस्वीर और कार्बन कुनबे का विस्तार
- नई सफलताओं की ओर बढ़ा भारतीय विज्ञान
- नए साल में इसरो के नए इरादे
- चांद को छूने की नई होड़
- चंद्रमा पर हज़ारों टार्डिग्रेड्स हैं
- मंगल ग्रह पर बसने की बेताबी
- पेशाब पर ज़िन्दा चींटियां
- उल्टी चलती चींटियां घर कैसे पहुंचती हैं?
- पक्षी के भोजन की चुगली करते हैं पंख
- प्रथम परोपकारी पक्षी
- कुत्ते संख्या समझते हैं
- डायनासौर को भी जूं होती थी
- सूर्य की स्थिति देखकर करती है प्रवास यह तितली
- शकरकंद खुद को शाकाहारियों से सुरक्षित रखता है
- अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य वर्ष
- मीठा खाने का मस्तिष्क पर प्रभाव
- गर्भ में शिशु लात क्यों मारते हैं
- व्यायाम करने की इच्छा बचपन में तय हो जाती है
- स्वास्थ्य मंत्री के सुझाए उपचार पर विवाद
- क्यों कुछ क्षेत्रों में महिलाओं से अधिक पुरुष हैं
- बढ़ते समुद्र से बचाव के लिए एक प्राचीन दीवार
- प्रागैतिहासिक युग के बच्चे और हथियारों का उपयोग