पर्यावरण अनुकूल रेफ्रिजरेंट की खोज में हाइड्रोफ्लोरोओलीफिन्स (एचएफओ) एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। इसे ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने तथा ओज़ोन परत ह्रास के समाधान के रूप में भी काफी प्रोत्साहन मिला था। लेकिन अब, अध्ययनों में इस विकल्प के कुछ चिंताजनक पहलू सामने आए हैं।
प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एचएफओ के कुछ प्रकारों को फ्लोरोफॉर्म गैस बनाने का दोषी पाया है। यह गैस ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज़ से कार्बन डाईऑक्साइड से 14,800 गुना अधिक खतरनाक है। गौरतलब है कि एचएफओ को वायुमंडल में तेज़ी से नष्ट होने और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए बनाया गया था।
शोधकर्ताओं ने नियंत्रित वातावरण में पांच अलग-अलग एचएफओ का परीक्षण किया। चैम्बर में दो दिनों तक ओज़ोन से इनकी क्रिया कराने के बाद टीम ने परिणामी गैसों का विश्लेषण किया। मालूम हुआ कि ओज़ोन से क्रिया करके पांच में से तीन एचएफओ ने अल्प मात्रा में फ्लोरोफॉर्म बनाया था।
इस अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने एक वायुमंडलीय मॉडल निर्मित किया। संभवत: अधिकांश एचएफओ अणु ऑक्सीडेंट यौगिकों के साथ प्रतिक्रिया करके नष्ट हो जाएंगे। अलबत्ता, इनका कुछ हिस्सा ओज़ोन के साथ जुड़ जाता है (लगभग 0.13 से 2.96 प्रतिशत)जिसके अवांछित पर्यावरणीय परिणाम होंगे। इतनी कम अभिक्रिया का कारण यह है कि समताप मंडल में ओज़ोन की सांद्रता ही कम है।
यह शोध बताता है कि पर्यावरण में किसी भी पदार्थ को छोड़ने से पहले व्यापक आकलन की आवश्यकता है।
इसके अलावा, कुछ एचएफओ वातावरण में ट्राइफ्लोरोएसिटिक एसिड जैसे हानिकारक पदार्थों में परिवर्तित हो सकते हैं। इसके चलते जल प्रदूषण की चिंता पैदा होती है। वैसे भी आने वाले दशक में युरोपीय संघ ने अधिकांश एचएफओ को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की योजना बनाई है। देखा जाए तो तकनीकी प्रगति और पारिस्थितिक संरक्षण के बीच एक नाज़ुक संतुलन बनाने के लिए सावधानीपूर्वक जांच और सक्रिय उपायों की आवश्यकता होगी। ‘ओज़ोन-हितैषी' रेफ्रिजरेंट की खोज नवाचार और पर्यावरणीय प्रबंधन के बीच पर्याप्त संतुलन की मांग करता है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - February 2024
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