हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की अदालत ने कोयला खदानों के कारण बढ़ रहे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ग्लोबल वार्मिंग के मद्देनज़र कोयला खनन कंपनी की नई खुली खदान लगाने की अर्जी खारिज कर दी है।
ऑस्ट्रेलिया विश्व का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक देश है। कोयला खनन कंपनी, ग्लॉसेस्टर रिसोर्सेस, हंटर घाटी के ग्लॉसेस्टर शहर के पास एक खुली कोयला खदान शुरू करना चाहती थी। इसके पहले पर्यावरणीय कारणों से न्यू साउथ वेल्स की भूमि व पर्यावरण अदालत ने कंपनी की अर्जी खारिज कर दी थी। कंपनी ने खदान लगाने के लिए दोबारा अर्जी दी थी। ऑस्ट्रेलिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि नई कोयला खदान के लिए अनुमति ना मिली हो।
चीफ जज ब्रायन प्रेस्टन ने अपने आदेश में कहा है कि इस कोयला खनन परियोजना को इसलिए अस्वीकृत किया जा रहा है क्योंकि कोयला खदानों और उनके उत्पादों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसें विश्व स्तर पर पर्यावरण को प्रभावित करती हैं और इस समय पर्यावरण सम्बंधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इन गैसों के उत्सर्जन को बहुत कम करने की ज़रूरत है।
दुनिया भर में पर्यावरण बदलाव के प्रभाव नज़र आ रहे हैं। विगत जनवरी का महीना ऑस्ट्रेलिया के अब तक के सबसे गर्म महीनों में दर्ज हुआ। इसी दौरान बिगड़े मौसम के कारण ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में भारी नुकसान हुए हैं। तस्मानिया का लगभग तीन प्रतिशत हिस्सा दावानल की चपेट में आया, उत्तरी क्वींसलैंड ने भारी बारिश के कारण बाढ़ का सामना किया। और अनुमान है कि दुनिया के कई हिस्सों में पर्यावरण बदलाव के कारण मौसम सम्बंधी अप्रत्याशित घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। (स्रोत फीचर्स)