हो सकता है आपने दो मुंहा सांप देखा हो। इसके बारे में यह भी सुना होगा कि यह साल में छ: महीने एक मुंह की ओर से और बाकी छ: महीने दूसरे मुंह की तरफ से चलता है। इसी तरह के कई भ्रम इस सांप के बारे में पाए जाते हैं।
इस सांप के बारे में पहली बात तो यह कि नाम के मुताबिक इसके दो मुंह नहीं होते। लेकिन इसके मुंह और पूंछ के बीच सरसरी नज़र से फर्क कर पाना खासा मुश्किल काम है। यहां साथ वाले पृष्ठ पर दो मुंहे सांप का फोटो देखिए, खा गए न गच्चा आप भी! इस सांप की पूंछ सामान्य सांपों की तरह पतली-नुकीली नहीं होती। मुंह की तरह ही पूंछ भी बुट्ठी होती है। इतना ही नहीं मुंह वाले हिस्से पर आंखें भी इतनी छोटी होती हैं कि सरसरी तौर पर देख पाना संभव नहीं है। इन सब वजहों से इस सांप के बारे में यह भ्रम फैला जाना आसान था कि इसके दो मुंह होते हैं। कई बार तो सपेरे इस सांप के पुंछ वाले हिस्से पर आंखें मांड देते हैं और मुंह बनाने के लिए उस हिस्से पर चीरा भी लगा देते हैं। बस बन गया दो मुंहा सांप!
लेकिन इस सांप की पूंछ का पूंछ की तरह न होने के पीछे कोई तो वजह होगी न! शायद इसकी पूंछ का मुंह जैसा होने से एक फायदा तो यह है कि इस सांप के दुश्मन दो मुंह देखकर थोड़े हैरत में पड़ जाते हैं कि हमला किस तरह बोला जाए? अपने दुश्मन की दुविधा का फायदा उठाकर सांप बचकर भाग निकलने में सफल हो जाता है। कई बार यह सांप कुंडली बनाकर अपना असली मुंह तो उसमें छुपा लेता है, और दुम को लहराता है। इसे भी वह अपनी आत्मरक्षा के लिए इस्तेमाल करता है।
दो मुंहा सांप का जैव वैज्ञानिक नाम है - एरिक्स जानाई। इसे अंग्रेज़ी में ‘रेड सेंड बोआ' कहा जाता है। वैसे दो मुंहा सांप एक विषहीन सांप है। यह भारत में सूखे इलाकों, मरुस्थलों, मैदानी भूभागों में पाया जाता है। यह निशाचर है और इसकी एक खासियत यह है कि यह काटता नहीं है। दो मुंहे सांप की एक और खासियत यह है कि इसकी मादा अंडे नहीं देतीं, बल्कि यह बच्चों को जन्म देती है। जून के महीने में मादा 6 से 8 बच्चे देती है।
आलेख एवं फोटो: के. आर. शर्मा