पूर्वी बोर्नियो के घने जंगल में स्थित लियांग टेबो नामक गुफा की खुदाई में मिले लगभग 31,000 साल पुराने कंकाल ने शोधकर्ताओं को थोड़ा हैरत में डाल दिया था। हैरानी की वजह थी कि यह पूरा का पूरा कंकाल साबु त था लेकिन इसका सिर्फ बाएं पैर का निचला हिस्सा गायब था। पड़ताल करने पर शोधकर्ताओं ने इसे शल्य क्रिया द्वारा किया गया अंग-विच्छेद पाया। यह 31,000 साल पहले तब किया गया था जब आधुनिक समय के समान शल्य चिकित्सा उपकरण, एंटीबायोटिक या दर्द निवारक दवाएं नहीं थीं। इससे पता चलता है कि उस समय के दक्षिण पूर्वी एशिया में रहने वाले शिकारी-संग्रहकर्ता चिकित्सा विशेषज्ञता के तो धनी थे ही उनमें अपने साथियों के प्रति हमदर्दी भी हुआ करती थी।

ईस्ट कालीमंतन कल्चरल हेरिटेज प्रिज़र्वेशन सेंटर की पुरातत्वविद एंडिका आरिफ द्राजत प्रियत्नो और उनके साथियों ने 2020 में गुफा के फर्श की खुदाई करना शुरू किया तो उन्हें एक मानव कंकाल मिला। इसे पारंपरिक रीति से दफन किया गया था जिसमें दाएं घुटने को मोड़कर सीने से सटा दिया जाता है और बाईं टांग को सीधा रखा जाता है। उसके सिर और हाथ के ऊपर पत्थर इस तरह रखे थे जैसे कि वे कब्र की निशानी हों। कंकाल का लिंग तो निर्धारित नहीं किया जा सका लेकिन जिस समय उसकी मृत्यु हुई थी उस समय उसकी उम्र लगभग 20 वर्ष रही होगी। उसके सिर के पास थोड़ी-सी गेरू मिट्टी भी दफन थी। इससे लगता है कि गुफा की दीवारों पर बने भित्ति चित्र उसी कबीले के लोगों ने बनाए होंगे।

कंकाल को पूरी तरह निकालने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि कंकाल में सिर्फ बाएं पैर की पिंडली से नीचे का हिस्सा गायब था, लेकिन बाकी कंकाल साबुत था। पिंडली में दो हड्डियां होती हैं और उस कंकाल में ये दोनों नीचे की ओर जुड़ी हुई थीं। और टांग सपाट तरीके से कटी हुई थी। ऐसा नहीं लगता था कि वह हिस्सा कुचला गया था या चकनाचूर हो गया था – अर्थात पैर का वह हिस्सा कोई चट्टान गिरने या किसी जानवर के काटने से नहीं कटा था बल्कि किसी धारदार औज़ार से सफाई से काटा गया था। दूसरे शब्दों में इस हिस्से की सर्जरी की गई थी।

कब्र के ठीक ऊपर और नीचे की तलछट परतों में चारकोल की रेडियोकार्बन डेटिंग से पता चला कि यह कब्र लगभग 31,000 साल पुरानी है। एक अन्य तकनीक – इलेक्ट्रॉन स्पिन रेज़ोनेंस डेटिंग – से कंकाल का काल निर्धारण करने पर वह भी इतने ही पुराने होने की पुष्टि करता है।


इन साक्ष्यों के आधार पर नेचर में शोधकर्ता बताते हैं कि सफल अंग-विच्छेद का यह अब तक का सबसे प्राचीन मामला है। इसके पहले, वर्तमान फ्रांस में शल्य-क्रिया द्वारा अंग-विच्छेद (कंधे के नीचे की बांह काटने) का लगभग 7000 साल पूर्व का मामला मिला था।

शोधकर्ता यह तो ठीक-ठीक नहीं बता सके हैं कि वास्तव में अंग काटने की ज़रूरत क्यों पड़ी थी – किसी बीमारी या संक्रमण की वजह से या अचानक किसी तेज़ आघात की वजह से। लेकिन पिंडली की हड्डियों के जुड़े होने की दशा के आधार पर उनका कहना है कि शल्य-क्रिया के बाद वह मनुष्य 6 से 9 साल और जीवित रहा होगा/होगी। जिस क्षेत्र में यह कंकाल पाया गया है वह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र है; घाव या चोट पर संक्रमण तेज़ी से फैलता है, बिना एंटीसेप्टिक के उसे नियंत्रित करना मुश्किल है। शोधकर्ताओं का कहना है ऐसे वातावरण में सफल शल्य क्रिया का मतलब है कि उन लोगों के पास शल्य-क्रिया और उसके उपरांत आने वाली समस्याओं से निपटने का ज्ञान था। और, बोर्नियो की समृद्ध जैव विविधता में चिकित्सकीय गुणों वाली वनस्पतियां भरपूर हैं। वे लोग इस क्षेत्र में हजारों सालों से रहते आए थे, तो संभावना है कि वे स्थानीय पौधों के औषधीय गुणों से परिचित रहे होंगे। (स्रोत फीचर्स)