जब दुनिया में 15,000 परमाणु बमों का जखीरा मौजूद हो और परमाणु हथियार सम्पन्न राष्ट्रों का ध्यान सिर्फ इस बात पर हो कि अब और देश इन्हें हासिल न कर पाएं, तो यह खबर सुखद है कि वर्ष 2017 का नोबेल शांति पुरस्कार इंटरनेशनल केम्पेन टु एबॉलिश न्यूक्लियर वेपन्स (आईसीएएन) को दिया जाएगा। आईसीएएन दुनिया भर के सैकड़ों समूहों का एक संयुक्त मोर्चा है और यह पिछले एक दशक से परमाणु हथियारों पर विश्वव्यापी प्रतिबंध के प्रयास में है। पिछले वर्ष इसके प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ के 122 देशों ने परमाणु हथियार प्रतिबंध संधि को मंज़ूर किया।
आईसीएएन के मुताबिक यह संधि “राष्ट्रों द्वारा परमाणु हथियारों के विकास, परीक्षण, उत्पादन, निर्माण, स्थानांतरण, जमा करके रखने तथा उनका उपयोग करने व उपयोग की धमकी देने अथवा अपने राष्ट्र की ज़मीन पर परमाणु हथियार रखने की अनुमति देने पर प्रतिबंध लगाती है। संधि के तहत किसी अन्य को ऐसी गतिविधियों में मदद देने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।”
संधि की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें परमाणु हथियारों से लैस राष्ट्रों को अपने सारे हथियार एक निश्चित समय सीमा में नष्ट करने होंगे। वर्तमान में 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं - यूएस, रूस, ब्रिाटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इरुााइल और उत्तर कोरिया। कुल 15,000 परमाणु बमों में से अधिकांश तो मात्र यूएस व रूस के पास ही हैं। गौरतलब है कि इन नौ परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों में से एक ने भी प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
नोबेल समिति ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए स्वीकार किया है कि परमाणु सम्पन्न राष्ट्र और उनके निकट मित्रों ने इस संधि का समर्थन नहीं किया है। साथ ही समिति ने ज़ोर देकर कहा है कि यदि हम परमाणु हथियार से मुक्त विश्व चाहते हैं तो परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों को इस प्रक्रिया में शामिल करना ही होगा। इस मकसद से समिति ने इन राष्ट्रों से आव्हान किया है कि वे संजीदगी से बातचीत शुरू करें ताकि एक समय सीमा में क्रमिक रूप से परमाणु हथियारों को नष्ट किया जा सके। (स्रोत फीचर्स)