सवाल: पन्नी-प्लास्टिक कैसे बनती है?  - माध्यमिक शाला, मानिकपुर आश्रमशाला, ज़िला-अमरावती, महाराष्ट्र

जवाब: पन्नी क्या है?
आम तौर पर प्लास्टिक पन्नी का मतलब होता है, प्लास्टिक की थैली। यह पॉलीएथीलीन नाम के एक पॉलीमर यानी बहुलक की बनी होती है। आविष्कार होने के साथ ही पॉलीएथीलीन का उपयोग तरह-तरह की बोतलें और थैलियाँ बनाने में होने लगा क्योंकि यह अत्यन्त लचीला पदार्थ है। पॉलीएथीलीन वास्तव में कई सारे एथीलीन अणुओं को जोड़कर बनाया गया पदार्थ है। एथीलीन को मोनोमर कहते हैं और पॉलीएथीलीन (या पॉलीथीन) इनसे बना पॉलीमर या बहुलक है।
इस पदार्थ को बनाने की नई तकनीक के साथ ही एक नई तकनीक का भी आविष्कार हुआ था जिसे इंजेक्शन मोल्डिंग कहते हैं। इसमें पिघले हुए प्लास्टिक को किसी भी आकार के साँचे में डालकर ठण्डा करने पर मनचाही चीज़ें बनाई जा सकती हैं। इस तकनीक की बदौलत कुर्सियों से लेकर प्लास्टिक बैग तक बनाना सम्भव हो गया। इसी का परिणाम था कि प्लास्टिक से बनी चीज़ों ने घर-घर में जगह बना ली।

रासायनिक संश्लेषण
पॉलीथीन बनाने के लिए एथीलीन गैस को लिया जाता है और एथीलीन के अणुओं को एक-दूसरे से जोड़कर लम्बी-लम्बी शृंखलाएँ बनाई जाती हैं। मोनोमर के रूप में अलग-अलग पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है और संश्लेषण की विधि से यह तय होता है कि मोनोमर की कितनी लम्बी शृंखलाएँ बनेंगी। मोनोमर के प्रकार और शृंखला की लम्बाई से पॉलीमर के गुण तय होते हैं।

पॉलीथीन का उत्पादन
पॉलीथीन के उत्पादन के लिए एथीलीन मुख्य रूप से पेट्रोलियम से प्राप्त की जाती है। यह दो कार्बन परमाणुओं और चार हाइड्रोजन परमाणुओं के जुड़ने से बनी एक गैस है। अत: इसका अणु भार 28 है। इसे जब किसी उत्प्रेरक की उपस्थिति में काफी अधिक तापमान (लगभग 300 डिग्री सेल्सियस) और अत्यधिक दबाव (वायुमण्डल के दबाव से कई सौ गुना ज़्यादा) पर रखा जाता है तो एथीलीन के अणु जुड़कर लम्बी-लम्बी शृंखलाएँ बना लेते हैं। शृंखला कितनी लम्बी बनेगी यह दबाव, तापमान तथा उत्प्रेरक पर निर्भर करता है। सामान्य व्यापारिक पॉलीथीन में 1000 से 10,000 तक मोनोमर इकाइयाँ होती हैं। ऐसी पॉलीथीन का अणु भार 28,000 से 2,80,000 के बीच होता है। इस क्रिया को करने के लिए तरह-तरह के रिएक्टरों का उपयोग होता है। कई बार क्रिया के दौरान ही विभिन्न रंजक व अन्य पदार्थ मिलाए जाते हैं जिससे पॉलीमर के गुण निर्धारित होते हैं।

शृंखलाओं की लम्बाई के आधार पर पॉलीथीन कई प्रकार के हो सकते हैं – अल्प-घनत्व, मध्यम घनत्व और उच्च घनत्व। उत्पादन की विधि के अनुसार घनत्व 0.915 ग्राम प्रति घन से.मी. से लेकर 0.970 ग्राम प्रति घन से.मी. तक हो सकता है।
पॉलीथीन उत्पादन की एक तकनीक में पॉलीथीन को पिघलाकर एक साँचे में से गुज़ारा जाता है। साँचे में वह विशेष आकार (जैसे चादर, पाइप, बेलन वगैरह) के रूप में जमकर ठण्डा हो जाता है। साँचा किस प्रकार का है और साँचे से निकलने के बाद बनी चादर या नली के साथ की गई प्रक्रिया से तय होता है कि वह कितनी मज़बूत होगी। इस विधि से जो पॉलीथीन चादर बनती है, उसकी मोटाई 20-200 माइक्रोमीटर के बीच होती है। लेकिन पर्यावरण जोखिम को देखते हुए फिलहाल 50 माइक्रोमीटर से पतली चादर बनाने की अनुमति नहीं है।

पॉलीथीन के विकल्प
यह तो जानी-मानी बात है कि पॉलीथीन तथा अन्य प्लास्टिक अत्यन्त उपयोगी तथा किफायती पदार्थ हैं। लेकिन इनकी एक समस्या है – प्रकृति में ये सड़-गलकर नष्ट नहीं होते। सालों-साल ये पड़े रहेंगे, टूट-फूट जाएँगे लेकिन सड़ेंगे नहीं। इस कारण से ये पर्यावरण तथा जीव-जन्तुओं के लिए हानिकारक हो सकते हैं और इनके विकल्पों की खोज जारी है। एक सलाह यह दी जाती है कि इनका उपयोग कम-से-कम किया जाए। जहाँ सम्भव हो, कपड़े के झोलों या अन्य विकल्पों का उपयोग हो।


कोकिल चौधरी: संदर्भ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: सुशील जोशी: एकलव्य द्वारा संचालित स्रोत फीचर सेवा से जुड़े हैं। विज्ञान शिक्षण व लेखन में गहरी रुचि।