सवाल:
चूहा पालतू जानवर है या जंगली जानवर?

जवाब: ऐतिहासिक नज़रिए से देखें तो चूहे मूलत: जंगली जीव हैं। आधुनिक युग में चूहों की दो सबसे जानी-मानी प्रजातियाँ हैं -- ब्लैक रैट या काला चूहा (इसका वैज्ञानिक नाम है रैटस रैटस और इसे शिप रैट, रूफ रैट या हाउस रैट भी कहा जाता है) और ब्राउन रैट या भूरा चूहा (इसका वैज्ञानिक नाम रैटस नॉर्वेजिकस है और इसे कॉमन रैट, स्ट्रीट रैट, सुअर रैट, नॉर्वे रैट, नॉर्वेजियन रैट आदि नामों से भी जाना जाता है)। इन दोनों तरह के चूहों को ओल्ड वर्ल्ड1 रैट या ट्रू  रैट भी कहा जाता है। इन चूहों की उत्पत्ति दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया में हुई थी।
दूसरी तरफ, आधुनिक पश्चिमी दुनिया के देशों में चूहों को भी कुत्ते, बिल्ली,  गाय,  बतख,  चूज़े  आदि जानवरों की तरह ही आधिकारिक रूप से पालतू जानवर की सूची में डाला जाता है जिसकी वजह है कि वहाँ पाई जाने वाली ब्राउन रैट प्रजाति (रैटस नॉर्वेजिकस) के चूहों की दो जानी-मानी किस्मों को पालतू बना लिया गया। इनके नाम हैं फैन्सी रैट और लैबोरेटरी रैट।
लेकिन भारत में स्थिति थोड़ी अलग है जिसकी चर्चा हम बाद में करेंगे।
पर हमारे मूल प्रश्न का विधिवत और सन्तोषजनक उत्तर देने के लिए बेहतर होगा कि पहले हम एक बुनियादी बात समझ लें। हम यह कैसे तय करते हैं कि कौन-से चूहे -- या मनुष्यों के आसपास रहने वाले कोई भी अन्य जीव -- जंगली माने जाएँगे और कौन-से पालतू?

जंगली जानवर बनाम पालतू जानवर
पहले तो हम ये समझें कि जीवों को पालतू बनाने का क्या मतलब है। यह जीवों के दो भिन्न समूहों के बीच का सम्बन्ध है जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी बड़ी सावधानी से बनाए रखा जाता है। इस सम्बन्ध में धीरे-धीरे एक समूह का दूसरे समूह की देखभाल और उनके प्रजनन की प्रक्रियाओं पर ज़्यादा-से-ज़्यादा नियंत्रण होता जाता है, और अन्तत: इन दोनों प्रक्रियाओं पर उसका अच्छा-खासा अधिकार हो जाता है। इसके बदले दूसरा समूह (यानी वह जिसे पालतू बना लिया जाता है) पहले समूह को नियमित रूप से बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी संसाधन प्रदान करना शुरु कर देता है। ये एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया  है,  यानी,  हम पालतू बनाई गई किसी प्रजाति के बारे में निश्चित रूप से यह नहीं कह सकते कि उसे इतिहास के अमुक समय में पूरी तरह से पालतू बना लिया गया था।

जंगली जानवर की किसी प्रजाति को मनुष्यों के सन्दर्भ में पालतू मानने के लिए कुछ बातों का होना ज़रूरी है:
पहली और सबसे ज़रूरी बात, पालतू बनाए गए किसी भी जानवर को अपने आसपास रहने वाले मनुष्यों के साथ इत्मीनान और सुकून महसूस होना चाहिए। बल्कि यह भी हो सकता है कि ये जानवर मनुष्यों का सम्पर्क बहुत ज़्यादा पसन्द करने लगें।
दूसरी बात, और यह पहली से जुड़ी हुई है, मनुष्य की उपस्थिति में अपने जंगली साथी की तुलना में पालतू बनाए गए किसी जानवर की भयावहता,  उसकी  आक्रामकता, घबराहट,  और अक्सर, उसकी सक्रियता के स्तर में काफी कमी आ जाती है।

तीसरी बात, पालतू बनाए गए जानवरों को अपने-आप मनुष्यों के पास जाते वक्त चौकन्ना होने की ज़रूरत नहीं होना चाहिए।
किसी जंगली जानवर और उसकी पालतू किस्म के बीच तुलना करते वक्त जो बदलाव दिखाई देते हैं उसकी जड़ में दरअसल उस जानवर की अनुवांशिक संरचना में हुए बहुत-से परिवर्तन होते हैं और इन्हीं के चलते हमें जंगली और पालतू जीवों के व्यवहार में अन्तर दिखाई देता है। आम तौर पर इन बदलावों के साथ पालतू बनाए गए जीव के शारीरिक लक्षणों में भी कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
तो अब हम यह देखते हैं कि हमारे आसपास अक्सर दिखने वाले चूहे पालतू जानवरों की श्रेणी में आते हैं कि नहीं।
भारत में हम कई तरह के जीवों को चूहे कहते हैं। इनमें शामिल हैं सबसे ज़्यादा दिखाई देने वाला काला चूहा (रैटस रैटस), लैसर बैंडीकूट रैट (बैंडीकोटा बैंगालेन्सिस -- यह चूहा नाली, रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर पाया जाता है), और मूस वंश के कई छोटे-छोटे मूषक जैसे सामान्य हाउस माउस, फील्ड माउस आदि।
पर इनमें सबसे जाना-माना चूहा है काला चूहा।

काला चूहा पालतू है या जंगली?
भारत में काला चूहा पालतू नहीं है, बल्कि दुनिया में कहीं भी यह पालतू नहीं है। भारत में तो ये चूहे किसानों के लिए बड़ी समस्या पैदा कर देते हैं क्योंकि ये कई प्रकार की फसलें चट कर जाते हैं।
दरअसल, काले चूहे को एक जटिल किस्म का विनाशकारी जीव (पैस्ट) माना जाता है जो पर्यावरण को नुकसान और फायदा, दोनों पहुँचा सकता है। कई बार, किसी इलाके में काले चूहे के आने के बाद वहाँ के स्थानीय जीवों की प्रजातियों की संख्या में बहुत कमी आ जाती है या वे पूरी तरह लुप्त हो जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि काला चूहा कई तरह की चीज़ें खा सकता है और खुद को मुश्किल स्थानों के अनुरूप ढाल सकता है। किसी नए इलाके में पहुँचने के बाद वह वहाँ पहले से रह रहे छोटे जीवों के साथ खाद्य स्रोतों के लिए जमकर मुकाबला करता है।
क्या अन्य चूहों और मूषकों को पालतू बनाया जाता है?
लैसर बैंडीकूट चूहे को भी पालतू नहीं बनाया गया है, हालाँकि इसने मनुष्य के आवास-स्थानों में अपने घर ज़रूर बना लिए हैं।
मुस मस्क्युलस जिन्हें हाउस माउस भी कहा जाता है, जैसे मूषक निश्चित ही जंगली जीव हैं, पालतू नहीं। हालाँकि, वे पालतू होने की कुछ कसौटियों पर ज़रूर खरे उतरते हैं -उनकी प्रजनन प्रक्रिया की सफलता या असफलता हमारी खुशहाली से जुड़ी हुई है। उन्हें मनुष्यों के आवास-स्थानों में रहते हुए 15,000 साल से भी ज़्यादा हो गए हैं। और पैदा होने के समय से ही मनुष्यों के घर में रहने पर वे मनुष्यों के सम्पर्क के आदी हो जाते हैं और पालतू जैसा व्यवहार करते हैं। मूषकों को भी पालतू बनाए जाने के लिए पैदा कराया जाता रहा है जैसे कि घरेलू मूषक जिसे आप पैट स्टोर2 या प्रयोगशालाओं में देख सकते हैं। ये मूषक हमारे देश में भी पाए जाते हैं।

अन्त में...    
मुझे नहीं पता कि इस सवाल के बारे में अब आपका उत्तर क्या होगा कि क्या सभी चूहों को पालतू या फिर जंगली जानवरों की श्रेणी में डाला जाना चाहिए। लेकिन कम-से-कम एक बात पर तो हम सब एकमत हो सकते हैं कि चाहे जंगली चूहे हों या पालतू चूहे, समय के साथ सभी ने मनुष्य के आवास-स्थानों में या उनके निकट रहकर ज़िन्दा रहना और फलना-फूलना बखूबी सीख लिया है।
आज के समय में तो अंटार्कटिका को छोड़कर बाकी सभी महाद्वीपों पर जहाँ भी मनुष्य रहता है, चूहे पाए जाते हैं, और इसलिए कई लोग यह दलील देते हैं कि मनुष्य की प्रजाति के साथ-साथ चूहे इस ग्रह के सबसे कामयाब स्तनधारी जीव हैं।


रुद्राशीष चक्रवर्ती: एकलव्य, भोपाल के प्रकाशन समूह के साथ काम करने के बाद इन दिनों स्वतंत्र रूप से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: भरत त्रिपाठी: एकलव्य, भोपाल के प्रकाशन समूह के साथ कार्यरत हैं।