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Sandarbh - Issue 123 (July-Aug 2019)
- जिगर और जिगरी दोस्त
- पेट्रीकॉर: माटी की सौंधी खुशबू
- संख्याएँ कहती हैं कहानियाँ
- करके देखा, समझ गया
- बिजली क्या है?
- विज्ञान...क्या...क्यों और कैसे?
- विद्यार्थियों में मूल्यों का बीजारोपण - दो अवलोकन
- हिमांशु और वर्ग पहेली
- कक्षा में बातचीत: सामाजिक मान्यताओं की पड़ताल
- भारतीय भाषाएँ व संविधान
- दो बेमिसाल अध्यापक, दोे अलग दौर
- गाँव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है
- सवालीराम
Sandarbh - Issue 123 (July-Aug 2019)
Table of Contents
- The ‘Liver’age Microbes Have – Part 2 by Charudatta Navare Translated by Kokil Choudhary. [Hindi, PDF, 174 kB]
जिगर और जिगरी दोस्त: भाग-2 - चारुदत्त नवरे- यह एक गैरकाल्पनिक हास्य पुस्तक है। यह मानव शरीर में रहने वाले समस्त सूक्ष्मजीवों की आपस में बातचीत की एक रोचक कहानी है। इस लेख के माध्यम से समझते हैं अपने अन्दर की माइक्रोबियल दुनिया को और शोधकर्ताओं की सूक्ष्मजीवों और मनुष्यों की इस आपसी गुफ्तगू को सुलझाने की पहल को। पढ़िए इस ाृंखला के दूसरे भाग को जो पेट के सूक्ष्म जीवों पर काफी केन्द्रित है।Read article... - Petrichor: Why Does Rain Smell So Good? By Mary Halton Translated by Sushil Joshi. [Hindi, PDF, 106 kB] [English PDF]
पेट्रीकॉर: माटी की सौंधी खुशबू - मैरी हाल्टन - बारिश के बाद की माटी की सौंधी गन्ध क्या बैक्टीरिया, पेड़-पौधों की वजह से होती है? आइए, इस खुशनुमा गन्ध जिसे पेट्रीकॉर कहते हैं, के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं और जानते हैं कि इस शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई और क्या तत्व हैं जो इतना अनुपम अनुभव देती हैं।Read article... - Tales Number Tell by S. Ananthanarayanan Translated by Sushil Joshi [Hindi, PDF, 116 kB]
संख्याएँ कहती हैं कहानियाँ - एस. अनंतनारायणन - संख्याओं का एक कम जाना-पहचाना गुणधर्म है कि किसी भी कुदरती प्रक्रिया में इन संख्याओं के पहले अंक का वितरण समानता से नहीं होता। क्या इस वितरण की किसी एक रेंज के अन्दर रहने की सम्भावना ज़्यादा होती है? आइए समझे संख्याओं की अद्भुत दुनिया को।Read article... - When I Observed After Doing, I Understood – Part 1 by Subhash Chandra Ganguly. Translated by Sushil Joshi[Hindi, PDF, 155 kB]
करके देखा, समझ गया: भाग-1 - सुभाष चन्द्र गांगुली - यह आलेख होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम के तहत आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर की संस्मरणात्मक रिपोर्टिंग के रूप में है। होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत आयोजित इस शिविर में मध्यप्रदेश के कुछ ज़िलों के मिडिल स्कूल के विज्ञान शिक्षक सहभागी थे। यहाँ कक्षा में किए गए एक प्रयोग का उदाहरण प्रस्तुत किया गया है जिसमें चूज़े की वृद्धि व विकास की अलग-अलग अवस्थाओं का अवलोकन अलग-अलग दिनों तक सेए गए अण्डों के ज़रिए किया जा रहा था और यह प्रयोग कई दिनों तक चला था। प्रशिक्षण इस बात का था कि मिडिल स्कूल के विज्ञान शिक्षक क्या पढ़ाएँगे और कैसे। स्रोत व्यक्तियों में से भी कई अनुभवी शिक्षक थे। यह लेख विज्ञान शिक्षा की एक विधि को अत्यन्त जीवन्त रूप में प्रस्तुत करता है। लेख संदर्भ में दो भागों में प्रकाशित किया जाएगा। इस अंक में पढ़ते हैं पहले भाग को जो एक प्रेक्षक के रूप में लेखक और उनके एक साथी के अनुभव का वर्णन है।Read article... - What is Electricity? – An Activity for Teachers [Hindi, PDF, 46 kB]
- Science…What…Why and How? by Abhishek Kumar [Hindi, PDF, 152 kB]
विज्ञान..क्या..क्यों और कैसे - अभिषेक कुमार - विज्ञान विषय पर एक आम चर्चा प्राचीन समय से और आज भी व्यापक है कि आखिर हम विज्ञान किसे कहेंगे, क्या अवलोकन करना अथवा किसी चीज़ के बारे में तार्किक जानकारी रखना विज्ञान है, समझें इन सभी तर्कों के मध्यन्त विज्ञान को इस लेख से।Read article... - Inculcation of Values in Students: Two Observations by Kewalanand Kandpal [Hindi, PDF, 197 kB]
विद्यालय में मूल्यों का बीजारोपण, दो अवलोकन - केवलानंद काण्डपाल
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों के व्यवहार को इस प्रकार से पोषित एवं संवर्धित करना है कि उनमें लोकतंत्र हेतु उपयुक्त मूल्यों का बीजारोपण हो सके। मूल्य कक्षा-कक्ष में पढ़ाए-लिखाए नहीं जा सकते परन्तु यह अनुकरणीय होते हैं जिनका अवलोकन कर विद्यार्थी इन्हें अपनाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। प्रस्तुत आलेख विद्यालय के ऐसे दो अवलोकनों से प्राप्त अन्तर्दृष्टि को साझा करता है।Read article... - Himanshu and Crossword by Yatendra Dwivedi [Hindi, PDF, 105 kB]
हिमांशु और वर्ग पहेली - यतेन्द्र द्विवेदी - एकलव्य द्वारा प्रकाशित पत्रिका चकमक में दी गई वर्ग पहेली को कक्षा में हल करने के दौरान शिक्षकों और छात्रों के बीच क्या बातचीत हुई और वे इस प्रक्रिया से क्या सीखे, आइए पढ़ें इस लेख के माध्यम से।Read article... - Conversation in a Classroom: Investigating Social Values by Kamlesh Chandra Joshi [Hindi, PDF, 113 kB]
कक्षा में बातचीत, सामाजिक मान्यताओं की पड़ताल - कमलेश चन्द्र जोशी - कक्षा में प्रश्नों पर सोच-विचार करना और बच्चों से उनकी आगे पड़ताल करने के लिए कहना, शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। पढ़ने-लिखने को समग्रता में समझने की ज़रूरत होती है, इसके लिए कक्षा में बहुत ज़रूरी है कि बच्चों से नियमित बातचीत की जाए और वे अपने अनुभव साझा कर पाएँ। इस सन्दर्भ में लिखे गए एक कक्षा के अनुभव को पढ़ते हैं इस आलेख में।Read article... - Indian Languages and Constitution – Part 2 by Ramakant Agnihotri. [Hindi, PDF, 179 kB]
भारतीय भाषाएँ व संविधान: भाग-2 - रमाकान्त अग्निहोत्री - भारतीय संविधान दुनिया के सबसे लम्बे दस्तावेज़ों में से एक है और भारत में सबसे महत्वपूर्ण है। हिन्दी भारत की राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं। आइए भारतीय भाषाओं व संविधान को समझते हुए इस ाृंखला के दूसरे भाग को पढ़ें और इन भाषाई मुद्दों को विस्तारपूर्वक समझें।Read article... - Two Unrivaled Teachers, Two Different Periods by Farah Farooqi and Anil Sethi [Hindi, PDF, 250 kB]
दो बेमिसाल अध्यापक, दो अलग दौर - फ़राह फ़ारूक़ी व अनिल सेठी - यह लेख दो बहुत ही फर्क दौर के सरकारी स्कूल से जुड़े दो उस्तादों की शख्सियत और अनुभवों का आलेख है। दोनों बेमिसाल शिक्षकों सफदर नकवी और नूरुल इस्लाम, की मेहनत और लगन उनकी शख्सियत का अक्स था। लेखक फ़राह फ़ारूक़ी के उन्नीस लेख जो शिक्षा विर्मश में प्रकाशित हुए हैं, उनका प्रमुख विषय स्कूल के रोज़मर्रा के जीवन से जुड़े सवालों को समझना और सबसे बड़ा सवाल कि आखिर स्कूल बच्चों को क्या दे पाता है, को वर्णित करना था। अब इस लेख में वर्णित दोनों शिक्षकों के चित्रण के माध्यम से पढ़ते-समझते हैं कि क्या आज के दौर में शिक्षक में हिम्मत और पूरी तरह से खिलने की कुव्वत बनी रह सकती है।Read article... - Gaon Mei Kuch Bahut Bura Hone Vala Hai by Gabriel Garcia Marquez Translated by Srikant Dubey
[Hindi, PDF, 204 kB]
गाँव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है - गेब्रिएल गार्सिया मार्केज़ - एक बहुत ही रोचक और वास्तविकता से परिचित कराने वाली कहानी जो अक्सर सबको कठिन परिस्थितियों में डाल देती है। पढ़ते हैं इस कहानीको जो बताती है कि बातें कैसे फैलती हैं।Read article... - Why do Our Shadows Becomes in Different Directions During Morning, Afternoon and Evening? From Sawaliram by Kokil Chaudhary Translated by Sushil Joshi [Hindi, PDF, 201 kB]
परछाई सुबह, दोपहर और शाम को अलग-अलग दिशा में क्यों बनती है? - सवालीराम - यह एक बहुत ही बढ़िया अवलोकन है कि परछाई की साइज़ और दिशा दिन भर में बदलती रहती हैं। इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आखिर परछाई होती क्या है और उसकी दिशा किन कारणों से बदलती है।Read article...