अनुवाद: विवेक मेहता
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यह दस्तावेज़ मार्सेइ की जेल में 10 सितम्बर, 1977 को मृत्युदण्ड दिए जाने से पहले हत्या के दोषी पाए गए हामिद ज़ैनडोबी के जीवन के आखिरी कुछ क्षणों का एक लिखित रिकॉर्ड है।
यह रिकॉर्ड जिस पर 9 सितम्बर की तारीख पड़ी हुई है, उस एक जज के द्वारा दर्ज किया गया था जिसे इस मृत्युदण्ड का साक्षी होने के लिए नियुक्त किया गया था।
ज़ैनडोबी का मृत्युदण्ड फ्रांस में दिया गया आखिरी मृत्युदण्ड था जिसके बाद 1981 में मौत की सज़ा समाप्त कर दी गई।
ट्यूनिशिया के नागरिक ज़ैनडोबी को अपनी पूर्व प्रेमिका एलिसबेथ बूस्के की हत्या के दोष में मौत की सज़ा सुनाई गई थी।
उसे सितम्बर 1977 को मार्सेइ की जेल में मृत्युदण्ड दिया गया।
आगे का ब्यौरा मृत्युदण्ड की उस रात जज मोनीक मबेली ने लिखा था। मबेली ने यह पत्र अपने बेटे को सौंपा, जिसने इस पत्र को न्याय विभाग के पूर्व मंत्री रॉबर्ट बैडिंटर तक पहुँचा दिया जिन्होंने सफलतापूर्वक फ्रांस में मौत की सज़ा के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया।
अन्तत: बैडिंटर ने इस पत्र को फ्रेंच अखबार लॅ मॉन्द को दिया, जिसमें यह पत्र 9 अक्टूबर, 2013 को छपा। आगे उस पत्र का अनुवाद है।
9 सितम्बर, 1977

ट्यूनिशिया के नागरिक ज़ैनडोबी का मृत्युदण्ड दोपहर 3 बजे, पीठासीन न्यायधीश आर. से सूचना मिली कि मुझे मृत्युदण्ड के दौरान सहायता करने के लिए नियुक्त किया गया है। मैं इससे भागना चाह रहा था, लेकिन कुछ कर नहीं सकता था। सारी दोपहर मैं इसी के बारे में सोचता रहा। मेरी भूमिका अपराधी के बयानों को नोट करने की होने वाली थी।
शाम 7 बजे, मैं बी. और बी. बी. के साथ एक फिल्म देखने निकल गया, फिर हमने उसके घर पर कुछ खाया और देर रात 1 बजे तक फिल्म देखते रहे। मैं घर गया। कुछ काम निपटाकर, अपने बिस्तर पर लेट गया। जैसी मैंने गुज़ारिश की थी, मिस्टर बी.एल. ने सुबह 3:15 पर मुझे फोन किया। मैं तैयार हुआ। पुलिस की एक कार मुझे सुबह सवा चार पर लेने आई। सफर के दौरान किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा।
हम मार्सेइ की बौमैट जेल पहुँचे। हर कोई वहाँ था। डिस्ट्रिक्ट एटर्नी (डी.ए.) सबसे आखिर में आए। एक बड़ा समूह बन गया। 20-30 गार्ड - ‘अधिकारी’। हमारे चलने के गलियारे में भूरे कम्बल बिछा दिए गए थे ताकि चलने की आवाज़ ना हो। रास्ते में तीन जगह टेबलों पर तौलिए और पानी के बर्तन रखे हुए थे।

कमरे का दरवाज़ा खोला गया। मैंने सुना, कोई कह रहा था कि कैदी सो तो नहीं रहा लेकिन ऊँघ रहा है। उसे ‘तैयार’ किया गया। काफी समय लगा, क्योंकि उसकी एक टाँग नकली थी जिसे लगाना ज़रूरी था। हम सभी इन्तज़ार करते रहे। कोई कुछ न बोला। मुझे लगा इस चुप्पी और कैदी की सतही शान्ति से वहाँ मौजूद लोगों को राहत मिली। कोई भी रोना-चिल्लाना या विरोध सुनना नहीं चाह रहा था। समूह में कुछ अदला-बदली हुई और हम वापस उसी रास्ते पर चल पड़े। रास्ते के कम्बल थोड़ा किनारे की ओर सरका दिए गए थे और हम अब अपने कदमों से होने वाले शोर को बचाने की कोशिश नहीं कर रहे थे।
एक टेबल पर आकर हम सभी ठहर गए। कैदी को कुर्सी पर बैठाया गया। उसके हाथ पीछे की ओर हथकड़ी से बँधे हुए थे। एक गार्ड ने उसे एक फिल्टर सिगरेट दी। बिना कुछ कहे वह उसे पीने लगा। वह एक जवान आदमी था। करीने से काढ़े गहरे काले बाल। उसके नैन-नक्श सुन्दर थे, लेकिन वह कुछ अस्वस्थ-सा लग रहा था और उसकी आँखों के नीचे गहरे काले धब्बे थे। ना तो वह बेवकूफ लग रहा था और ना ही वहशी। बस एक खूबसूरत युवक। वह सिगरेट पी रहा था और उसने अपनी हथकड़ी के कुछ सख्त होने की बात कही। इसी क्षण मेरा ध्यान जल्लाद पर गया जो उसके पीछे अपने दो सहयोगियों के साथ खड़ा हुआ था। उसके हाथों में एक रस्सी थी।
पहले ये मंशा थी कि हथकड़ी को रस्सी से बदल दिया जाएगा लेकिन फिर यह तय हुआ कि उन्हें हटा ही दिया जाए, और फिर जल्लाद ने कुछ भयावह और दु:खद कहा -- “देखो, तुम आज़ाद हो गए!” - मेरे पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई...। कैदी अपनी सिगरेट पीता रहा जो बस खत्म होने को थी, और उसे दूसरी दे दी गई। उसके हाथ खुले हुए थे और वह आहिस्ता-आहिस्ता सिगरेट पी रहा था। तब मुझे लगा कि उसे यह एहसास होने लगा था कि सब खत्म हो चुका है, अब वह बच नहीं सकता। उसकी ज़िन्दगी का अन्त सामने ही है, और आखिरी के कुछ लम्हें जो बचे हुए हैं वे भी बस तब तक जब तक सिगरेट बाकी है।

उसने अपने वकीलों से मिलने की गुज़ारिश की। मिस्टर पी. और मिस्टर जी. आए। काफी धीमी आवाज़ में उसने उनसे बातें कीं क्योंकि जल्लाद के दोनों सहयोगी उसके एकदम करीब खड़े हुए थे, मानो वे उसकी ज़िन्दगी के इन आखिरी लम्हों को उससे छीन लेना चाहते हों। उसने कागज़ का एक टुकड़ा मिस्टर पी. को दिया जिसने उसके अनुरोध पर उसे फाड़ दिया, और एक लिफाफा मिस्टर जी. को दिया। उसने ज़्यादा बात नहीं की। वे दोनों उसकी दोनों ओर खड़े हुए थे और उन दोनों ने आपस में भी बातें नहीं कीं। इन्तज़ार चलता रहा। उसने जेलर से मिलने की गुज़ारिश की और उससे यह सवाल किया कि उसके बाद उसकी चीज़ों का क्या होगा।
दूसरी सिगरेट भी खत्म हो चुकी थी। पौन घण्टा बीत चुका था। एक जवान और दोस्ताना गार्ड एक गिलास और रम की बॉटल लिए आगे बढ़ा। उसने कैदी से पूछा कि क्या वह शराब पीना चाहेगा और आधा गिलास भर दिया। वह आहिस्ता-आहिस्ता पीने लगा। अब वह समझ चुका था कि उस जाम के खत्म होने के साथ ही उसकी ज़िन्दगी भी खत्म हो जाने वाली है। अपने वकीलों से उसने कुछ और बातें कीं। उसने उस गार्ड को बुलाया जिसने उसे रम दी थी और उससे कागज़ के उन टुकड़ों को उठाने को कहा जिन्हें मिस्टर पी. ने फाड़कर ज़मीन पर फेंक दिया था। गार्ड नीचे झुका, टुकड़े उठाए और मिस्टर पी. को थमा दिए, जिसने उन्हें अपनी पॉकेट में रख लिया।
ये वही मौका था जब सब कुछ स्पष्ट-सा हो गया। यह इन्सान मरने वाला है, ये बात उसे पता है, वह जानता है कि अपने अन्त को चन्द और मिनट टालने के अलावा वह और कुछ नहीं कर सकता। पर वह एकदम उस छोटे बच्चे की तरह बर्ताव कर रहा है जो अपने सोने के समय को टालने के लिए कुछ भी कर सकता है! एक बच्चा जो यह जानता हो कि उसकी हर इच्छा पूरी की जाएगी और जो इस बात का पूरा फायदा उठाए। कैदी अपनी रम पी रहा था, धीमे-धीमे, चुस्कियाँ लेते हुए। उसने इमाम को बुलाया और अरबी में उससे बात की। इमाम ने भी अरबी में ही उससे बात की।

गिलास बस खाली होने की कगार पर था, और अपनी आखिरी कोशिश करते हुए उसने एक और सिगरेट की माँग की -- एक गॉलवाज़ (Gauloise) या शायद गीटेन (Giten) तेज़ और काले तम्बाखू से बनी बिना फिल्टर की सिगरेट, क्योंकि उसे पिछला वाला ब्राण्ड पसन्द नहीं आया था। यह गुज़ारिश शान्ति, लगभग पूरी गरिमा के साथ की गई थी। लेकिन जल्लाद, जो उस समय तक अधीर हो चुका था, ने टोकते हुए कहा -- “हमने पहले ही इससे काफी अच्छा, एकदम इन्सानों की तरह सुलूक किया है, लेकिन अब यह सब जल्दी ही निपटा लेना चाहिए।” इसके चलते, कैदी के लगातार अनुरोध व इतना कहने के बावजूद कि ‘ये आखिरी होगी’, उसकी सिगरेट की माँग डी. ए. ने ठुकरा दी। सहयोगियों को एक प्रकार की शर्मिन्दगी का एहसास हुआ। कैदी को कुर्सी पर बैठे लगभग 20 मिनिट हो चुके थे। 20 मिनिट, कितना लम्बा समय लेकिन फिर भी कितना कम।
आखिरी सिगरेट की माँग के साथ ही असलियत - उस वक्त की ‘पहचान’ जिसे हमने अभी-अभी गुज़ारा था - साफ हो गई। हम धीरज धरे 20 मिनिट तक इन्तज़ार करते खड़े रहे और कैदी अपनी इच्छाएँ प्रकट करता रहा जिन्हें तुरन्त ही पूरा कर दिया गया। उस समय के मालिक होने का हमने उसे पूरा मौका दिया। ये उसकी सम्पत्ति थी। लेकिन अब एक और सच्चाई उभर रही थी कि समय उससे छीना जा रहा था। उसकी आखिरी सिगरेट की गुज़ारिश नामंज़ूर कर दी गई थी और आनन-फानन में उसका गिलास भी खत्म करवाया गया ताकि सब जल्द निपटाया जा सके। उसने आखिरी चुस्की ली। गिलास गार्ड को थमाया। तुरन्त ही जल्लाद के एक सहयोगी ने अपनी कमीज़ की जेब से एक कैंची निकाली और कैदी की नीली कमीज़ की कॉलर काटकर अलग करने लगा। जल्लाद ने इशारा किया कि कट ज़रूरत के हिसाब से छोटा है। चीज़ों को आसान करने के लिए सहयोगी ने कमीज़ के कन्धों के हिस्से में दो बड़े कट लगाए और कन्धे का पूरा हिस्सा ही निकाल दिया।

(कॉलर काटने से पहले) तेज़ी से, उसके हाथों को पीछे रस्सी से बाँध दिया गया। मदद देकर उसे खड़ा किया गया। गार्डों ने गलियारे का एक दरवाज़ा खोला। सामने दरवाज़े की दूसरी ओर गिलेटिन था। लगभग बिना किसी हिचकिचाहट के मैं गार्डों के पीछे हो लिया जो कैदी को धकियाते हुए आगे बढ़ा रहे थे और उस कमरे (या शायद एक आँगन?) में दाखिल हुआ जहाँ ‘मशीन’ खड़ी हुई थी। उसके ठीक पीछे एक खुली हुई भूरी बुनी टोकरी थी। सब कुछ काफी तेज़ी से घटा। उसके शरीर को नीचे फेंक दिया गया लेकिन ठीक उसी क्षण मैंने अपना चेहरा घुमा लिया। डर के चलते नहीं, लेकिन एक तरह की सहज प्रवृति व गहरी बसी शालीनता (मेरे पास अन्य कोई शब्द नहीं) के चलते।
मुझे एक अस्पष्ट व मन्द-सी आवाज़ सुनाई दी। मैं घूमा - रक्त, ढेर सारा रक्त, एकदम लाल रक्त - शरीर टोकरी में लुढ़का पड़ा हुआ था। एक सेकण्ड में, एक जीवन काट दिया गया था। एक आदमी जो चन्द मिनिट पहले ही बातें कर रहा था महज़ एक टोकरी में पड़े नीले पैजामे के अलावा और कुछ भी ना था। किसी गार्ड ने एक होज़ पाइप निकाल लिया। गुनाह के सुबूतों को जल्द मिटाना था... मुझे उबकाई महसूस हुई लेकिन मैंने अपने आपको सम्भाला। मेरे अन्दर घृणा और ठण्डे क्रोध की भावना थी।
हम ऑफिस गए जहाँ डी.ए. ने आधिकारिक रपट तैयार करने के लिए बच्चों की तरह बेकार का हंगामा मचा रखा था। डी.ए. ने हर हिस्से की ध्यान से जाँच की। यह बहुत महत्वपूर्ण है, एक मृत्युदण्ड की आधिकारिक रपट! सुबह 5:10 बजे मैं घर के लिए निकल गई।
मैं इन लाइनों को लिख रही हूँ। सुबह के 6 बजकर 10 मिनिट हो रहे हैं।

—जज


फ्रेंच से अँग्रेज़ी में अनुवाद: आन्या मार्टिन व डेथ पेनल्टी न्यूज़ दल।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: विवेक मेहता: आई.आई.टी., कानपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएच.डी. की है। एकलव्य के विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम के साथ फैलोशिप पर हैं।