सुशील जोशी

पिछले अंक में हमने देखा कि किस तरह तत्वों के रासायनिक संकेत खोजे गए - कीमियागिरों से लेकर आधुनिक रसायनशास्त्रियों तक के प्रयास। और इसके बाद कैसे इन तत्वों से मिलकर यौगिकों के सूत्र बने। यह लेख उसी प्रक्रिया की आगे की कड़ी है जिसमें रासायनिक समीकरणों की बात की गई है - कि किस तरह रासायनिक परिवर्तनों को सूत्र के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।

सूत्रों को समझ लेने के बाद अब यह संभव हो जाता है कि हम यह देखें कि रासायनिक परिवर्तनों को सूत्रों के माध्यम से कैसे दर्शाएं। रासायनिक परिवर्तन का मतलब यह होता है कि किसी पदार्थ या पदार्थों में उपस्थित परमाणुओं की मात्रा और/या जमावट में परिवर्तन। यदि हम पदार्थो में होने वाले रासायनिक परिवर्तन को सूत्रों के रूप में दर्शाना चाहें तो सबसे पहले हमें क्रियाकारी पदार्थ और परिणामी पदार्थ के अणु सूत्र (मोल सूत्र) पता होने चाहिए। मसलन,

हाइड्रोजन + ऑक्सीन → पानी ........... (1)

तीर का निशान परिवर्तन की दिशा बतलाता है। तीर के निशान की बार्इं ओर क्रियाकारी पदार्थ और दार्इं ओर परिणामी पदार्थ लिखे जाते हैं। किसी रासायनिक परिवर्तन को इस तरह लिखा जाए तो इसे समीकरण कहते हैं। समीकरण (1) शब्द-समीकरण है।

 H2 +  O2 →  H2O  ................. (2)

इस समीकरण में तीन सूत्रों का उपयोग हुआ है H2, O2 और H2O हाइड्रोजन व ऑक्सीजन द्विपरमाण्विक गैसें हैं यानी ये गैंसें ऐसे अणुओं के रूप में रहती हैं। सूत्रों के व्याकरण के मुताबिक H2, O2 और H2O क्रमश: हाइड्रोजन, ऑक्सीजन व पानी का एक-एक मोल दर्शाते हैं। हाइड्रोजन का एक मोल 2 ग्राम, ऑक्सीजन का एक मोल 32 ग्राम तथा पानी का एक मोल 18 ग्राम होता है। इस आधार पर समीकरण (2) को यूं लिख सकते हैं:

क्या पता चला सूत्र से

रासायनिक पदार्थो को हम रसायन संकेतों की भाषा में सूत्रों के रूप में व्यक्त करते हैं। किसी भी पदार्थ का सूत्र हमें निम्नलिखित जानकारी देता है:

  1. उस पदार्थ में मौजूद तत्व,
  2. पदार्थ के एक अणु में प्रत्ये तत्व के परमाणुओं की संख्या,
  3. पदार्थ का अणुभार/मोल भार/सूत्र भार।

सूत्र लिखने का व्याकरण कुछ इस तरह होता है:

  1. प्रत्येक सूत्र में उस पदार्थ में मौजूद तत्वों के संकेत लिखे जाते हैं। आमतौर पर ज़्यादा धनात्मक तत्व का संकेत पहले और ऋणात्मक तत्वों के संकेत बाद में लिखे जाते हैं। (ऋणात्मक-धनात्मक तत्वों की जानकारी की बात फिर कभी।)
  2. पदार्थ के एक अणु में मौजूद किसी तत्व के परमाणुओं की संख्या उस तत्व के संकेत के तुरन्त बाद थोड़ी नीचे लिखी जाती है (subscript) यदि किसी तत्व के बाद कोई संख्या न लिखी हो तो माना जाता है कि उस तत्व का एक ही परमाणु मौजूद है।
  3. किसी पदार्थ का सूत्र उसके एक अणु का प्रतीक है, इसे पदार्थ के एक मोल का प्रतीक भी माना जाता है।

(एक मोल:एक मोल किसी भी पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें उस पदार्थ के 6.023 ज्र् 10 परमाणु या अणु हों। दूसरे शब्दों में मोल पदार्थ की वह मात्रा है, जिसमें उतने ही परमाणु/अणु हों जितने 12 ग्राम कार्बन में होते हैं। यानी किसी पदार्थ के एक मोल का भार उसमें मौजूद तत्वों के परमाणुभार के योग के बराबर होता है।)

सूत्र निकालने का तरीका

1. सबसे पहले यह पता लगाया जाता है कि उस पदार्थ में कौन-कौन से तत्व हैं तथा प्रत्येक तत्व का प्रतिशत क्या है।

मसलन विटामिन ‘सी’ का सूत्र निकालने के लिए सबसे पहले हम यह पता करते हैं कि उसमें तत्वों का प्रतिशत निम्नानुसार है:

कार्बन - 40.8 %
हाइड्रोजन - 4.5 %
ऑक्सीजन - 54.5 %

2. अब उस पदार्थ का अणु भार पता लगाना होता है। विटामिन ‘सी’ का अणुभार 176 है।

3. अब हम यह पता लगा सकते हैं कि विटामिन ‘सी’ के 1 मोल में कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन की मात्राएं कितनी-कितनी होंगी। मसलन:

चूंकि  100 ग्राम विटामिन ‘सी’ में कार्बन 40.8 ग्राम

इसलिए 176 ग्राम 1 मोल विटामिन ‘सी’ में कार्बन 40.8 x 176 / 100  =   71.8 ग्राम

इसी प्रकार से हाइड्रोजन 7.92 ग्राम और ऑक्सीजन 95.9 ग्राम आती है। इन परिणामों को निम्नानुसार लिख लें।

C - 71.8 ग्राम
C - 7.9 ग्राम
C - 95.9 ग्राम

4. अब हमें यह पता लगाना है कि विटामिन ‘सी’ में प्रत्येक तत्व के कितने परमाणु हैं। करना यह होगा कि विटामिन सी के एक 1 मोल में उपस्थित तत्व के भार में उसके परमाणु भार का भाग देना होगा।

C के परमाणुओं की संख्या  = 71.9/12    =   5.99 =  6
H के परमाणुओं की संख्या = 7.9/1    =     7.9 =  6
O के परमाणुओं की संख्या = 95.9/16    =    5.99 =  6

चूंकि परमाणु आंशिक रूप में नहीं पाए जाते इसलिए उपरोक्त संख्याओं को निकटम पूर्ण संख्याओं में परिवर्तित कर लेते हैं।

5. तो विटामिन सी का सूत्र हुआ C6H8O6

कुछ अभ्यास

1. एक पदार्थ में 26.56 प्रतिशत पौटेशियम (K, 40), 35.41 प्रतिशत क्रोमियम (O, 16), और 38.03 प्रतिशत ऑक्सीजन (Cr, 52) पाई गई। यदि इस पदार्थ का अणुभार 296 है, तो इसका सूत्र निकालिए।

2. ब्रुफेन नामक दवाई का मुख्य घटक इबुप्रोफेन है। इसका मोल भार 206 ग्राम है। इसकी एक गोली में 500 मिली ग्राम दवाई होती है। बताइए इस गोली में इबुप्रोफेन के कितने मोल हैं। और एक गोली में इबुप्रोफेन के कितने अणु हैं।

इबुप्रोफेन के विभिन्न तत्वों का प्रतिशत निम्नानुसार है:

C  (12) = 75.7 %
H (1) = 8.7 %
O (16) = 15.7 %

इसका अणु सूत्र ज्ञान कीजिए


H2 +  O2 →  H2O
2 ग्राम + 32 ग्राम →  18 ग्राम.............(3)

यह स्थिति तो संहति के संरक्षण के नियम से मेल नहीं खाती। मतलब यह समीकरण सही नहीं है। यानी इसमें क्रियाकारी पदार्थ और परिणामी पदार्थो की पहचान तो सही है मगर उनकी मात्रओं में संतुलन नहीं है। ऐसी समीकरण कहते हैं। तीन तरह से संतुलित किया जा सकता है :

H2 +  O  →  H2O   ....................(4)
H2 +  O2  →  H2O2   ..................(5)
2H2 +  O2  →  2H2O   ...............(6)

विचार कीजिए कि इनमें से कौन-सा तरीका सही होगा। ध्यान देने की बात यह है कि कौन-सी समीकरण में पदार्थो के सूत्र सही हैं।

समीकरण (4) में ऑक्सीजन का सूत्र ग्र् लिखा गया है जो सही नहीं है।

समीकरण (5) में पानी का सूत्र H2O2 हो गया है जो सही नहीं है। (वास्तव में H2Oएक सर्वथा भिन्न पदार्थ हाइड्रोजन पेरॉक्साइड का सूत्र है।)

समीकरण (6) में सभी सूत्र सही हैं और मात्राओं में भी संतुलन है। यही संतुलित समीकरण है।

वास्तविक प्रयोगों से भी पता चलता है कि 2 ग्राम हाइड्रोजन 16 ग्राम ऑक्सीजन से क्रिया करके 18 ग्राम पानी बनाती है। यानी 1 मोल H2 और O2 आधा मोल की क्रिया से 1 मोल पानी बनता है:

H2 + 1/2 O→  H2O   ...............(7)

कृपया ध्यान दें कि जब हम किसी पदार्थ के सूत्र को एक अणु का द्योतक मानते हैं तो 1/2 O2 नहीं लिख सकते। मगर जब सूत्र को 1 मोल का द्योतक मानते हैं तो बखूबी 1/2 O2 लिख सकते हैं। समीकरण (7) को निम्नानुसार भी लिख सकते हैं:

2H2 + O2 → 2H2O ............(8)

समीकरणों में दिखने वाले कुछ संकेत
  - क्रिया करते हैं, तीर के बाईं ओर क्रियाकारी व दाईं ओर परिणामी पदार्थ लिखे जाते हैं।
⇔/= - ऐसी क्रिया दर्शाता है जो दोनों दिशाओं में हो सकती है।
 (S) - जिस पदार्थ के बाद लिखा हो, वह ठोस रूप में है।
  - यदि क्रिया के फलस्वरूप वह पदार्थ अवक्षेप के रूप में बैठ जाता हो।
 (I) - पदार्थ तरल रूप में है।
 (aq) - पदार्थ जलीय बिलयन के रूप में है।
 (g) - पदार्थ गैसीय रूप में है।
  - क्रिया के लिए ऊष्मा लगती है।
- क्रिया के लिए ज़रूरी दबाव।
- किया का तापमान।
- विकिरण की ज़रूरत।
- क्रिया का उत्प्रेरक।

यहां रुककर व्याकरण पर थोड़ा विचार करना अनुचित न होगा। किसी भी पदार्थ का रासायनिक सूत्र उसके एक मोल का द्योतम होता है। यदि आप उसी पदार्थ के एकाधिक मोल दर्शाना चाहें तो उपसर्ग के रूप में मोल संख्या लिखी जाती है। जैसे H2S और 3H2S क्रमश: हाइड्रोजन सल्फाइड के 1 व 3 मोल दर्शाते हैं।


तत्वों का प्रतिशत निकालना

कार्बनिक पदार्थों में तत्वों का प्रतिशत निकालना अपेक्षाकृत आसान है। आमतौर पर कार्बनिक पदार्थ कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन व नाइट्रोजन के मेल से बनते हैं। कभी-कभार गंधक, क्लोरीन, फॉस्फोरस आदि तत्व भी जुड़े होते हैं।

यदि पदार्थ में सिर्फ कार्बन, हाइड्रोजन या काब्रान, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन हैं तो इसमें तत्वों का प्रतिशत निकालने का तरीका यह है कि इसकी एक ज्ञात मात्रा को शुद्ध, शुष्क ऑक्सीजन में जलाया जाए।

इस प्रक्रिया में कार्बन डाईऑक्साइड को कास्टिक सोड़ा के घोल में सोख लिया जाता है। और पानी को किसी अन्य पदार्थ में जो पानी के प्रति खूब जुड़ाव रखता हो। इस पदार्थ व कास्टिक सोड़ा के घोल के सोख जुड़ाव रखता हो। इस पदार्थ व कास्टिक सोड़ा के घोल को भी पहले से तौलकर रखा जाता है ताकि हमें पता चल जाए कि पदार्थ की एक निश्चित मात्रा से कितनी कार्बन डाइऑक्साइड व कितना पानी बना।

हम यह तो जानते ही हैं कि 44 ग्राम CO2 में 1 मोल कार्बन है और 18 ग्राम पानी में 2 मोल हाइड्रोजन है। तो अब कार्बन व हाइड्रोजन का प्रतिशत निकाला जा सकता है। शेष ऑक्सीजन है।

अकार्बनिक पदार्थों में तत्वों का प्रतिशत निकालना कहीं मुश्किल काम है। पहले पदार्थ का गुणात्मक विश्लेषण करके यह पता लगाना होगा। कि उसमें कौन-कौन से तत्व हैं। उसके बाद उनकी मात्राओं को नापना होगा। इसके लिए ज्ञात रासायनिक क्रियाओं का सहारा लिया जाता है। अब तो ऐसे विशिष्ट अभिकारक (रीएजेंट) उपलब्ध हैं। परन्तु एक अच्छी बात यह है कि अकार्बनिक पदार्थ उस कदर अनगिनत नहीं हैं जैसे कार्बनिक पदार्थ हैं।


एक बात पर और ध्यान दीजिए। यदि किसी रासायनिक परिवर्तन की समीकरण लिखी जा सकती है तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं होता कि वह क्रिया हो ही जाएगी। अब आइए समीकरण लिखने के कुछ और उदाहरण देखें।

बैंज़ीन + ऑक्सीजन → कार्बन

डाइऑक्साइड + पानी ........... (9)

C6H6 + O2  → CO2 + H2O.............(10)

अब इसे संतुलित करें.........

सबसे पहले कार्बन के परमाणुओं की संख्या देखें। तीर के बाईं ओर 6 कार्बन हैं जबकि दाईं और मात्र एक। तो सबसे पहले दाईं और भी 6 कार्बन कर दिया जाए........

C6H+ O2 → 6CO+ H2O............(11)

अब हाइड्रोजन को देखें। बाईं ओर 6 हैं और दाईं तरफ मात्र 2, तो इसे भी संतुलित करें:

C6H6 + O2 → 6CO2 + 3H2O............(12)

और अंत में ऑक्सीजन। बाईं ओर मात्र दो हैं जबकि दाईं ओर 15 हैं। तो इस तरह करें:

C6H+ 15/2 O2 → 6CO2 + 3H2O.............(13)

इसका अर्थ यह हुआ कि 1 मोल बैंज़ीन और 7.5 मोल O2 क्रिया करके 6 मोल  CO2 और 3 मोल पानी बनाते हैं। यह एक संतुलित समीकरण है। मगर आमतौर पर समीकरण में आंशिक मोल नहीं लिखे जाते।

इसलिए सारे ‘मोल उपसर्गों’ को पूर्णांक में बदलेंगे। इसके लिए पूरी समीकरण को 2 से गुणा करना होगा:

2C6H+ 15 O2 → 12CO2 + 6H2O............(14)

अब नीचे लिखे समीकरणों को संतुलित करने का अभ्यास कीजिए:

CH4+O2 → CO2 + H2O
C + O2 → CO
H2O + Fe → Fe3O + H2
Zn + HCI → ZnCI2 + H2
N2 + H2 → NH3

अभी हमने काफी सरल पदार्थों के सूत्रों व सामान्य क्रियाओं की समीकरणों पर ही विचार किया है। बहरहाल यह तो स्पष्ट ही है कि सूत्र व समीकरण बहुत ही सशक्त भाषा के अंग हैं। इस भाषा के नियमों में दक्षता काफी अभ्यास से ही संभव है। प्रत्येक सूत्र के पीछे काफी रासायनिक परिश्रम लगता है।

परन्तु एक बार सूत्र ज्ञात हों, तो उस पदार्थ की रासायनिक पहचान में मदद मिलती है। मज़ेदार बात यह है कि किसी पदार्थ सूत्र ज्ञात करने के लिए उसका रासायनिक विश्लेषण करना होता है मगर एक बार सूत्र ज्ञात हो जाए तो आगे उस पदार्थ की क्रियाओं आदि का पूर्वानुमान, गणना वगैरह संभव हो जाते हैं। किसी रासायनिक क्रिया की समीकरण लिख लेने के बाद उस क्रिया को नियंत्रित ढंग से कर पाना संभव हो जाता है। खासतौर से जब हम कार्बनिक रसायन के क्षेत्र में पहुंचते हैं तो वहां अणु सूत्र से भी ज़्यादा महत्व रचना सूत्र का हो जाता है। रचना सूत्र ज्ञात करना कार्बनिक रसायनज्ञों का एक प्रमुख काम है। जब तक यह सूत्र पता न हो, तब तक उस पदार्थ को प्रयोगशाला में बनाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सूत्र के आधार पर ही पदार्थों के गुणों का पूर्वानुमान किया जाता है। सूत्र तब मात्र एक सांकेतिक भाषा न रहकर रसायन शास्त्र समझने का एक माध्यम बन जाता है।


(सुशील जोशी - होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम में सक्रिय; विज्ञान एवं पर्यावरण विषयों में सतत लेखन।)