यह तो जानी-मानी बात है कि शिकारियों से बचने के लिए कई पेड़-पौधे व जंतु ज़हर का इस्तेमाल करते हैं। जैसे जब शिकारी (कुतरने वाले जीव) का हमला होता है तब कई पौधों में विषैले पदार्थ बनते हैं। मगर एक टोड मेंढक है जिसमें ऐसे ज़हर का उपयोग शिकारी से बचने के अलावा अपनी ही प्रजाति के अन्य टोड्स को परास्त करने के लिए भी किया जाता है।
फंक्शनल इकॉलॉजी में हाल ही में प्रकाशित एक शोध पत्र के मुताबिक एक टोड (Bufo bufo) के टैडपोल (शिशु) तब ज़्यादा ज़हरीले हो जाते हैं जब उन्हें भीड़भाड़ वाली परिस्थिति में पाला जाए। सामान्य टोड में एक विष बुफा-डाई-इनोलाइड पाया जाता है। यह ह्मदय गति को तेज़ और अस्त-व्यस्त कर देता है, जिसके चलते प्रभावित जीव की मृत्यु तक हो सकती है। इस विष के चलते शिकारी इनसे दूर रहने में ही भलाई समझते हैं।
किंतु यह भी देखा गया है कि इनका विषैलापन तब बहुत बढ़ जाता है जब अन्य टोड से प्रतिस्पर्धा ज़्यादा हो। बुडापेस्ट की हंगेरियन एकेडमी ऑफ साइन्सेज़ की वेरोनिका बोकोनी और उनके साथियों ने इस मामले को समझने के लिए कुछ कृत्रिम तालाब बनाए और इनमें अलग-अलग संख्या में टैडपोल्स रखे। टैडपोल की संख्या एक मायने में प्रतिस्पर्धा की द्योतक मानी जा सकती है। टैडपोल की संख्या के अलावा अलग-अलग तालाबों में एक अंतर और था। कुछ तालाबों में सिर्फ टोड के टैडपोल्स थे जबकि कुछ तालाबों में एक मेंढक (Rana dalmatina) के टैडपोल भी रखे गए थे। मेंढक के टैडपोल का विकास जल्दी होता है और वे मेंढक भी जल्दी बन जाते हैं जबकि टोड के टैडपोल को टोड बनने में समय लगता है। मेंढक के टैडपोल विषैले नहीं होते। शोधकर्ता देखना चाहते थे कि क्या सिर्फ संख्या का महत्व है या जल्दी विकसित होने वाले मेंढकों की उपस्थिति भी विषैलेपन को प्रभावित करती है।
प्रयोग में देखा गया कि टोड के टैडपोल्स को जितने ज़्यादा प्रतिस्पर्धियों (चाहे अपनी या भिन्न प्रजाति के) के साथ रखा गया वे उतने ही ज़्यादा छोटे रहे और ज़्यादा विषैले भी हो गए। यानी संख्या का ही महत्व है। मगर एक बात और देखी गई। टोड के टैडपोल्स ने अपनी ही प्रजाति के विरुद्ध ज़्यादा विष बनाया।
भीड़भाड़ बढ़ने पर विषैलेपन के बढ़ने की बात कई कीटों में भी देखी गई है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जंतुओं के जीवन में इसका महत्व क्या है। क्या वे किसी परिवेश में भोजन व जगह के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा से निजात पाना चाहते हैं या कुछ और वजह है। बोकोनी व साथी अब इसे समझने के लिए और प्रयोग करने जा रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)