होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम में दूर-दराज़ फैले बच्चों से संपर्क करने का एक तरीका है सवालीराम - एक काल्पनिक चरित्र, जो बच्चों के द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब उन्हें व्यक्तिगत रूप से पत्र लिख कर देता है। इस स्तंभ में हम आपके सामने हर बार कुछ सवाल और उन्हें दिए गए जवाब प्रस्तुत करेंगे।

सवाल - सूर्य का प्रकाश गर्म क्यों होता है, चंद्रमा की रोशनी की तरह ठण्डा क्यों नहीं?

यह पता करने के लिए कि किसी भी प्रकाश के स्रोत का किसी अन्य वस्तु पर क्या असर पड़ेगा, हमें दो-तीन बातों की जानकारी होनी जरूरी है। यहां पर हम सिर्फ गर्मी की बात कर रहे हैं। यानी कि वस्तु के तापमान पर क्या असर पड़ेगा?

  1. प्रकाश का स्रोत कितना गर्म है और कितना बड़ा है।
  2. जिस वस्तु पर हम असर देख रहे हैं। वह उससे कितनी दूरी पर है।

हमें मालूम है कि सूर्य की सतह का तापमान लगभग 6000 डिग्री सेल्सियस है और सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 15 करोड़ किलो मीटर है। सूर्य जितनी ऊर्जा छोड़ता है उसका केवल 2 अरबवां हिस्सा पृथ्वी को मिलता है और उससे दिन में पृथ्वी का तापमान कहीं पर 20 डिग्री से. तो कहीं 50 डिग्री से. तक पहुंच जाता है।

यह तो सबको पता होगा कि चांद के पास ऊर्जा का अपना कोई स्रोत नहीं है। उसकी सतह से सूर्य की किरणें परावर्तित होती है और चांद हमें चमकता दिखाई देता है - जिसे हम चांदनी कहते हैं।

सूर्य से जितनी ऊर्जा चांद तक पहुंचती है उससे चांद की सतह का तापमान दिन के समय 130 डिग्री से. तक पहुंच जाता है। (चांद पर वायुमण्डल न होने के कारण दिन के समय उसकी सतह इतनी गर्म हो जाती है।) अब चांद पर पहुंची ऊर्जा का एक बहुत ही छोटा हिस्सा परावर्तित होकर पृथ्वी तक पहुंचता है। उसकी मात्रा इतनी कम होती है कि उससे पृथ्वी के तापमान पर कोई खास असर नहीं पड़ता। पिछले कुछ सालों के तापमान के आंकड़ों के विश्लेषण से एक बात साफ तौर पर सामने आई है कि पूर्णिमा की रात को अमावस्या की रात के मुकाबले तापमान 0.035 डिग्री से. ज़्यादा होता है। अगर सचमुच में सिर्फ इतना-सा बढ़ता है तापमान तो हमें क्या पता चलेगा!

इसका अर्थ यह हुआ कि चंद्रमा की रोशनी से पृथ्वी का तापमान कम नहीं हो सकता, सिर्फ बढ़ सकता है। और शायद तापमान में यह वृद्धि भी इतनी कम है कि हमें इसका अहसास नहीं होता। यानी कि रात में ठंडक का अहसास चांदनी की वजह से नहीं होता। रात को तापमान सिर्फ इसलिए कम होता है क्योंकि उस समय सूर्य की ऊष्मा हम तक नहीं पहुँच पाती।


*स्रोतः डाउन टू अर्थअप्रैल 1995.


पानी पर मलाई नहीं बनती

सवाल - दूध और पानी दोनों तरल पदार्थ हैं मगर हम जब दूध को उबालते हैं तो वह उफ़न जाता है और गिरने लगता है, किन्तु पानी को उबालें तो वह क्यों नहीं उफ़नता?

दूध और पानी दोनों ही तरल पदार्थ ज़रूर हैं, पर अलग-अलग किस्म के दूध में पानी ( लगभग 90 प्रतिशत ) के अलावा वसा, प्रोटीन तथा और भी कई पदार्थ मौजूद होते हैं। वहीं पानी में ( मुख्यतः ) होता है सिर्फ पानी। और सिर्फ इसी फर्क की वजह से दूध उबालने के दौरान उफ़न कर बर्तन से बाहर आ जाता है जबकि पानी नहीं उफ़नता। आइए देखते हैं कि कैसे होता है यह।

दूध उबालते समय, उसमें मौजूद पानी में से कुछ भाप के बुलबुलों में परिवर्तित हो जाता है। साथ-ही-साथ दूध के अंदर मौजूद वसा में कुछ वसा दूध से अलग होकर सतह पर मलाई की परत के रूप में फैल जाती है। भाप बुलबुलों के रूप में दूध से ज्यादा हल्की और गर्म होने के कारण ऊपर की ओर उठती है, लेकिन सतह पर वसा की परत होने के कारण रुक जाती है और दूध से बाहर निकल नहीं पाती। यह बुलबुले बाहर निकलने की कोशिश में परत को ऊपर ढकेलते हैं जिसके कारण धीरे धीरे परत ऊपर उठने लगती है, और दूध उफनकर बर्तन से बाहर गिर जाता है। लेकिन वसा की यह परत (मलाई) किसी कारण से टूट जाए तो स्वाभविक है कि दूध नहीं उफनेगा, क्योंकि तब भाप दूध से बाहर निकल सकती है। अब आप यह समझ ही गए होंगे कि घर में दूध औटाने के समय उबलते दूध में चम्मच क्यों चलाते हैं या दूध में एक खाली कटोरी क्यों डालते हैं।

अब पानी की बात करते है। उबलते हुए पानी पर ऐसी कोई परत नहीं बनती इसलिए पानी में बनने वाली भाप और हवा के बुलबुलों को सतह तक पहुंचने में कोई बाधा नहीं आती। एक बार सतह पर आने के बाद बुलबुले फूट जाते हैं और इनके अंदर की भाप बाहर निकल जाती है। यही कारण है कि पानी सिर्फ उबलकर रह जाता है, दूध की तरह उफनकर बर्तन के बाहर नहीं गिरता।

चांदनी वाला सवाल दूसरे अंक में बाबूलाल पाटीदार, आम बोलासा, जिला उज्जैन ने पूछा था। तीसरे अंक में जगह की कमी के कारण हम उसका जवाब नहीं दे सके थे। दूध और पानी वाला प्रश्न तीसरे अंक में प्रभाकांत भारद्वाज, जवाहर पारा, बालोद, ज़िला दुर्ग ने पूछा था।

इस बार का सवाल ...........

सवाल -1. केले में बीज क्यों नहीं होते हैं?

रविशंकर कोरकू ठाकुर
छठवीं कक्षा, न.पा.मा.शा. टिमरनी

सवाल-2. हवा हमें क्यों नहीं दिखती है?

इदरीश ख़ान, सातवीं कक्षा,
महेश्वर, जिला खरगोन